अनारक्षित पदों को सभी वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों से भरा जाए, हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश
जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने एक अहम आदेश में कहा है कि राज्य सरकार और न्यायालय की सभी चयन परीक्षाओं में अनारक्षित (जनरल) पदों को केवल सभी वर्गों के प्रतिभावान अभ्यर्थियों से ही भरा जाए।
इस आदेश का उद्देश्य आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के भविष्य के साथ कोई समझौता नहीं करना है। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के संदर्भ में लिया है, जो इस प्रकार के मामलों पर स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के एक मई 2024 को दिए गए दीपेंद्र यादव विरुद्ध मध्य प्रदेश शासन के फैसले के आधार पर पारित किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चयन परीक्षाओं के हर चरण में अनारक्षित पदों को सभी वर्गों के योग्य उम्मीदवारों से भरा जाए। इस आदेश के बाद हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे लागू कर दिया। आदेश में कहा कि इससे आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता।
इस मामले में अनुसूचित जाति और जनजाति अधिकारी-कर्मचारी संघ (अजाक्स) ने याचिका दायर कर उच्च न्यायालय द्वारा की जा रही भर्ती परीक्षाओं में लागू अनुचित आरक्षण को चुनौती दी थी। याचिका में यह भी कहा गया कि सिविल जज भर्ती परीक्षा-2022 में अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवारों का चयन तो हुआ है, लेकिन आरक्षित वर्ग से कोई भी उम्मीदवार चयनित नहीं किया, जबकि उनकी अंक सीमा अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के बराबर थी।
भर्ती परीक्षाओं में लागू होगा आदेश
हाई कोर्ट ने इस आदेश को आगामी सभी भर्ती परीक्षाओं पर लागू करने का निर्णय लिया है। इसके तहत सभी चयन प्रक्रियाओं में अनारक्षित पदों को पूरी तरह से योग्य अभ्यर्थियों से भरा जाएगा, जिससे सभी वर्गों के उम्मीदवारों को समान अवसर प्राप्त हो सके।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.