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पुलिस नहीं, फिर किसने चलाई गोली… संभल में 4 मौतों का जिम्मेदार कौन?

उत्तर प्रदेश का संभल रविवार को हिंसा की आग में जल उठा. शाही जामा मस्जिद में सर्वे को लेकर जमकर बवाल हुआ. उपद्रवियों ने गाड़ियों में आग लगा दी और पुलिस पर पथराव किया. हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई, वहीं एसडीएम सहित 30 से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं. पुलिस ने मस्जिद के आसपास के इलाके को सील कर दिया है. किसी भी बाहरी के एंट्री पर एक दिसंबर तक रोक लगा दी गई है. चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती है.

उपद्रव के दौरान फायरिंग भी की गई. हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि पुलिस ने गोली नहीं चलाई. मुरादाबाद मंडल के आयुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने कहा है कि उपद्रवी झुंड में आए थे. इनके तीन ग्रुप थे, जोकि़ लगातार फायरिंग कर रहे थे. फायरिंग और पथराव के बीच पुलिस ने सर्वे करने आई टीम को सुरक्षित बाहर निकाला.

आंजनेय कुमार सिंह की इस टिप्पणी पर सवाल भी उठ रहे हैं. स्थानीय लोगों का दावा है कि पुलिस ने भी गोली चलाई थी. हालांकि, अधिकारी का कहना है कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े. पुलिस ने लाठीचार्ज किया था.

पुलिस ने गोली नहीं चलाई- बोले एसपी

एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने कहा कि कई जगह ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें दावा किया जा रहा है कि पुलिस ने गोली चलाई है, लेकिन यह सच्चाई नहीं है. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने ऐसे किसी भी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया, जिससे किसी की मौत हो जाए. एसपी ने कहा कि संभल थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई है. दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.

उपद्रवियों की फायरिंग से कुछ पुलिसकर्मी भी जख्मी हुए हैं. दीपा सराय इलाके में हिंसा ज्यादा हुई. यहां गोलीबारी की घटना की जांच की जा रही है. मंडल आयुक्त ने बताया कि एसडीएम रमेश चंद्र, क्षेत्राधिकारी अनुज कुमार और एसपी के पीआरओ भी जख्मी हुए हैं.

बेटे की मौत पर परिवार का आरोप- पुलिस ने चलाई गोली

हिंसा में नईम खान नाम के एक युवक की मौत हुई है. उसकी उम्र 32 साल है. परिवार का आरोप है कि सीईओ की मौजूदगी में पुलिस की ओर से गोली चलाई जा रही थी. फायरिंग में गोली लगने से नईम की मौत हो गई. नईम प्रदर्शन में शामिल नहीं था. वह दुकान से रिफाइंड ऑयल लेने जा रहा था.

संभल हिंसा को लेकर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योगी सरकार को निशाने पर लिया है. अखिलेश यादव ने कहा है कि मस्जिद के सर्वे को लेकर हुई कथित हिंसा की साजिश बीजेपी और शासन की ओर से राज्य में उपचुनाव में अनियमितताओं पर से ध्यान हटाने के लिए रचा गया.

अधिकारी ने बताई बवाल की कहानी

मुरादाबाद के मंडल आयुक्त ने बताया कि सुबह सात बजे से मस्जिद में सर्वे शुरू हुआ. लगभग दो घंटे तक सर्वे चला. मस्जिद के सर्वे के लिए मुस्लिम पक्ष ने भी सहमति जताई थी. दोनों पक्षों की देख-रेख में सर्वे हुआ. सर्वे शांतिपूर्ण और अच्छे से हुआ, लेकिन इसी बीच मस्जिद के बाहर भीड़ इकट्ठा हो गई और नारेबाजी करने लगी. फिर पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया. मुरादाबाद के मंडल आयुक्त की मानें तो भीड़ में से कुछ को संभवतः निहित स्वार्थ वाले व्यक्तियों द्वारा उकसाया गया था, जिनका मकसद इलाके में शांति को बाधित करना था.

डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा है कि संभल में स्थिति काबू में है. स्थानीय पुलिस और प्रशासन के सभी अधिकारी मौके पर हैं. दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. वहीं, हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा है कि चंदौसी कोर्ट के आदेश पर एडवोकेट कमिश्नर ने सर्वे पूरा कर लिया है, जिसकी रिपोर्ट वो 29 नवंबर तक अदालत में पेश करेंगे.

कोर्ट के आदेश पर हुआ सर्वे

हिंदू पक्ष का दावा है कि जिस जगह पर आज जामा मस्जिद है, वहां कभी हरिहर मंदिर हुआ करता था. इसी को लेकर हिंदू पक्ष ने स्थानीय अदालत में एक याचिका लगाई थी. अदालत ने मस्जिद के सर्वे के आदेश दिए थे. हिंदू पक्ष का दावा है कि हरिहर मंदिर को बादशाह बाबर ने 1529 में ध्वस्त कराया था.

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