आतंकियों के लिए काल थे सीडीएस जनरल बिपिन रावत, म्‍यांमार स्‍ट्राइक को कभी नहीं भूलेगा देश

नई दिल्‍ली। सीडीएस जनरल बिपिन रावत को देश कभी नहीं भूल सकेगा। जब भी आतंकियों को माकूल जवाब देने की बात आएगी तब तब उनका नाम बड़े सम्‍मान के साथ लिया जाएगा। म्‍यांमार में हुई सर्जिकल स्‍ट्राइक हो या फिर उरी हमले के बाद गुलाम कश्‍मीर में हुई सर्जिकल स्‍ट्राइक या फिर बालाकोट की एयर स्‍ट्राइक, सभी में उनकी बड़ी भूमिका रही।

आपको बता दें कि वर्ष 2015 में म्‍यांमार सीमा पर सर्जिकल स्‍ट्राइक उस वक्‍त हुई थी जब वो लेफ्टिनेंट जनरल थे। 4 जून 2015 को मणिपुर के चंदेल जिले में यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट आफ वेस्‍टर्न साउथ ईस्‍ट एशिया (UNLFW) के आतंकी गुट ने भारतीय सेना के काफिले पर घात लगाकर हमला किया था। इस घटना में 18 जवानों की मौत हो गई थी और करीब 15 जवान घायल हुए थे। इस घटना ने सभी को हैरान कर दिया था।

उस वक्‍त तत्‍कालीन लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत ने एनएससीएन-के के आंतकियों को माकूल जवाब देने का प्‍लान बनाया था। इसके लिए उन्‍होंने पैरा कमांडो के बेतहरीन जवानों को चुना था। केंद्र से इस आपरेशन की हरी झंडी मिलते ही आपरेशन को अंजाम देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। 9 जून को जवानों ने म्‍यांमार की सीमा में घुसकर उनकी कमर तोड़ दी थी। सेना की इस कार्रवाई में 38 आतंकियों को मार गिराया गया और उनका गोला बारूद नष्‍ट कर दिया गया था।

इस आपरेशन में एक भी भारतीय जवान को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था। एक डाक्‍यूमेंट्री में रावत ने बताया था कि उन्‍होंने जवानों को भरोसा दिलाया था यदि इस आपरेशन में कोई दिक्‍कत आई या कुछ नुकसान हुआ तो उसकी सारी जिम्‍मेदारी उनकी होगी। यदि सफल हुए तो इसका श्रेय उन जवानों को जाएगा। जब तक सभी जवान अपने बेस पर वापस नहीं आ गए तब तक रावत उनकी जानकारी लेते रहे थे। म्‍यांमार में हुई ये सर्जिकल स्‍ट्राइक इस बात को उजागर करती है कि उनके दिल में अपने जवानों के लिए कितना प्रेम और विश्‍वास था।

जम्‍मू कश्‍मीर में जब आतंकियों ने पुलवामा में जवानों की गाडि़यों के काफिले पर आत्‍मघाती हमला किया तब भी भारत की तरफ से आतंकियों को माकूल जवाब देने की बात कही गई थी। उस वक्‍त तत्‍कालीन सेनाध्‍यक्ष जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी। आतंकियों को करारा जवाब दिया जाएगा और इसकी जगह और वक्‍त हम ही तय करेंगे। 14 फरवरी 2019 को ये घटना घटी थी और 26 फरवरी को भारत ने पाकिस्‍तान की सीमा में घुसकर बालाकोट एयर स्‍ट्राइक को अंजाम दिया था।

इस आपरेशन का कोडनेम आपरेशन बंदर रखा गया था। इसमें पाकिस्‍तान में मौजूद आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया गया था। पुलवामा हमले के बाद इस आपरेशन को लेकर जो बैठक बुलाई गई थी उसमें जनरल रावत भी शामिल थे।

जम्‍मू कश्‍मीर में उन्‍होंने आपरेशन आल आउट चलाया था जिसमें आतंकियों की कमर तोड़ने के लिए सेना ने आपरेशन चलाया था। उनके नेतृत्‍व में आतंकियों की कब्र एक-एक कर खोद दी गई। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पाकिस्‍तान को अपने आतंकियों के लिए पोस्‍टर ब्‍वाय ही नहीं मिले और यदि मिले तो कुछ ही समय में उन्‍हें ढेर कर दिया गया।

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