ब्रेकिंग
ट्रेनी IAS पूजा खेडकर के पिता को इस मामले में मिली राहत, गिरफ्तारी में हैं मां राजस्व, शिक्षा और कानून… बिहार में नीतीश कैबिनेट के इन मंत्रालयों में क्यों नहीं टिकते मंत्री? मुझे बोलने नहीं दिया गया…नीति आयोग की बैठक छोड़कर बाहर निकलीं ममता प्लान भी, ऐलान भी… फिर आखिरी वक्त में नीति आयोग की बैठक से क्यों अब्सेंट हो गए हेमंत सोरेन? बिहार: तेजाब से नहलाकर मार डाला…माफी मांगने गए रेप के आरोपी को ‘तालिबानी सजा’ कांवड़ यात्री भूल से भी इस पेड़ के नीचे से न निकलें, खंडित हो जाती है यात्रा! 50 सेकंड में हत्या… वो चाकू घोंपता रहा, कृति तड़पती रही; बेंगलुरु PG मर्डर केस का आरोपी अरेस्ट जम्मू-कश्मीर: कुपवाड़ा मुठभेड़ में एक जवान शहीद, एक आतंकी भी ढेर कारगिल विजय दिवस: CM धामी ने की शहीद के परिजनों के लिए 4 बड़ी घोषणा UP में नहीं रुक रहा कांवड़ियों का बवाल, अब मेरठ में कार में की तोड़फोड़; कई लोग घायल

राज्य सभा सदस्य विवेक तन्खा के मानहानि मामले में मुख्यमंत्री, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष व मंत्री भूपेंद्र सिंह को जबलपुर से नोटिस जारी

जबलपुर। एडीजे कोर्ट ने राज्य सभा सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा द्वारा दायर मानहानि के मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा व मंत्री भूपेंद्र सिंह को नोटिस जारी किए हैं। 25 फरवरी तक जवाब तलब किया गया है। उल्‍लेखनीय है कि तन्खा ने 10 करोड़ रुपये की मानहानि का मुकदमा दायर किया है। इसके लिए कोर्ट फीस बतौर डेढ़ लाख रुपये का चेक जमा किया गया है। तन्खा की ओरे से पूर्व महाधिवक्ता शशांक शेखर ने जिला अदालत, जबलपुर में मुकदमा दायर किया था। जबकि दूसरे व्यवहार वाद के अधिवक्ता वाजिद हैदर ने पक्ष रखा। दलील दी गई कि मेरे पक्षकार पर ओबीसी मामले में गलतबयानी की गई। पूर्व में नोटिस जारी कर तीन दिवस में माफी मांगने को कहा गया था। पर उनके द्वारा माफी नहीं मांगी गई। गलत बयानी में वो बातें कही गई, जो मेरे पक्षकार ने न तो याचिका में लगाई थी और न ही कोर्ट की प्रक्रिया के दौरान ही ऐसा कुछ बोला था।

राज्य सभा सदस्य पहले ही रख चुके हैं अपना पक्ष : तन्खा का दावा है कि सीएम ने मुझ पर मिथ्या आरोप लगाते हुए मेरे साथ या कांग्रेस और जनता के साथ ही छल नहीं किया है। इन्होंने कोर्ट-कचहरी के साथ भी छल किया है। सर हमारा कटा है, या उनका कटा है। यह जनता तय करेगी। हम जनता की अदालत में भी हैं और कोर्ट में भी है। अब दोनों बहस साथ-साथ चलेगी

सरकार नहीं चाहती ओबीसी को आरक्षण मिले : तन्खा ने आरोप लगाया कि सरकार नहीं चाहती है कि ओबीसी को आरक्षण मिले। कांग्रेस ने 1994 में ही पंचायत और निकाय चुनावों में ओबीसी को 25 प्रतिशत आरक्षण दिया था। इसी फरवरी में हाई कोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया। पर सरकार की ओर से इस स्टे काे हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट में हम रोटेशन और परिसीमन के मामले को लेकर गए थे। सुनवाई के दौरान मेरी बात समाप्त हो चुकी थी। सरकार के वकीलों को अपना पक्ष मजबूती से रखना चाहिए था, जो वो नहीं कर पाए।

ये है पूरा मामला : सुप्रीम कोर्ट द्वारा एमपी में ओबीसी सीटों के निर्वाचन पर रोक लगाए जाने के बाद सीएम शिवराज सिंह, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा व नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने इसके लिए विवेक तन्खा काे जिम्मेदार ठहराया था। दावा किया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में उनकी याचिका के चलते ऐसा आदेश हुआ। इसे मिथ्या और आधारहीन बताते हुए विवेक तन्खा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर ने 19 दिसंबर को 10 करोड़ रुपये मानहानि का दावा करते हुए सीएम सहित तीनों नेताओं को नोटिस भेजा था। नोटिस में तीन दिन में माफी मांगने की बात लिखी थी। क्रिमिनल केस में कहा गया है कि इस आरोप से तन्खा की सामाजिक छवि धूमिल हुई है।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.