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युद्धग्रस्त यूक्रेन में लाखों लोग बिना बिजली-गैस कर रहे गुजारा

कीव। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरु हुए 6 महीने पूरे हो चुके हैं। युद्ध के कारण प्राकृतिक-आर्थिक रूप से बर्बादी भी देखी जा रही है। रूस की मिसाइलों ने यूक्रेन में ऐसी कोई जगह नहीं छोड़ी है, जहां तबाही न मचाई हो। इस तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए पश्चिमी देशों ने भी रूस पर प्रतिबंध लगा दिए हैं, तो रूस ने भी अपनी ओर से कार्रवाई करते हुए यूरोपीय देशों में सप्लाई होने वाली प्राकृतिक गैसों पर 60 प्रतिशत तक कटौती कर दी है। इसके बाद से यूरोप में प्राकृतिक गैसों की आपूर्ति का संकट पैदा हो गया है।
रूस के इस कदम से पूरा यूरोप एक भारी संकट में फंस गया दिखाई दे रहा है। यूक्रेन के ऊर्जा मंत्रालय ने भी अपने बयान में कहा है कि यूक्रेन भी इस संकट का सामना कर रहा है। आकड़ा शेयर कर बताया गया है कि 6,00,000 से अधिक यूक्रेनियन बिजली के बिना रह रहे हैं। मंत्रालय के अनुसार, यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध के कारण 2,35,700 यूक्रेनियन भी बिना गैस के रह रहे हैं।
संकट से निपटने के लिए कई यूरोपीय देश रूस की जगह सेनेगल और मौरीतानिया से गैस खरीदने की कोशिश में जुटे हैं। जर्मनी के चांसलर ओलफ स्कोल्ज ने मई में सेनेगल का दौरा किया था। उन्होंने प्राकृतिक गैस के संकट का जिक्र किया ताकि सेनेगल मदद करे। यूरोपीय देशों में गैस की सप्लाई करने  में सेनेगल और मौरीतानिया एक बेहतर देश साबित हो सकते हैं। सेनेगल लिक्विड गैस निकालने के लिए अपनी पूरी तैयारी कर रहा है। उम्मीद है कि इन दोनों देशों से यूरोपीय देशों में एलएनजी यानी लिक्वीफाइड नेचुरल गैस की आपूर्ति जल्द ही शुरू हो सकती है।
दोनों देशों का युद्ध सिर्फ इन्हे ही नहीं बर्बाद कर रहा बल्कि पूरी दुनिया में इसका असर देखने को मिल रहा है। जब से रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला है, तब से यूक्रेन से भी खाद्य पदार्थो की सप्लाई बंद हो गई है। यूक्रेन के गोदामों में लाखों टन अनाज बंद पड़े थे ऐसे में कई देश भुखमरी जैसे गंभीर समस्या से जूझ रहे थे, लेकिन एक राहत की खबर तब आई जब यूक्रेनी अनाज की पहली खेप ओडेसा  के बंदरगाह से इस्‍तांबुल के लिए रवाना हुई। वैश्विक खाद्य संकट से राहत पाने के उद्देश्य से तुर्की और संयुक्त राष्ट्र के साथ दोनों देशों से एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर करवाया गया था।

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