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ग़ुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण देने पर क्यों खफा है कांग्रेस, आखिर कब खत्म होगी ये अंदरूनी कलह

 कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को पद्मभूषण दिए जाने के बाद कांग्रेस में कलह गहरा गया है और असंतुष्ट नेताओ के समूह तथा पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी समर्थकों के बीच दूरी बढ़ गई है। सरकार ने राजनीति मे योगदान के लिए आज़ाद के साथ ही पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य को यह सम्मान दिया। बुद्धदेव ने सम्मान लेने से इंकार कर दिया जबकि आजाद ने इसे स्वीकार कर लिया। कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता को यह सम्मान मिलने पर प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की।

उलटे कांग्रेस नेतृ्व के नजदीकी मैने जाने वाले जयरा रमेश ने तब करते हुए कहा, ‘‘बुद्धदेव ने सही किया, उन्होंने गुलाम होने के बजाय आजाद रहना पसंद किया।” आजाद के नेतृत्व वाले असंतुष्ट गुट समूह 23 के नेता कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर उन्हें बधाई दी और कहा कि विडंबना है कि कांग्रेस आजाद के योगदान को नहीं पहचान पाई लेकिन देश सेवा के लिए सरकार ने उनके योगदान के वास्ते उन्हें सम्मान दिया है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने भी आजाद को बधाई देते हुए कहा, ‘‘गुलाम नबी जी को जन सेवा और संसदीय लोकतंत्र में उनके आजीवन समृद्ध योगदान के लिए योग्य सम्मान के लिए हार्दिक बधाई।” कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने भी नबी आजाद को बधाई दी और कहा, ‘‘गुलाम नबी आजाद का सियासी सफर लंबा रहा है। आजाद साहब को बधाई, वे इस सम्मान के हकदार हैं।” आजाद, सिब्बल तथा शर्मा कांग्रेस के असंतुष्ट गुट समूह 23 के नेता हैं और यह गुट कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहा है जिससे सोनिया समर्थक नेताओं के साथ उनकी काफी समय से तनातनी चल रही है। हाल ही में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक भी इसी गुट की मांग पर हुई जो काफी हंगामेदार रही।

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