नंबरों के लिए बदली गई हर तरह की व्यवस्था, लोगों से भी शालीनता से पेश आ रहा स्टाफ
पानीपत: हरियाणा के पानीपत जिले के सिविल अस्पताल इन दिनों मेट्रो सिटी के किसी बड़े प्राइवेट अस्पताल से कम नहीं नजर आ रहा है। जिस तरह प्राइवेट अस्पताल में मरीज का इलाज, देखभाल, रख-रखाव, पूछताछ होती है, वैसे ही पानीपत के सिविल अस्पताल में हो रही है। चर्चा है कि ऐसा सिर्फ 19 नवंबर की शाम तक होगा।इसके बाद फिर से वहीं व्यवस्था हो जाएगी। दरअसल, सिविल अस्पताल में तीन दिन के लिए सेंट्रल एनक्वास टीम निरीक्षण के लिए पहुंची है। यहां वे अस्पताल की हर छोटी-बड़ी चीजों को अपने मानकों के हिसाब से आंक रही है। क्योंकि टीम की चेकिंग के बाद अस्पताल को रेटिंग प्वाइंट व सर्टिफिकेट दिए जाएंगे। इसके लिए सिविल अस्पताल प्रबंधकों ने हर जोड़-तोड़ कर खूब व्यवस्थाएं कर दी है।सिविल अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में रखी व्हील चेयर और स्टेचर।मरीजों को करवाया VIP ट्रीटमेंट का अहसासटीम के निरीक्षण को देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने दिखावे के लिए व्यवस्थाओं को बदल दिया। हर वार्ड में मरीज की सुविधा के लिए इंतजाम किए गए थे। पहली बार अस्पताल में मरीजों को VIP ट्रीटमेंट की सुविधा महसूस कराई गई।अस्पताल के स्टाफ का व्यवहार मरीजों के प्रति बेहद शालीन रहा। इसको लेकर मरीज भी आर्श्चचकित दिखे। अस्पताल में बेहद अनुशासन प्रतीत कराया गया। टीम ने वार्डों का निरीक्षण किया और स्टाफ से सवाल जवाब भी किए। मरीजों से बात कर टीम ने अस्पताल की व्यवस्थाओं के बारे में बातचीत की।ओपीडी ब्लॉक में लगी लोगों की भीड़।यहां मरीजों को स्ट्रेचर नहीं मिलता था, अब गेट पर ही लगाए 8 स्ट्रेचरअकसर अपनी अव्यवस्थाओं को लेकर सुर्खियों में रहने वाले अस्पताल की व्यवस्था टीम के निरीक्षण को देखते हुए सुधर गई। जहां मरीजों को एक भी स्ट्रेचर नहीं मिलता था, वहां अब इमरजेंसी वार्ड के गेट पर 8 स्ट्रेचर तरतीब से लगा दिए गए। यहां पर व्हील चेयर तक रख दी गई। एक हेल्प डेस्क भी बनाया गया। पूरे वार्ड में सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त कर दी गई।प्रसूति वार्ड में बिना कार्ड के नहीं दी एंट्रीप्रसूति वार्ड में सबसे अधिक मरीजों की भीड़ रहती है। यहां वार्ड के बाहर से तमीरदारों को बाहर निकाल दिया गया। गेट पर दो महिलाओं को पूरे ड्रेस कोड़ के साथ गेट पर तैनात किया गया। ये बिना विजिटर कार्ड के तमीरदारों को अंदर नहीं आने दे रही थी। इस वार्ड में भी पूछताछ के लिए एक हेल्प डेस्क बना दिया गया। ये पहले कभी नहीं था।इमरजेंसी वार्ड के अंदर ही नहीं, बाहर भी रखी व्हील चेयर और स्टेचर।स्टाफ से पूछे गए कोड़अस्पताल प्रशासन एक माह से स्टाफ को विभिन्न प्रकार की तैयारियां करवा रहा था। स्टाफ से हाथ धोने, दस्ताने पहनने, कूड़ा निस्तारण, सीरिंज लगाने, मरीजों को इलाज देने, रिकॉर्ड मैनटेन करने, मरीजों को एक वार्ड से दूसरे वार्ड में ले जाने का तरीका पूछा।आपातकाल स्थिति में स्टाफ को किन कोड़ का इस्तेमाल करना है। वो कोड़ पहले ही अस्पताल को बता दिए गए थे। स्टाफ दिन भर इन कोड़ को रटते रहे। टीम ने कई स्टाफ कर्मचारियों से कोड़ भी पूछे। मरीजों से भी टीम ने बात की।एमरजेंसी वार्ड में फोर्थ क्लास नहीं, नर्सिंग स्टाफ लगा रहा टांकेअस्पताल के एमरजेंसी वार्ड में पहले जहां सड़क हादसे, लड़ाई-झगड़े आदि से सिर फूटे लोग पहुंचते थे, तो वहां उन मरीजों का अधिकांश इलाज चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी करते थे। पहले मरीजों को ये कर्मचारी ही टांके लगाते थे। अब इन कर्मचारियों को माइनर ओटी में जाने तक नहीं दिया जा रहा। यहां टांके नर्सिंग स्टाफ ही लगा रहा है।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.