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सड़कों की खामी दूर करने में नाकाम, हादसों पर कैसे लगेगी लगाम

भोपाल। मध्य प्रदेश में ब्लैक स्पाट सड़क दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण है। प्रदेश में इसको लेकर एजेंसियां तो तय की गई हैं, लेकिन इसके बाद भी सड़कों की हालत खराब है। पीडब्ल्यूडी, एमपीआरडीसी, एनएचएआइ, नगरीय विकास एवं आवास विभाग, गृह एवं परिवहन विभाग को अलग-अलग सड़कों की देखरेख, सुरक्षा और यातायात व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी गई है, लेकिन सड़कों की स्थिति में कोई खास सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। भोपाल क्षेत्र की तीन हजार 700 किलोमीटर सड़क का आडिट किया गया, जिसमें 194 ब्लैक स्पाट, 248 अवैध कट्स, 34 बाटल नेक एवं रोड डिजाइन में 76 कमियां मिलीं है। इसी तरह मालवा-विमाड़ अंचल की तीन 900 किमी सड़कों में 419 ब्लैक स्पाट, 273 अवैध कट मिले है। धार जिले में मुंबई-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर 13 वर्षों में एक हजार 23 दुर्घटनाएं हुईं। इनमें 411 लोगों की जान गई और दो हजार 700 घायल हुए। कमोबेश यही स्थिति ग्वालियर-चंबल अंचल की सड़कों की भी है। ग्वालियर हाइवे पर हर पांच किमी पर ब्लैक स्पाट्स हादसे का सबब बना हुआ है। अधिकतर दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में संकेतक भी नहीं लगे हैं। उधर, सरकार का दावा है कि साढ़े चार सौ ब्लैक स्पाट सुधारे जा चुके हैं। इससे दुर्घटनाओं में भी कमी आई है। निर्माण एजेंसियों के साथ इस दिशा में निरंतर कार्य किया जा रहा है।

भोपाल अंचल में 194 ब्लैक स्पाट
भोपाल अंचल की 3700 किमी सड़कों में 194 ब्लैक स्पाट, 248 अवैध कट्स, 34 बाटल नेक एवं रोड डिजाइन में 76 कमियां मिलीं है। इनमें भोपाल से लगे दस जिले छिंदवाड़ा, बैतूल, हरदा, नर्मदापुरम, सीहोर, विदिशा, सागर, गुना, राजगढ़ और अशोकनगर में 178 ब्लैक स्पाट, 230 अवैध कट्स, 32 बाटल नेक एवं रोड डिजाइन में 64 कमियां मिलीं। वहीं भोपाल जिले में ही 350 किमी की सड़कों पर 16 ब्लैक स्पाट, 18 अवैध कट, दो बाटल नेक एवं सड़क डिजाइन में 12 कमियां मिलीं। महाकोशल- विंध्य के 12 जिलों को जोडऩे वाले विभिन्न् मार्गों पर विशेषज्ञों के साथ सड़क पर उतरी। हमारी टीम ने पाया कि सड़कों के निर्माण में गुणवत्ता और संकेतकों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। जबलपुर- कंटगी सड़क मार्ग पर प्रत्येक किमी पर गड्ढे हैं। सड़क पर कई जगह यातायात संकेतक नहीं हैं। एनएच- 30 मंडला से जबलपुर बरेला के बीच पहाड़ की कटिंग सही नहीं होने के कारण निर्माण कार्य नहीं हो पा रहा है। इस सड़क के निर्माण कार्य को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने माफी मांगी थी। बावजूद इसके अब तक जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जबलपुर-नागपुर नेशनल हाइवे 44 में मोहगांव से खवासा तक 27 किमी सड़क के इको फ्रेंडली अंडरपास में गहरी गहरी दरारें उभर आई हैं।

3900 किमी सड़कों में 419 ब्लैक स्पाट
मालवा-निमाड़ अंचल के 13 जिलों की 3900 किमी सड़कों में 419 ब्लैक स्पाट और 273 अवैध कट और मिले। विशेषज्ञों ने इस संबंध में सुझाव दिए हैं। इन जिलों में अंधे मोड़ भी अधिक हैं। सबसे अधिक धार जिले में मुंबई-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित गणपति घाट पर 13 सालों में 1023 दुर्घटनाएं हुईं। इनमें 411 लोगों की जान गई और 2700 घायल हुए। दुर्घटनाओं का कारण अधिक ढलान है। इस तकनीकी कमी को समाप्त करने के लिए आठ किमी के हिस्से में फिर से नई सड़क बनाकर दुर्घटना को रोकने की योजना है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से वन भूमि पर सड़क बनाने की अनुमति मिलने का इंतजार है। देवास जिले में बरझाई घाट पर भी अधिक घुमावदार मोड़ दुर्घटनाओं का कारण है।

ग्वालियर हाइवे पर हर पांच किमी पर ब्लैक स्पाट्स
ग्वालियर-चंबल अंचल में हाइवे पर हर पांच किमी पर ब्लैक स्पाट्स से हादसे बढ़ रहे हैं। ग्वालियर में पीडब्ल्यूडी ने शीतला चीनौर स्टेट हाइवे को अधूरा छोड़ दिया है। अंधे मोड़ पर सड़क सकरी होने व घाटी से दुर्घटना क्षेत्र विकसित हो गए है। 34 किमी हिस्से में चार अंधे मोड़ है। नेशनल हाइवे 44 पर पांच, भिंड से गुजरने वाले नेशनल हाइवे 719, भिंड-गोपालपुरा स्टेट हाइवे, गोहद मार्ग और शहरी एवं नगरीय क्षेत्रों में लगभग 70 ब्लैक स्पाट हैं। शिवपुरी में एनएच 46 पर पांच और एनएच 27 पर सात ब्लैक स्पाट हैं, इनके कारण तीन साल में 86 मौत हो चुकी हैं। शिवपुरी-गुना के बीच लोगों ने सुविधानुसार कट बना लिए हैं। श्योपुर में पाली हाईवे पर 25 किलोमीटर की दूरी तक 145 गड्ढे हैं। मुरैना में नेशनल हाईवे 552 पर आठ जगह बोटलनेक की स्थिति बन गई है। कहीं निर्माण हो गए हैं। चंबल नदी राजघाट से बानमोर के निरावली तक 60 किमी सड़क पर 12 से अधिक और दतिया में नेशनल हाइवे 44 पर छह ब्लैक स्पाट हैं। सबसे खतरनाक ब्लैक स्पाट बड़ौनी तिराहे पर है। छतरपुर में 173 किमी लंबे झांसी-खजुराहो फोरलेन नेशनल हाइवे 39 पर आठ स्थानों पर नई विकसित हो रही कालोनियों के लोगों ने अवैध रास्ते कर लिए हैं। 21 किमी सटई रोड पर 29 छोटे-बड़े पुल-पुलिया हैं। टीकमगढ़ एनएच 539 पर चार और स्टेट हाइवे छतरपुर मार्ग पर तीन ब्लैक स्पाट हैं।

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