कहा आत्मज्ञान के बिना सब ज्ञान अधूरा है वेद शास्त्रों के बिना ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता
करनाल:अगोवर्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज इस समय भारत भ्रमण पर है। इसी कड़ी में सोमवार देर रात को जगद्गुरु शंकराचार्य करनाल पहुचे। आज वह करनाल में शाम 5 बजे सनात्म धर्म मंदिर में अंखड भारत को लेकर संकल्प गोष्ठी करेंगे जहां पर वहां श्रद्धलूओं को प्रवचन भी देगें। देर रात को वह करनाल की दयानंद कॉलोनी में पहुंचे जहां उन्होंने रात्री विश्राम किया। आज संकल्प गोष्ठी के बाद देर शाम को शंकराचार्य स्वामी कैथल के लिए रवाना होगें।जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज का आर्शीवाद लेते श्रद्धालु।पत्रकारों से बातचीत करते हुए जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने सत्य को बुलंद करने और सनातन धर्म के प्रचार प्रसार पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे बड़ा धर्म पूरे विश्व के किसी भी कोने में नहीं है। यह हमारा सौभाग्य है कि हमने सनातन धर्म में जन्म लिया है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म विश्व का सबसे बड़ा धर्म है। लेकिन आज धर्म के प्रचार प्रसार की जरूरत है। जो भी धर्म के काम को आगे बढ़ाएगा, ईश्वर उसे जल्द उसका फल देगा। मानवता की रक्षा करने का दूसरा नाम ही हिंदू धर्म है। कुछ नेता और लोग धर्म के नाम पर राजनीति करते हैं। जात पात में बांटकर अपने हित साधने में लगे रहते हैं, जो धर्म के विरुद्ध है। धर्म की राह पर चल कर ही मानव का कल्याण है। सनातन धर्म का पालन कर हिंदुत्व की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए।विश्राम के लिए जाते स्वामी।वेद शास्त्रों से चुराया गया ज्ञान-विज्ञानशंकराचार्य ने मोबाइल, रॉकेट, कंप्यूटर के आधुनिक युग में भी वेद शास्त्रों की प्रासंगिकता को गंभीरता से समझाया। उन्होंने कहा कि वेद शास्त्रों से ज्ञान-विज्ञान चुराया गया और आधुनिक यंत्रों का सृजन किया गया। डिग्री-डिप्लोमा लेकर भी मानव को रहता है कि उसने कुछ नहीं जाना-समझा। सीधा अर्थ है आत्मज्ञान के बिना सब ज्ञान अधूरा है। वेद शास्त्रों के बिना ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता। शंकराचार्य ने कहा कि भव का त्याग करने पर ही भगवान मिलते हैं। भगवान को पाकर हम भव के अधिपति बन सकते हैं।
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