ऑपरेशन के बाद 6 लोगों की चली गई थी आंख की रोशनी, बर्रा पुलिस ने शुरू की जांच
कानपुर: आंखों की रोशनी जाने के बाद अर्मापुर थाने में बैठे लापता परिजनों का।कानपुर में आंखों का ऑपरेशन के बाद छह लोगों के आंख की रोशनी जाने के मामले में बर्रा पुलिस ने दो डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। डॉक्टरों ने सीएमओ की बगैर अनुमति के कैंप का आयोजन किया था। इतना ही नहीं प्रत्येक मरीज से कैंप के नाम पर रुपए भी वसूले थे। ऑपरेशन के बाद कोई फॉलोअप भी नहीं किया और सभी के आंख की रोशनी चली गई। लापरवाही बरतने वाले डॉक्टरों के खिलाफ बर्रा पुलिस ने एफआईआर दर्ज करके जांच शुरू कर दी है।ऑपरेशन के बाद एक भी मरीज का नहीं लिया फॉलोअपडीसीपी साउथ प्रमोद कुमार ने बताया कि 11-W-2 बर्रा बाईपास चौराहा पर आराध्या आई हॉस्पिटल है। संचालक नीरज गुप्ता ने 2 से 6 नवंबर के बीच राजाराम कुरील, रमेश कश्यप, नन्ही उर्फ मुन्नी, सुल्ताना, शेर सिंह और रामादेवी समेत छह मरीजों के आंख का ऑपरेशन किया था। ये सभी शिवराजपुर के सुधरदेवा गांव के रहने वाले हैं। इन सभी को उत्तरी निवासी दुर्गेश शुक्ला सरकारी कैंप का होने का झांसा देकर हॉस्पिटल में ऑपरेशन के नाम पर लाए थे। ऑपरेशन के बाद छह में चार मरीजों की आंख की रोशनी ही चली गई।इतना ही नहीं ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने एक भी मरीज का फॉलोअप तक नहीं किया। ऑपरेशन के बाद किसकी आंख में क्या दिक्कत आई, क्यों ऑपरेशन के बाद परेशानी बढ़ गई। मरीज तड़पते रहे, लेकिन ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने अपना पल्ला झाड़ लिया।मामला सामने आने के बाद सीएमओ ने कमेटी बनाकर जांच का आदेश दिया था। जांच कमेटी की रिपोर्ट में अराध्या हॉस्पिटल की अस्पताल की घोर लापरवाही सामने आई है। इसके बाद जांच कमेटी में शामिल डॉ. एसके सिंह की तहरीर पर बर्रा पुलिस ने अराध्या हॉस्पिटल के संचालक और मरीज लाने वाले दलाल दुर्गेश के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज करके जांच शुरू कर दी है।मोतियाबिंद ऑपरेशन का सिंडीकेट शहर में फैलापुलिस की प्राथमिक जांच में सामने आया है कि पूरे शहर में आई हॉस्पिटल में कैंप के नाम पर दलाल और हाॅस्पिटल संचालकों ने मकड़जाल बिछा रखा है। मरीजों की आंखों का ऑपरेशन करने के बाद मरीजों से भी पैसे वसूले जाते हैं। इसके बाद सरकारी योजनाओं का भी लाभ दिया जाता है। गांव-गांव से मरीज लाने वाले दलाल से लेकर मरीजों के ऑपरेशन कराने का सिंडीकेट पूरे शहर में फैला हुआ है।इन धाराओं में दर्ज हुई FIRआईपीसी की धारा 338: जो भी कोई किसी व्यक्ति को उतावलेपन या उपेक्षापूर्वक ऐसे किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, गंभीर चोट पहुँचाना कारित करता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या एक हजार रुपए तक का आर्थिक दण्ड भी लगाया जा सकता है।आईपीसी की धारा 149: जो कोई मॄत्यु से दंडनीय कोई अपराध करने के लिए गॄह-अतिचार करेगा, वह 1[आजीवन कारावास] से, या कठिन कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष से अधिक नहीं होगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।
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