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पहली बार कांग्रेस ने दर्ज की थी जीत, दूसरी बार निर्दलीय प्रत्याशी को नहीं मिला था एक भी वोट, कायम है रिकॉर्ड

मैनपुरी: उत्तर प्रदेश के जनपद मैनपुरी का सियासी इतिहास आजादी के बाद हुए लोकसभा चुनाव में अपने आप में अनूठा है। इतिहास अनूठा इसलिए भी माना जा रहा है, क्योंकि आजादी मिलने के बाद पहले लोकसभा चुनाव में यहां पर कांग्रेस ने बाजी मारी थी। वहीं, दूसरे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। जीत हार का फैसला तो जनता तय करती है। लेकिन मैनपुरी के इतिहास में आजादी के बाद दूसरे लोकसभा चुनाव में एक प्रत्याशी को एक भी वोट न मिलना का अनोखा रिकार्ड बना था। यह रिकॉर्ड मैनपुरी के चुनावी इतिहास में आज भी दर्ज है।देश को आजादी मिलने के बाद साल 1952 में हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट से बादशाह गुप्ता ने जीत दर्ज की थी। वह उस समय कांग्रेस के प्रत्याशी थे। जबकि उस दौर की प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी बंसी दास धनगर दूसरे स्थान पर रहे थे। इसके बाद हुए साल 1957 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने दोबारा बादशाह गुप्ता को अपना प्रत्याशी बनाया, लेकिन वह प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी बंसी दास धनगर से चुनाव हार गए। बंसी दास धनगर ने बादशाह गुप्ता को 3830 वोटों से करारी हार दी।निर्दली प्रत्याशियों ने कांग्रेस का बिगाड़ा था खेललोकसभा चुनाव में लड़े अन्य प्रत्याशियों में बीजेएस के प्रत्याशी जगदीश सिंह और निर्दलीय प्रत्याशी मनीराम व पुत्तू सिंह ने अच्छे वोट प्राप्त किए। निर्दलीय के रूप में मनीराम, पुत्तू सिंह व शंकरलाल उम्मीदवार थे। बताया जा रहा है इन प्रत्याशियों द्वारा काटे गए वोटों के कारण कांग्रेस के प्रत्याशी बादशाह सिंह को चुनावी रण में हार का सामना करना पड़ा था।प्रत्याशी को नहीं मिला एक भी वोटऐसे में निर्दलीय लड़े प्रत्याशी शंकर लाल को चुनाव में एक भी वोट प्राप्त नहीं हुआ था। बताया यह भी जा रहा है कि शंकरलाल के द्वारा डाला गया वोट भी निरस्त हो गया था। जिसके चलते मैनपुरी में अनोखा रिकार्ड दर्ज हुआ था।

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