बोले- मांगें पूरी न होने तक नहीं उठेंगे, जत्थेबंदियों के शामिल होने पर बढ़ेंगी परेशानी
जालंधर: किसानों ने जिला प्रशासन को दो टूक कह दिया है कि जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती वह धरना लगातार जारी रखेंगे। इसी बीच यह भी पता चला है कि धरने में जिले की और भी किसान जत्थेबंदियां अपनी शमूलियत कर सकती हैं। इससे प्रशासन और डीसी ऑफिस में काम करवाने के लिए आने वाले लोगों की परेशानियां बढ़ सकती हैं।पुलिस ने डीसी ऑफिस के गेट किए बंदडीसी ऑफिस में ट्रैक्टर ट्रॉलियों की रोकने के लिए पुलिस ने डीसी ऑफिस के गेटों को बंद कर दिया है। पुलिस गेट इसलिए बंद किए हैं ताकि किसान डीसी ऑफिस परिसर में अपने ट्रैक्टर-ट्रॉलियां लगाकर कोई परेशानी न खड़ी कर सकें। हालांकि कुछ ट्रैक्टर-ट्रॉलियां किसानों ने डीसी ऑफिस के अंदर खड़ी भी कर रखी हैं। हालांकि ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के प्रवेश को लेकर डीसी ऑफिस के गेटों पर लगाए गए तालों को लेकर किसान नेताओं की पुलिस अधिकारियों के साथ बहस भी हुई।किसानों के धरने में शामिल महिलाएंकिसान महिलाओं ने भी शिरकतधरने में किसान-मजदूर संघर्ष कमेटी के महिला विंग ने भी धरने में शिरकत की है। महिलाओं ने भी धरने में शामिल होकर सरकार और पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। महिलाओं का यह जत्था लफीमपुर (गुरु तेग बहादुर नगर) से धरने में शामिल होने के लिए पहुंचा था। किसान महिलाओं का कहना था कि सरकार वादा करके मुकर रही है। पंजाब की सरकार केंद्र सरकार के पद चिन्हों पर काम कर रही है।शहीदों के परिजनों को नौकरी और मुआवजा दे सरकारकिसान-मजदूर संघर्ष कमेटी के जिला प्रधान सलविंदर सिंह जाणियां और सूबा संगठन के सचिव सुखविंदर सिंह सभरा ने कहा कि पंजाब सरकार ने किसान जत्थेबंदियों के साथ वादा किया था कि दिल्ली में मोर्चे के दौरान जो किसान शहीद हुए हैं, उनके परिजनों को पांच लाख मुआवजा और एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी। सरकार अब अपने वादे से मुकर रही है।डीसी ऑफिस में नारेबाजी करते किसान-मजदूरहाईवे में जा रही जमीनों का मिले समान मुआवजाकिसान नेताओं का कहना है कि पंजाब में बनने जा रहे विभिन्न हाईवे के लिए किसानों की जमीनों के एक्वायर किया जा रहा है। किसान नेताओं ने कहा कि हाईवे में जा रही जमीनों का किसानों को एक समान मुआवजा नहीं मिल रहा है। किसानों को मार्किट रेट से 6 गुणा ज्यादा मुआवजा दिया जाए।जमीनों कुर्की बंद करे सरकारकिसान नेताओं ने कहा कि किसानों पर झूठे पर्चे दर्ज किए हैं। कर्ज में डूबे किसानों की जमीनें कुर्क की जा रही है। राज्य में पराली का कोई प्रबंधन नहीं है। किसानों को पराली जलाने पर जुर्माने डाले जा रहे हैं, राजस्व रिकार्ड में उनकी रेड एंट्री की जा रही है। सरकार यह सब तुरंत प्रभाव से बंद करे। किसान नेताओं ने कहा कि इस बारे में पहले भी कई बार वह सरकार को अपना मांगपत्र भेज चुके हैं।पानी और पर्यावरण की चिंताडीसी ऑफिस जालंधर में धरने पर बैठे किसानों का कहना है कि सरकार का पंजाब के पानी को बचाने की तरफ कोई ध्यान नहीं है। भूजल से लेकर नदियों का पानी दिन प्रतिदिन प्रदूषित होता जा रहा है। चिट्टी बेईं, सतलुज, ब्याज आदि दरियाओं में जालंधर, लुधियाना, फिल्लौर समेत अन्य शहरों में सीवरेज का गंदा पानी प्राकृतिक स्रोतों को दूषित कर रहा है। इसको ट्रीट कर नहरों से खेतीबाड़ी के लिए दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए सड़कों को किनारे पेड़ पौधे लगाए जाएं।बिजली एक्ट 2022 का विरोधकिसानों ने कहा कि वह बिजली एक्ट 2022 का विरोध करते हैं। इसके अलावा किसानों की मांग है कि पहल के आधार पर डॉ. स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू किया जाए। किसान नेताओं ने कहा कि पंजाब सरकार ने किसान संगठनों के साथ किसान आंदोलन और चुनाव के दौरान जो वादे किए थे उन्हें तुरंत प्रभाव से लागू करे।
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