छत्तीसगढ़ के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. आशीष तिवारी बने इंटरनेशनल राइटर
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. आशीष तिवारी इंटरनेशनल पब्लिकेशन एल्सेवियर के राइटर बन गए हैं। उन्होंने इस कंपनी के लिए केमेस्ट्री की एक बुक फंक्शनल मैटेरियल फ्रॉम कार्बन इनॉर्गेनिक एंड आर्गेनिक सोर्सेज, मेथड्स एंड एडवांसेज लिखी है, जिसकी मार्केट में 21 हजार रुपए कीमत है। डॉ. तिवारी ने बताया कि यह बुक एनर्जी एप्लीकेशन के आधुनिक और नए सोर्स पर रिसर्च करने के लिए काम आएगा। पहले बल्ब का उपयोग होता था और अब एलईडी का उपयोग होने लगा है। वैसे ही एनर्जी के नए सोर्स ओ एलईडी, सोलर सेल की एप्लीकेशन, बायोमेडिकल, बायोएनर्जी, बिल्डिंग मटेरियल सहित नए जमाने के मटेरियल्स को कंपाइल कर लिखा गया है।
राजेंद्र नगर निवासी और साइंस कॉलेज के रिटायर्ड प्रोफेसर अरुण तिवारी के बेटे डॉ. आशीष तिवारी जांजगीर-चांपा जिले के पामगढ़ के डॉ. भीमराव अंबेडकर गवर्नमेंट कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। उन्होंने ई. राघवेंद्र राव साइंस कॉलेज में एमएससी की पढ़ाई की। इसके साथ ही उन्होंने केमिकल साइंस में नेट और फिर पीएचडी की उपाधि हासिल की। फिर कॉलेज स्टूडेंट से टीचर का सफर शुरू किया। केमेस्ट्री के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. तिवारी शुरू से ही रिसर्च बेस्ड पढ़ाई करते रहे हैं। यही वजह है कि अब तक उनकी 24 इंटरनेशनल शोध प्रकाशित हो चुके हैं।
पहली बार इंटरनेशनल पब्लिकेशन में राइटर बनने मिला मौका
असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. तिवारी ने बताया कि रसायन शास्त्र की पुस्तक अंतरराष्ट्रीय पब्लिकेशन एल्सेवियर में संपादक के रूप में उनकी बुक प्रकाशित हुई है। इस किताब का शीर्षक फंक्शनल मैटेरियल्स फ्रॉम कार्बन,इनॉर्गेनिक, एंड ऑर्गेनिक सोर्सेज, मेथड्स एंड एडवांसेज है। उन्होंने बताया कि ये एडिटेड बुक इलेक्ट्रॉनिक और ऑप्टिकल मैटेरियल के अंतर्गत प्रकाशित हुई है। इस पुस्तक में भारत के इलावा विदेशों के प्रमुख वैज्ञानिकों ने चैप्टर लिखें है। जिनमे प्रमुख रूप से अमेरिका, साउथ अफ्रीका, चीन, थाईलैंड, श्रीलंका, सिंगापुर, इत्यादि देश शामिल हैं।
डॉ. तिवारी को मिल चुका है यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड
डॉ. तिवारी शासकीय महाविद्यालय पामगढ़ में 2017 से कार्यरत हैं एवं सतत रूप से रिसर्च एवं पब्लिकेशन में सक्रिय हैं। इनके अब तक 24 अंतरराष्ट्रीय शोध लेख प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी तीन अंतरराष्ट्रीय पुस्तकों में बुक चैप्टर प्रकाशित हो चुके हैं। इन्हे छत्तीसगढ़ सांइस एवं प्रौद्योगिकी की ओर से 2012 में यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है, जिसमें उन्हें राज्यपाल ने सम्मानित किया था।
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