16 दिसंबर को फ्रांस की कंपनी के साथ समझौता; जनवरी में टेंडर की संभावना
चंडीगढ़। चंडीगढ़ के वासियों को शहर में 24 घंटे लगातार पीने के पानी की सुविधा 2028 तक प्राप्त होगी। पिछले 7 सालों से इस महत्त्वकांक्षी प्रोजेक्ट पर चंडीगढ़ नगर निगम लगा हुआ है। इस प्रोजेक्ट को लेकर अब 16 दिसंबर को निगम और फ्रांस सरकार के एजेंसे फ्रांसेंस डी डेवलपमेंट(AFD) के बीच अंतिम समझौते पर दस्तखत होंगे। लंबे समय से शहरवासी इस प्रोजेक्ट के शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। चंडीगढ़ नगर निगम के मुताबिक वह जनवरी में इस प्रोजेक्ट को लेकर टेंडर जारी कर सकते हैं। जिस एजेंसी को यह प्रोजेक्ट शुरू करने का काम दिया जाएगा उसे पांच वर्षों में इसे पूरा करना होगा। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि वर्ष 2028 तक शहर को 24 घंटे पीने का पानी मिल पाएगा।आज से 7 वर्ष पहले इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी। चंडीगढ़ के प्रशासक बीएल पुरोहित ने बीते वर्ष 14 नवंबर को मनीमाजरा में इस प्रोजेक्ट की आधारशिला भी रखी थी। इसी वर्ष 14 सितंबर को क्रेडिट फैसिलिटी एग्रीमेंट(CFA) को लेकर केंद्र के इकोनॉमिक अफेयर्स विभाग तथा फ्रैंच एजेंसी के बीच दस्तखत हुए थे।412 करोड़ की मंजूरी और 100 करोड़ की ग्रांट512 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट को लेकर AFD ने लोन के रूप में 412 करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी। 15 सालों में यह लोन चुकाया जाना है। वहीं यूरोपियन यूनियन इस प्रोजेक्ट के लिए 100 करोड़ रुपए की ग्रांट भी दे रही है। चंडीगढ़ प्रशासन ने प्रोजेक्ट को लेकर AFD के साथ वर्ष 2016 में एक मैमोरैंडम ऑफ अंडरस्टेंडिंग(MoU) पर दस्तखत किए थे। उस समझौते के तहत AFD चंडीगढ़ में पानी की सप्लाई, सेनिटेशन और वेस्ट मैनेजमेंट और अन्य सेक्टर्स पर सहयोग के लिए राजी हुआ था।इस प्रकार देगा सेवाएंशहरवासियों को 24 घंटे पीने का पानी निगम अपने मौजूदा स्रोतों से ही मुहैया करवाएगा। वहीं सभी ट्यूबवैल्स को प्रयोग में लाया जाएगा। इसके लिए 269 किमी. की पाइप लाइन बदली जाएगी। इस प्रोजेक्ट को लेकर लोगों के घरों में पानी के स्मार्ट मीटर लगाए जाएगें। स्मार्ट मीटर की मदद से शहरवासी(उपभोक्ता) इस्तेमाल होने वाले पानी की मॉनिटरिंग कर पाएंगे। इससे उनका बिल भी कम आएगा।पानी की बर्बादी रुकेगीइस प्रोजेक्ट को लाने का एक उद्देश्य शहर में पानी की बर्बादी को रोकना भी है। 24 घंटे पानी आने से इसकी स्टोरेज कम होगी और हाई-प्रेशर सप्लाई होगी। वहीं इससे पानी के स्रोतों में बढ़ोत्तरी होगी और लीकेज कम होगी। ग्राउंड वाटर पर निर्भरता भी कम होगी। एक जानकारी के मुताबिक शहर में रोजाना 30 प्रतिशत पीने के पानी की बर्बादी होती है। उर्जा खपत की मॉनिटरिंग भी की जा सकेगी। पानी की खपत, पानी का स्तर और रियल-टाइम बेसिस पर वॉटर फ्लो रेट्स को जांचने के लिए सप्लाई सिस्टम में सेंसर होगा।पानी का असमान वितरणजानकारी के मुताबिक मौजूदा समय में शहर के उत्तरी और दक्षिणी सेक्टरों में पानी का असमान वितरण है। एक ओर जहां सेक्टर 2,3,4,5,7,8 और 9 में प्रति व्यक्ति 1 हजार लीटर का वितरण है वहीं सेक्टर 33, 34, 35, 36 और 49 में 400 लीटर प्रति व्यक्ति वितरण किया जा रहा है।
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