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इधर पुलिस की भाषा अभी भी धक्का मुक्की वाली, पुलिस के इस व्यवहार से छात्रों में रोष

करनाल: आम आदमी पुलिस को दोस्त समझे। संवेदी पुलिस। कम्युनिटी पुलिसिंग। यह कुछ ऐसे काम है, जिसके माध्यम से पुलिसकर्मियों के ठेठ व्यवहार को सही कर उन्हें संवेदनशील बनाने की कोशिश हुई। लेकिन पुलिस के ज्यादातर कर्मी अभी भी पारंपरिक रवैये को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। चाहे भीड़ को काबू करना हो, या फिर आम लोगों के प्रति व्यवहार, पुलिस का रवैया अभी भी भी वैसा ही है। वह भी तब जब DGP पीके अग्रवाल ने हिदायत जारी की थी कि पुलिसकर्मी आम लोगों को सर से संबोधित करते हुए सौम्यता से पेश आएंगे।लेकिन शनिवार को सिविल लाईन थाना के SHO ललित कुमार ने मेडिकल स्टूडेंट्स के साथ जो किया, उससे एक बार फिर पुलिस के रवैये पर सवाल उठ रहे हैं। जिस तरह से थाना प्रभारी ने स्टूडेंट्स को धक्के मारे, इससे उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। दूसरी ओर जिस छात्र के साथ थाना प्रभारी ने यह व्यवहार किया, वह भी बेहद सदमे में हैं। उसने बताया कि उम्मीद ही नहीं थी कि पुलिस उनके साथ इस तरह का व्यवहार भी करेंगी। वह तो शांतिपूर्वक अपनी बात रखने के लिए जा रहे थे। वह न तो किसी का रास्ता रोक रहे थे, न ही किसी तरह की ऐसी हरकत कर रहे थे कि कानून व्यवस्था बिगड़े। ​​​​​​​इस स्टूडेंट्स ने बताया कि थाना प्रभारी को भी उन्होंने बताया कि वह तो अपनी मांगों का ज्ञापन देंगे, इसके बाद वापस चले जाएंगे। लेकिन उनकी एक भी बात उन्होंने नहीं सुनी।MBBS स्टूडेंट का पकड़ता SHO।इस व्यवहार से आहत हूं​​​​​​​छात्र ने बताया कि उसे धक्का दिया गया। यह सब कुछ अचानक हुआ। इस घटनाक्रम के बाद वह काफी आहत है। समझ नहीं पा रहा हूं कि आखिर क्यों पुलिस उनके साथ इस तरह का व्यवहार कर रही है। वह कोई शरारती तत्व नहीं है। आल इंडिया लेवल की नीट परीक्षा को पास कर वह यहां पहुंचे हैं। वह पढ़ाई, तमीज और समझ में किसी भी कम नहीं है। इसके बाद भी उनके साथ ऐसा व्यवहार, जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की थी। क्या अपनी मांगों के लिए आवाज उठाना भी गलत है। क्या हमें इतनी भी इजाजत नहीं है।उम्मीद नहीं थी पुलिस ऐसा करेगी​​​​​​​प्रदर्शनकारी स्टूडेंट्स ने बताया कि उन्हें उम्मीद ही नहीं थी कि पुलिस उनके साथ ऐसा व्यवहार करेगी। वह तो सोच रहे थे कि हद से हद उन्हें वहां से हटा दिया जाएगा। वह हटने के लिए तैयार भी थे। क्योंकि उनकी पढ़ाई का हिस्सा है कि किस तरह से सामने वाले के साथ पेश आना है। उन्हें पता है कि कब कहां कैसे और क्या करना है। इसलिए इस तरह से धक्का मुक्की का तो सवाल ही नहीं उठता।छात्रों व पुलिस बीच होती कहासुनी।SHO को मांगनी चाहिए माफी​​​​​​​प्रदर्शनकारी स्टूडेंट्स ने बताया कि SHO ने जो व्यवहार उनके साथ किया है, इसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए। भले ही उन्होंने जो भी सोचा हो, लेकिन उनका यह व्यवहार सही नहीं है। उन्हें यह भी सोचना चाहिए कि अब वक्त बदल रहा है। पुलिस को भी अपने काम का तरीका बदलना चाहिए। पुलिस सिर्फ किसी नेता की सुरक्षा के लिए ही नहीं है, पुलिस के एजेंडे में हर किसी की सुरक्षा शामिल है। इसके साथ ही पुलिस को आम आदमी का सम्मान करना भी सीखना चाहिए। यदि पुलिस ऐसा नहीं करती तो समझा जा सकता है कि पुलिस किस तरह से काम कर रही है।शहर में भी हो रही आलोचना​​​​​​​यूथ फॉर चेंज के अध्यक्ष वीरेंद्र राठौर ने कहा कि तो क्या पुलिस दबाव की भाषा ही समझती है। यदि बच्चों की संख्या कम है तो पुलिस इस तरह से बल प्रयोग करेगी। नहीं पुलिस का यह रवैया स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। होना तो यह चाहिए कि DGP को सोचना चाहिए कि क्या पुलिस को प्रशिक्षण दिया जाए कि वह संवेदनशील बने। पुलिस आम जनता के लिए हैं। यदि पुलिस इस तरह से व्यवहार करती है तो आम आदमी से क्या उम्मीद की जा सकती है। फिर तो कम्युनिटी पुलिस की जो अवधारणा है, वह बस भाषण और बातचीत तक सीमित है। उसे अमली जामा पहनाने की दिशा में कुछ नहीं हो रहा है।प्रदर्शन के दौरान बीच रास्ते पर धरने पर बैठे छात्र।रास्ते के बीच में बैठे थे छात्र​​​​​​​इस संबंध में जब SHO ललित कुमार से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि जिस रास्ते पर छात्र बैठे थे वहां पर से विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता को आना था। इस दौरान रास्ते को खुलवाने के लिए छात्रों को पहले साइड होने की अपील की गई। लेकिन वह नहीं मानें। वह रास्ते से खाली छात्रों को साइड कर रहे थे। किसी छात्रों को धक्का देने की उनकी मंशा नहीं थी। काफी समझाने के बाद भी जब छात्र रास्ते से नहीं हटे तो दूसरे रास्ते से VC अध्यक्ष को कार्यक्रम स्थल पर लाया गया और कार्यक्रम के बाद छात्रों को अध्यक्ष से मिलवाया भी गया।

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