मदनवाड़ा नक्सल हिंसा की न्यायिक जांच पूरी, आयोग ने CS को सौंपी रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में 2009 में हुए मदनवाड़ा नक्सल हिंसा की न्यायिक जांच पूरी हो गई है। न्यायाधीश शंभुनाथ श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट मुख्य सचिव अमिताभ जैन को सौंप दी है। मुख्य सचिव अब इसे कैबिनेट के सामने रखेंगे। इसके बाद सरकार विधानसभा के बजट सत्र में इसे सदन में पेश कर देगी। न्यायिक जांच आयोग के निष्कर्षों और सिफारिशों पर एक्शन की जिम्मेदारी अब राज्य सरकार पर है। महाराष्ट्र की सीमा से लगे मानपुर-मोहला क्षेत्र के स्टेट हाइवे से सात किमी दूर कोरकोट्टी मार्ग पर नक्सलियों ने एंबुस में फंसाकर कर पुलिस जवानों पर अंधाधुंध फायरिंग की थी, जिसमें जिले के एसपी सहित 29 जवानों की शहादत हुई थी।
नक्सली मदनवाड़ा में बनाए जा रहे पुलिस के बैस कैंप से नाराज थे। कैंप के पास दो जवान को नक्सलियों ने पहले अपना निशाना बनाया था। नक्सली हमले की सूचना पर तत्कालीन राजनांदगांव पुलिस अधीक्षक विनोद चौबे भी मौके पर पहुंच थे। मदनवाड़ा जाने वाले स्टेट हाइवे से सात किमी दूर लगभग 300 नक्सलियों ने जवानों को एम्बुस में फंसाया था। जवान जैसे ही एंबुस में फंसे नक्सलियों ने ब्लास्ट के बाद अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी थी। नक्सली हमले में एसपी विनोद चौबे सहित 29 पुलिस कर्मी शहीद हो गए थे। 25 जवान कोरकोट्टी के जंगलों में, दो जवान मदनवाड़ा में और जवानों का शव लाते समय दो पुलिसकर्मी नक्सली हमले में शहीद हुए थे। नक्सलियों ने जवानों के रायफल, पिस्टल सहित हथिया लूट लिए थे। नक्सलियों का तांडव दो घंटे तक जारी रहा। मामले में मानपुर थाना में अपराध दर्ज किया गया था।
सितंबर 2019 में सीएम भूपेश बघेल ने बिलासपुर में शहीद विनोद चौबे की प्रतिमा के अनावरण के दौरान जांच की घोषणा की थी। इस कार्यक्रम में शहीद IPS विनोद कुमार चौबे की पत्नी रंजना चौबे और कांग्रेस नेता अटल श्रीवास्तव ने सीएम को जांच की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा था। 11 सालों में थाना स्तर और विभागीय स्तर पर ही इस घटना की जांच की गई थी, जिसमें इसे नक्सली घटना बताया गया।
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