त्रिपुरा में माकपा और कांग्रेस ने अपना अस्तित्व बचाने के लिए हाथ मिलाया
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने त्रिपुरा में माकपा और कांग्रेस के गठबंधन में चुनाव लड़ने को लेकर दावा किया कि इन दोनों दलों ने राज्य के विकास के लिए नहीं बल्कि अपना अस्तित्व बचाने के लिए हाथ मिलाया है।
नड्डा ने गोमती जिले के अमरपुर में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा “हमारे विरोधी देश या राज्य के विकास के लिए नहीं बल्कि अपने अस्तित्व को बचाने के लिए एकसाथ आए हैं। दो अलग-अलग संस्थाएं अब एक हो गई हैं।” उन्होंने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले पांच वर्षों में समग्र विकास किया और कानून व्यवस्था में सुधार के लिए जबरदस्त काम किया।
नड्डा ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य में 2018 के विधानसभा चुनावों से पहले उग्रवाद हिंसा और सड़कों पर नाकेबंदी होती थी लेकिन डबल इंजन सरकार ने 2019 में प्रतिबंधित विद्रोही समूह ‘नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा के साथ समझौता करके राज्य में शांति सुनिश्चित की।
उन्होंने कहा “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 600 करोड़ रुपये खर्च करके 37000 ब्रू शरणार्थियों को बसाया। भाजपा राज्य का पूरी क्षमता से विकास चाहती है। अगरतला-अखौरा रेलवे परियोजना से राज्य के व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।”
पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में यह पहली बार है कि 25 साल तक त्रिपुरा में शासन करने वाला माकपा नीत वाम मोर्चा कांग्रेस के साथ गठबंधन में 60 सदस्य विधानसभा का चुनाव लड़ रहा है। वाम मोर्च 2018 के विधानसभा चुनाव में हार गया था। जिसके बाद उसके 25 साल के शासन का अंत हो गया था।
माकपा 43 सीट पर चुनाव लड़ रही जबकि वाम मोर्चा के अन्य घटकों – फॉरवर्ड ब्लॉक आरएसपी और भाकपा ने एक-एक सीट पर उम्मीदवार खड़े किए हैं। वाम मोर्चा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही कांग्रेस ने 13 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। वाम मोर्चा रामनगर विधानसभा सीट पर एक निर्दलीय उम्मीदवार का समर्थन कर रहा है।
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