भाजपा सरकार की अदानी के पक्ष में क्रोधी कैपिटलीज्म की नीति की पोल खोल दी:पुनम
कटिहार। हिंडनबर्ग की हालिया रिपोर्ट में प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा सरकार की अदानी के पक्ष में क्रोधी कैपिटलीज्म की नीति की पोल खोल दी है। गहरे आर्थिक संकट के समय में, पीएम मोदी देश के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को अदानी समूह को बेच रहे हैं, देश की विदेश नीति को झुका रहे हैं और एसबीआई और एलआईसी जैसे सार्वजनिक संस्थानों को निवेश करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। हाल के खुलासे ने गरीब और मध्यम वर्ग के भर्तियों की करोड़ों की बचत को खतरे में डाल दिया है। अब जरूरत है कि हम अपने संचार को तेज करें और इस मुद्दे को लोगों तक ले जाए।
उपरोक्त बातें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य पूर्व विधायक पूनम पासवान ने कटिहार जिला अतिथिगृह में प्रेस वार्ता के दौरान कही।
इस मौके पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रेम राय पूर्व विधायक सतनारायण प्रसाद मुख्य रूप से मौजूद रहे।
जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रेम राय ने कहा कि देश में बढ़ती महंगाई, उच्चतम बेरोजगारी और कुशासन की विफलताओं से जनता का ध्यान हटाने के लिए सरकार द्वारा प्रायोजित विभाजनकारी एजेंडे का दंश झेल रहे देशवासियों के साथ कांग्रेस पार्टी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। लेकिन एक जिम्मेदार विपक्षी दल होने के नाते हम भाजपाई सत्ता के मित्र पूंजी पतियों को सरकारी खजाने की लूट की खुली छूट और प्रधानमंत्री से संबंधित इस पूरे अदानी महाघोटाले में हो रहे घोटालों से भी चिंतित हैं। इसलिए हम सरकार को उसकी जिम्मेदारी से भागने की इजाजत नहीं दे सकते और आज हम अदानी के है कौन।आज इसी श्रृंखला में देश के 23 प्रमुख शहरों में प्रेस वार्ता हो रही है। सरकार ने श्री राहुल गांधी जी के सवालों और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे जी के भाषण के अंशों को बेशक संसदीय करवाई से हटा दिया हो लेकिन भारत के लोग सब देख रहे हैं कि संसद में क्या हो रहा है। लोग जानना चाहते हैं कि सरकार संसदीय भाषणों का स्तर गिराने की कोशिश क्यों कर रही है और प्रधानमंत्री संसद में प्रासंगिक सवालों के जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं।
देशवासी जानना चाहते हैं कैसे एक संदिग्ध खास वाला समूह, जिस पर टैक्स हेवन देशों से संचालित विदेशी शेल कंपनियों से संबंधों का आरोप है, भारत की संपत्तियों पर एक आधिपत्य स्थापित कर रहा है और इस सब पर सरकारी एजेंसियां या तो कोई कार्रवाई नहीं कर रही है या इन सब संदिग्ध गतिविधियों को ही सुगम बनाने में जुटी है। भारत के लोग बहुत बुद्धिमान है और वे मोदी जी और उनके मित्र पूंजीपतियों के बीच संपूर्ण पारस्परिक तालमेल को समझ सकते हैं।वे जानना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री ने एक मित्र पूंजीपति को विश्व के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बनाने में मदद क्यों की और वे इस गंभीर अंतरराष्ट्रीय खुलासे पर चुप क्यों हैं?
हम किसी व्यक्ति के दुनिया के अमीरों की सूची में 609 वें से दूसरे स्थान पर पहुंचने के खिलाफ नहीं हैं लेकिन हम निसंदेह सरकार द्वारा प्रायोजित निजी एक अधिकारों के खिलाफ हैं, क्योंकि वह जनता के हितों के विरुद्ध होते हैं। विशेष तौर पर हम टैक्स हेवन देशों से आपत्तिजनक संबंधों धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे एक खास व्यक्ति द्वारा हमारी अंतरराष्ट्रीय सद्भावना और राष्ट्रीय संसाधनों का लाभ उठाते हुए एकाआधिपत्य स्थापित करने के खिलाफ हैं।
कांग्रेस जानना चाहती है कि मोदी सरकार इस मुद्दे पर जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति बनाने से क्यों डर रही है जबकि संसद के दोनों सदनों में उसका अच्छा बहुमत है। प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता में आने से पहले काला धन भारत वापस लाने और हर नागरिक के बैंक खाते में 15 से 20 लाख रुपए डालने का वादा किया था लेकिन आज की कड़वी सच्चाई इसके बिलकुल विपरीत है स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक के पिछले वार्षिक डाटा के मुताबिक 2021 में स्विस बैंकों में जमा भारतीय व्यक्तियों और कंपनियों का पैसा 14 वर्षों के उच्चतम स्तर 3.83 बिलियन स्विफ्ट फरैक्स 30500 करोड़ से अधिक पर पहुंच गया है। कांग्रेस जानना चाहती है कि टैक्स हेवन देशों से संचालित होने वाली विदेशी शेल कंपनियों से भारत आने वाले काला धन का असली मालिक कौन है? क्या हुआ तेरा वादा वो कसम वो इरादा? काले धन पर प्रधानमंत्री के वादे का क्या हुआ?
प्रधानमंत्री ने कई बार भ्रष्टाचार से लड़ने में अपने निष्ठा और नियत की बातें की है लेकिन उनके करीबी मित्र स्पष्ट तौर पर से अवैध कार्यों में लिप्त हैं और आमतौर पर माफिया आतंकी और शत्रु देश रहते हैं।
बरसों से प्रधानमंत्री मोदी ने ईडी सीबीआई और खुफिया राजस्व निदेशालय जैसी कंपनियों का दुरुपयोग अपने राजनीतिक या सैद्धांतिक प्रतिद्वंद्वियों को डराने धमकाने के लिए किया है, साथ ही उन व्यापारिक घरानों को दंडित करने के लिए भी किया है जो उनके पूंजीपति मित्रों के वित्तीय हितों के अनुरूप नहीं है।
1992 में हर्षद मेहता मामले की जांच के लिए जेपीसी का गठन हुआ था जब जबकि 2001 में 1 जेपीसी ने केतन पारेख मामले की जांच की थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई दोनों को करोड़ों भारतीय निवेशको को प्रभावित करने वाले घोटालों की जांच के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों पर विश्वास और भरोसा था। प्रधानमंत्री मोदी को किस बात का डर है? क्या उनके अधीन एक नया पूर्ण और निष्पक्ष जांच की उम्मीद है? जब यह धोखाधड़ी हो रही थी तो सेबी क्या कर रहा था?
अदानी समूह के खिलाफ स्टॉक में हेरफेर के आरोप के सार्वजनिक होने के बाद शेयरों की कीमतों में गिरावट से उन लाखों निवेशकों को नुकसान पहुंचा जिन्होंने कृत्रिम रूप से बढ़ी हुई कीमतों पर अडानी समूह के शेयरों में निवेश किया था। 24 जनवरी और 15 फरवरी 2023 के बीच अदानी समूह के शेयरों के मूल्य में 1050000 करोड़ रुपये की गिरावट आई। 19 जुलाई 2021 को वित्त मंत्रालय ने संसद में स्वीकार किया था की अदानी समूह सेबी के नियमों का उल्लंघन करने के लिए जांच के दायरे में हैं। फिर भी अदानी समूह के शेयरों की कीमतों में उछाल आने दिया।
एलआईसी द्वारा खरीदा गया अडानी समूह के शेयरों का मूल्य 30 दिसंबर 2022 को 83000 करोड़ था जो 15 फरवरी 2023 को घटकर 39000 करोड़ रह गया यानी 30 करोड़ एलआईसी पॉलिसी धारकों के बचत के मूल्य में 44000 करोड़ की कमी। शेयरों के मूल्यों में कमी और समूह द्वारा धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों के बाद भी मोदी सरकार ने एलआईसी को अडानी इंटरप्राइजेज के फौलोआन पब्लिक ऑफर एफपीओ में अतिरिक्त 300 करोड़ निवेश करने के लिए मजबूर किया।
2001 के केतन पारेख घोटाले में सेबी ने पता लगाया था कि शेयर बाजार में हेरफेर करने में अदानी समूह के प्रमोटरों ने साथ दिया था। समूह पर मौजूदा आरोपों से यह चिंताजनक रूप से समान है। जांच करने के बजाय प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल के मित्र काल बजट में अदानी समूह को और भी अवसर प्रदान कर दिए।
14 जून 2022 को अदानी समूह ने घोषणा की कि वह की वह फ्रांस के टोटल एनर्जी के साथ साझेदारी के अंतर्गत ग्रीन हाइड्रोजन में 50 बिलियन डॉलर का निवेश करेगा। 4 जनवरी 2023 को ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 19744 करोड़ रुपए की लागत के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी। टोटल एनर्जिस ने इस उद्यम में अपनी भागीदारी को रोक दिया है लेकिन क्या अडानी की कोई ऐसी व्यावसायिक घोषणा है, जिसके बाद करदाता के पैसों से सब्सिडी प्रदान नहीं की गई? 1 फरवरी को अपने मित्र काल बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि अगले चरण में 50 और हवाई अड्डे हेलीपोर्ट और वाटर एरोड्रम को पुनर्जीवित किया जाएगा। इनमें से कितने अडानी को लाभ पहुंचा पाएंगे। हवाई अड्डे अडानी समूह बहुत ही कम समय में भारत के हवाई अड्डों का सबसे बड़ा संचालक बन गया है। इसने 2019 में 6 में से 6 हवाई अड्डों के संचालन की अनुमति सरकार से प्राप्त कर ली और 2021 में यह समूह संदेहास्पद परिस्थितियों में भारत के दूसरे सबसे व्यस्त हवाई अड्डा मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर काबिज हो गया।
आज अदानी समूह 13 बंदरगाह और टर्मिनलस को नियंत्रित करता है जो भारत के बंदरगाह क्षमता का 30% और कुल कंटेनर आवाजाही का 40% है। क्या यह राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से विवेकपूर्ण है कि धन शोधन और विदेश की सेल कंपनियों से लेनदेन के गंभीर आरोपों का सामना करने वाली एक कंपनी को एक सामरिक क्षेत्र में प्रभुत्व रखने की अनुमति दे दी जाए? मोदी जी ने अपने पास उपलब्ध सभी साधनों का इस्तेमाल करके बंदरगाहों के क्षेत्र में भी अडानी का आधिपत्य स्थापित करने में मदद की। सरकारी रियायत वाले बंदरगाह बिना किसी बोली के अडानी समूह को बेच दिए गए और जहां बोली की अनुमति दी गई है वहां प्रतिस्पर्धी चमत्कारिक रूप से बोली से गायब हो गए। लगता है की आयकर छापों ने कृष्णपट्टनम बंदरगाह के पूर्व मालिक को उसे अडानी समूह को बेचने के लिए राजी करने में मदद की।2021 में सार्वजनिक क्षेत्र का जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट महाराष्ट्र में दिघी बंदरगाह के लिए अदानी की प्रतिस्पर्धा में बोली लगा रहा था लेकिन जहाजरानी और वित्त मंत्रालय द्वारा अचानक इरादा बदलने के बाद उसे अपनी जीती हुई बोली वापस लेने को मजबूर होना पड़ा।
रक्षा क्षेत्र सार्वजनिक जानकारी में है कि गौतम अडानी प्रधानमंत्री मोदी की अन्य विदेशी यात्राओं में उनके साथ गए। 4 से 6 जुलाई 2017 की इजराइल यात्रा के बाद उन्हें भारत इजराइल रक्षा संबंधो के संदर्भ में एक लाभ दिलाने वाली भूमिका सौंपी गई है। उन्होंने कोई पूर्व अनुभव ना होते हुए भी ड्रोन इलेक्ट्रॉनिक्स छोटे हथियार और विमान रखरखाव जैसे क्षेत्रों में संयुक्त उपक्रम स्थापित किए हैं जबकि कई स्टार्टअप कंपनियां और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी इन क्षेत्रों में कई वर्षों से है। विद्युत क्षेत्र में यूपीए ने वर्ष 2010 में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनटीपीसी द्वारा हाथ बगैर हाथ बांग्लादेश में 1320 मेगा वाट का थर्मल पावर प्लांट लगाने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी जी ने अपने मित्रों की मदद करने का निर्णय लिया और 6 जून 2015 को उनकी ढाका यात्रा के दौरान यह घोषणा की गई कि अदानी पावर बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति करने के लिए झारखंड के गोड्डा में एक थर्मल पावर प्लांट का निर्माण करेंगे मोदी सरकार ने पिछले 9 सालों में सीएजी सीबीआई सरकारी एजेंसी और संस्थानों का चाहे नियंत्रण कर लिया हो लेकिन सत्य हमेशा सामने आ ही जाता है उसे ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल कर दबाया नहीं जा सकता इंतजार करिए और देखे यह सिर्फ शुरुआत है बीजेपी के कई और गुप्त भेद आने वाले समय में उजागर होंगे।
इस अवसर पर जिला कांग्रेस के वरीय उपाध्यक्ष सह कोषाध्यक्ष गोपाल सोनी पिछड़ा प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष राकेश यादव जिला कांग्रेस प्रवक्ता माधव पांडे मसरूर आलम सौरभ कुमार सहित कई कांग्रेसी उपस्थित थे।