होलिका दहन पर यहां से देखें होलिका और भक्त प्रह्लाद की कथा
Holika Dahan 2023 Katha: इस बार होली का त्योहार 8 मार्च 2023, बुधवार के दिन मनाया जाएगा. फाल्गुन मास की पूर्णिमा की शाम से होली का पर्व शुरु हो जाता है. होली हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में शुमार है.
पौराणिक कथा के अनुसार, भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर जब हिरण्यकश्यप का वध किया था, तभी से इस त्योहार को मनाने की परंपरा चली आ रही है.
होलिका दहन का इतिहास
होलिका दहन के इतिहास (History Of Holika Dahan) को जानने के लिए होलिका और भक्त प्रह्लाद की कथा (Story Of Holika And Bhakt Prahlad) जाननी जरूरी है. आइए जानते हैं होलिका दहन की पौराणिक कथा के बारे में.
होलिका दहन की कथा (Holika Dahan Story)
नारद पुराण के अनुसार आदिकाल में हिरण्यकश्यप नामक एक राक्षस हुआ था. दैत्यराज खुद को ईश्वर से भी बड़ा समझता था. वह चाहता था कि लोग केवल उसकी पूजा करें. लेकिन उसका खुद का पुत्र प्रह्लाद परम विष्णु भक्त था. भक्ति उसे उसकी मां से विरासत के रूप में मिली थी.
इसी बात को लेकर उन्होंने अपने पुत्र को भगवान की भक्ति से हटाने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन भक्त प्रह्लाद प्रभु की भक्ति को नहीं छोड़ पाए.
कई बार समझाने के बाद भी जब प्रह्लाद नहीं माना तो हिरण्यकश्यप ने अपने ही बेटे को जान से मारने का विचार किया. कई कोशिशों के बाद भी वह प्रह्लाद को जान से मारने में नाकाम रहा. बार बार मारने के प्रयास होने पर भी वह प्रभु-कृपा से बचता रहा.
इसके बाद उसने अपनी बहन होलिका से मदद ली जिसे यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जलेगी. भगत प्रह्लााद को गोद में लेकर होलिका चिता पर बैठ गई. यह सबकुछ देखकर भी प्रह्लााद तनिक भी विचलित न हुए. पूरी श्रद्धा से वह भगवान विष्णु का नाम जपते रहे.
परन्तु होलिका का यह वरदान उस समय समाप्त हो गया जब उसने भगवान भक्त प्रह्लाद का वध करने का प्रयत्न किया. इस प्रकार प्रह्लाद को मारने के प्रयास में होलिका की मृत्यु हो गई. होलिका अग्नि में जल गई परन्तु नारायण भगवान की कृपा से प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ.
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