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सदर अस्पताल मे 20 वर्षो से अपने पद मौजुद है कई गम्भीर आरोप के अरोपी डाक्टर, अधिकारी भी कार्रवाई से करते है परहेज

बिहारशरीफ। सूबे के मुख्यमंत्री के गृह जिला होने के बावजूद यहां स्वास्थ्य विभाग की नाकामी साफ़ झलकती हैं। बिहारशरीफ का सदर अस्पताल ,जो हमेशा कोई ना कोई कारनामे के कारण हमेशा सुर्खियों मे रहता है और स्वास्थ्य विभाग भी ऐसे ही कर्मचारी की ही गुणगान करता है। जब की हर सरकारी विभाग मे तबादला होता है, किसी मे तीन साल मे, तो कही चार या पाँच सालो मे तबादला होता रहता है, मगर स्वास्थ्य विभाग इतना लापरवाह विभाग हो चुका है की यहा कई आरोपों के आरोपी डाक्टर अपने पद पर एक नही, 20 सालो से उपर अपने स्थान पर जमे बैठे है। जब की कई गंभीर मामले मे उनपर अरोप भी लग चुके है।
ये है बिहार का स्वास्थ्य विभाग, जहाँ जिसका लाठी उसी की भैस वाली कहावत सावित होती है । आईये हम मिलाते है, कई आरोपों के आरोपी डाक्टर राम कुमार प्रसाद और उनकी पत्नी डाक्टर कुमकुम कुमारी से ,जो 20 सालो से ऊपर सदर अस्पताल मे अपना पैर जमाये बैठे है । जब की डाक्टर राम कुमार प्रसाद पैथोलॉजिस्ट के रुप मे सदर अस्पताल मे बहाल है और ब्लडबैंक के प्रभारी भी है और इनके प्रभार के रहते एक एचआईवी मरीज का ब्लड लेकर दुसरी प्रसव पीड़ित अच्छी महिला को एचआईवी बल्ड चढ़ा देने का भी अरोप लगा था ,मगर उच्चधिकारी से मिलीभगत कर एक छोटे कर्मचारी को ड्यूटी से हटा कर डाक्टर राम कुमार प्रसाद को बचा लिया गया । जब की जिलाधिकारी के द्वारा एक जाँच टीम गठित किया गया था, मगर जाँच क्या हुआ, किसी को भी नही पता । वही पुर्व मे भी जब डाक्टर राम कुमार प्रसाद पर मुक्षित डाक्टर बन ऑपरेशन के नाम पर 10 लाख से उपर की सरकारी राशि गबन का भी आरोप लग चुका है ,वही डाक्टर राम कुमार प्रसाद जब सदर अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक के पद पर मौजुद थे ,तो एक आशा कार्यकर्ता द्वारा इनपर अश्लील हरकत करने का आरोप लगा। नालन्दा जिले के एससीएसटी थाने मे एक मामला दर्ज कराई थी, मगर ऊंची पहुंच और पैरवी होने के कारण डाक्टर राम कुमार प्रसाद ने मामला थाने से हटवा दिया। वही अस्पताल सूत्रों के अनुसार डाक्टर राम कुमार प्रसाद आपरेशन के ओ. टी. वार्ड मे हमेशा जमे रहते है । और तो और डाक्टर राम कुमार प्रसाद जब एक एचआईवी मरीज का ब्लड एक प्रसव कराने आई स्वास्थ्य महिला को एचआईवी ब्लड चढ़ा दिया गया । मगर उच्च पैरवी रहने के कारण आज तक इनपर कोई कार्रवाई नही हुई और दोनो डाक्टर पति पत्नी सदर अस्पताल मे अपने पद पर कई वर्षो से जमी बैठी है । या यु कहे की सैया भईल कोतवाल तो डर कहे का , वाली कहावत बिलकुल सच बैठती है ।
एक सवाल जनता के मन बैठी है, अगर सरकारी नौकरी करना है, तो पैरवी जरुरी है, तभी तो कार्रवाई नही होती है, जब की डाक्टर राम कुमार प्रसाद पर एचआईवी मामले मे आरोप लगा, क्यो की ब्लड बैक विभाग के प्रभारी थे, मगर इनपर कार्रवाई नही कर और इनको मलेरिया विभाग का प्रभार दिया गया ।
सूत्र बताते है की डाक्टर राम कुमार प्रसाद पर सत्ता पक्ष के कुछ नेताओ का संरक्षण प्राप्त होने के कारण कोई भी अधिकारी इनपर कार्रवाई करने से परहेज करते है । यही कारण है की कई वर्षो से सदर अस्पताल मे अपना कब्जा जमाये बैठे है , वही राम कुमार की पत्नी कुमकुम कुमारी भी सदर अस्पताल में डॉक्टर के पद पर मौजूद है और उन पर भी एचआईवी कांड के आरोप हैं ,मगर सिविल सर्जन ने बिना किसी बड़े अधिकारी को सूचना दिए मनमाने ढंग से कुमकुम कुमारी को सदर अस्पताल की उपाधीक्षक बना दिया गया, जो कहीं ना कहीं सिविल सर्जन और रामकुमार की मिलीभगत नजर आती है ,क्योंकि रामकुमार सदर अस्पताल में अपना वर्चस्व जमाये बैठे है ।
इस से पुर्व भी डाक्टर राम कुमार प्रसाद पर एक महिला डाक्टर द्वारा फोटो खींचने का आरोप लगा था । जिसके बाद रामकुमार की पत्नी कुमकुम कुमारी उपाधीक्षक सदर अस्पताल के द्वारा उस महिला डाक्टर को काफी परेशान किया जाता रहा । वही डाक्टर रामकुमार जब भी सिविल सर्जन के प्रभार मे रहते है, तब वहां सदर अस्पताल मे कार्यरत जीएनएम और एएनएम को काफी परेशान करते है ।
नाम ना छापने के शर्त पर कुछ जीएनएम और एएनएम कहती है की डाक्टर राम कुमार प्रसाद जब भी सिविल सर्जन के पद पर रहते है, तो कुछ लोगो को टारगेट कर परेशान करने का काम करते है । और कुछ जीएनएम इनकी बात मानती है, तो उसे पुरा छुट दिये रहते है ।
वही रामकुमार की पत्नी डाक्टर कुमकुम कुमारी भी परेशान करने मे पीछे नही रहती है । राजस्थान से जो यहां ड्यूटी कर रहे जीएनएम को काफी छुट दिये रहती है, जो मनमाना ड्यूटी करते है । एक दिन की ड्यूटी लगती है और चार दिन छुट्टी दे दिया जाता है । वही अगर कोई जीएनएम को छुट्टी की जरुरत पड़ती तो छुट्टी देने मे आनाकानी करने लगती है, अगर छुट्टी देती भी है तो उसके बदले चार दिन लगातार ड्यूटी लेती है। मगर राजस्थान से आये स्वास्थ्य कर्मचारी पर डाक्टर रामकुमार प्रसाद एवं पत्नी डाक्टर कुमकुम कुमारी उपाधीक्षक काफी मेहरबान रहती है । और उनलोग से पुछ कर डियुटी बनता है । वही सदर अस्पताल मे हुये एचआईवी कांड को लेटर जिलाधिकारी के द्वारा एक जाँच टीम बनाई गई थी ।उस टीम मे नगर आयुक्त को जाँच का जिम्मा सौंपा गया था, जिसमे नगर आयुक्त ने अपने जाँच मे डाक्टर कुमकुम कुमारी को एचआईवी काण्ड मे संलिप्त पाया था, फिर भी जिले के सिविल सर्जन ने कुमकुम कुमारी को सदर अस्पताल का उपाधीक्षक बना दिया गया ।
स्वास्थ्य मंत्री के मिशन 60 के तहत अस्पताल का रंग रुप तो बदला ,मगर नही बदल सके 20 सालो से जमे डाक्टर । तो कही ना कही स्वास्थ्य विभाग का पोल यही डाक्टर के कारण जनता के सामने आता रहता है ,क्यो की इलाज अस्पताल नही करते वहा मौजुद डाक्टर करते है, मगर जो डाक्टर 20 सालो से उपर एक ही जगह पर जमे बैठे हो और बो मानमाना काम करते है तो फिर गरीब जनता कैसे सही ईलाज का भरोसा करे, ऐसे अस्पताल मे मौजुद डाक्टर से । और किस पदाधिकारी या मंत्री से करे ऐसे डाक्टर पर कार्रवाई की उम्मीद ।

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