मेरी लड़ाई शिक्षकों के सम्मान और वेतनमान की है : आनंद पुष्कर
छपरा। कुमार तेजस्वी. शिक्षकों के एक समूह को संबोधित करते हुए आनंद पुष्कर ने कहा कि मैं व्हाट्सएप ,फेसबुक और यूट्यूब में चेहरा चमकाने या दिखाने नहीं बल्कि शिक्षकों के दिल में रहते हुए उनके दु:ख-दर्द में शामिल हो उनकी आवाज बनने के लिए महागठबंधन का प्रत्याशी बन कर सारण शिक्षक स्नातक के उपचुनावी मैदान में आया हूं। सारण से चंपारण तक जिस आशा ,विश्वास और उत्साह के साथ शिक्षकों ने मेरा समर्थन और हौसला अफजाई किया है। यह नीजि तौर पर मेरे लिए और सम्मानित सभी शिक्षकों के लिए भी ऐतिहासिक पल है । शिक्षक साथियों से मिले इस प्रेम और समर्थन को मैं आजीवन नहीं भूल सकता । मैं विश्वास दिलाता हूं कि मैं जल्द से जल्द नियोजन के कलंक को समाप्त करवाने के साथ-साथ विश्वविद्यालयों , डिग्री कॉलेजों, पोलीटेक्निक काॅलेजों, आइटीआइ संस्थानों , संस्कृत , मदरसा और वित्त रहित कालेजों के अधूरे मांगों को नये शिरे से सदन के पटल पर रख सरकार को मजबूर करूंगा उनके सार्थक समाधान के लिए । जिस बात को मैं हर जगह और बार बार कहता हूं उसे पुनः दोहरा भी रहा हूं कि मैं पिता के अधूरे कार्यों को, उनके अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए कृत्य संकल्पित हूं। मैं सारण से चंपारण तक के सभी शिक्षक साथियों और शिक्षिका बहनों को यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि मेरी लड़ाई शिक्षकों के सम्मान और उनके पूर्ण वेतनमान की है। वर्तमान में महागठबंधन की सरकार राज्य में है और इसके सर्वमान्य नेता मुख्यमंत्री के रूप में माननीय नीतीश जी हैं। उन्होंने बिहार के शिक्षा व्यवस्था और शिक्षकों के लिए बहुत कुछ किया है और बचे अधूरे कार्यों को भी वे ही पुरा करेंगे। आप सबों ने सुना भी होगा कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से हाल फिलहाल ही कहा है कि नियोजित शिक्षकों को मैंने ही दिया है और आगे मैं ही दूंगा। मैं ढृढ़ता से नियोजित शिक्षक साथियों को आस्वस्त करना चाहता हूं कि जीतने के बाद मेरी पहली प्राथमिकता नियोजन के कलंक को समाप्त करवा नियोजित शिक्षकों को पूर्ण वेतनमान दिलवाले की होगी। साथ ही विश्वविद्यालय, डिग्री कॉलेजों, पोलीटेक्निक-आइटीआई संस्थानों में व्यापक सुधार के साथ संस्कृत, मदरसा विद्यालयों को समाज के मुख्य धारा में जोड़ना और वित्त रहित कालेजों के लंबे समय से लंबित वित्त अनुदान को पुनः शुरू करना ।