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लालू जी जाति की नहीं परिवार की राजनीति कर रहे, उन्हें यादवों से कोई मतलब नहीं : प्रशांत किशोर

26 सांसद देने वाले गुजरात में सी-प्लेन और बुलेट ट्रेन चल रही और 39 एमपी जिताने वाले बिहार में बैलगाड़ी

बिहार में फैक्ट्री लग गई तो गुजरात के सूरत में 15 हजार रुपए में मजदूर कहां से आएंगे

वैशाली। जन सुराज पदयात्रा के दौरान वैशाली के भगवानपुर में एक आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि मोदीजी के प्रधानमंत्री बनने से बिहार का विकास हुआ या नहीं उस बात को छोड़ दीजिए। बिहार के बच्चों को रोजगार मिला या नहीं इस बात को भी छोड़ दीजिए। मोदी जी देश को नया बना रहे हैं और इसके लिए चीजें महंगी हो रही है, तो उस बात को सही मान लीजिए। लेकिन पिछले 9 सालों में मोदी जी ने बिहार के विकास के लिए 1 बैठक तक नहीं की है यदि कोई मुझे उनकी बैठक का प्रमाण दिखा दे तो मैं भी मोदी जी का झंडा उठाकर चलूंगा। एक बैठक तक बिहार के लोगों को नसीब नहीं हुई है। 40 में से 39 एमपी बिहार में एनडीए के जीते हुए थे और गुजरात में 26 एमपी हैं, लेकिन गुजरात में सी-प्लेन और बुलेट ट्रेन चल रही है और बिहार की जनता बैलगाड़ी पर चल रही है, तो इसमें हमलोगों की गलती है कि हम उनको वोट देकर जीता रहे हैं। वहीं जन सुराज पदयात्रा के दौरान वैशाली के गोरौल में एक आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि मोदी जी सूरत में इतनी फैक्ट्री लगवा सकते हैं तो क्या वैशाली और चंपारण में दो चार फैक्ट्री नहीं लगवा सकते हैं? देश में कोई ऐसा बिजनेसमैन है, जिसको मोदी जी बिहार में फैक्ट्री लगाने के लिए बोले तो वो मना कर सकता है? लेकिन मोदी जी बिहार में फैक्ट्री इसलिए नहीं लगवा रहे हैं क्योंकि अगर वो फैक्ट्री बिहार में लगवा देंगे तो पूरे देश में 15 हजार में मजदूरी करने वाले 2 करोड़ मजदूर मिलेंगे कहां से? आज बिहार में लोग मोटरसाईकील, कार, टीवी नहीं बना रहे हैं। हम लोग अपने बच्चों को जवान करने के बाद मजदूर बना रहे हैं। आप लोगों ने जिन बच्चों को पेट काट-काट कर बड़ा किया है वो लड़के भेड़, बकरी की तरह ट्रेन और बसों में मजदूरी के लिए जाते हैं, तो आपको खुद समझना पड़ेगा कि नेताओं को बिहार की जनता से आखिर कुछ काम नहीं करने का डर खत्म क्यूं हो गया है? वहीं जन सुराज पदयात्रा के दौरान वैशाली के गोरौल में एक आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि आप लोगों ने अपने बच्चों को पेट काट-काट कर बड़ा किया है, वो 20-25 साल के होते ही भेड़, बकरी की तरह ट्रेन और बसों में लदकर मजदूरी के लिए चलें जाते हैं। आपने कोरोना के समय पर देखा, जिन मजदूरों को दूसरे राज्य से मार कर लोगों ने भाग दिया था उन्हीं मजदूरों को ट्रेन से, बस से, और हवाई जहाज का टिकट देकर वापस बुलाया गया। आप बिहार के लोगों ने कभी सोचा कि बिहार के मजदूरों को आखिर क्यों बुलाया गया? क्या तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्रा में मजदूर नहीं हैं? वहाँ भी मजदूर हैं लेकिन वहां के मजदूर 35 हजार रुपये महीना का लेता है और बिहार का गरीब लड़का जाकर 15 हजार रुपये में काम कर रहा है। तो कोई बिहार में फैक्टरी क्यों लगाएगा। जब सस्ते रेट पर मजदूर उसको उसके राज्य में मिल ही रहा है। वहीं जन सुराज पदयात्रा के दौरान वैशाली में एक आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के लोगों को लगता है कि नेता जाति की राजनीति करते हैं लेकिन मैं आपको कह रहा हूँ कि नेता कभी जाति की राजनीति नहीं करता है। आप कहते हैं कि लालू जी जाति की राजनीति करते हैं, लेकिन अगर लालू जी जाति की राजनीति कर रहे होते तो वो कहते कि बिहार का मुखिया यादव समाज का कोई लड़का होगा आप सब राजद को वोट दीजिए। लेकिन लालू जी कह रहे हैं कि आप RJD को वोट दीजिए, बिहार का मुखिया मेरा लड़का होगा। ये जाति की राजनीति नहीं है, ये परिवार की, बेटे की राजनीति है। लालू जी अकेले नहीं हैं, कोई मांझी है, कोई कुशवाहा है, कोई पासवान जी जो जिस जाति का नेता है वो अपने और अपने बच्चों की चिंता कर रहा है। जाति में आप और हम उलझे हुए है।

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