आतंकवादियों के लिए सुरक्षिण ठिकाना बन रही राजधानी
भोपाल । प्रदेश की राजधानी भोपाल आतंकवादियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बनते जा रही है। यही वजह है कि प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से जुड़े लोग राजधानी को अपना ठिकाना बन रहे हैं। प्रतिबंधित संगठन जमात-उल- मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के आतंकी भी यहां पनाह ले चुके हैं लेकिन इंटेलिजेंस ने इनपुट मिलते ही उनका माड्यूल ध्वस्त कर दिया। इसके बाद पीएफआई के सदस्यों को एनआईए ने शाहजहांनाबाद इलाके से गिरफ्तार किया। ये गुपचुप तरीके से अपनी सक्रियता बैठक कर संगठन को आगे बढ़ा रहे थे।अब कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन हिज्ब-उत तहरीर उर्फ तहरीक-ए-खिलाफत नाम का भी गोपनीय रूप से अपना विस्तार कर रहा था। इस इनपुट ने पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े कर दिए। उन्होंने अपने मुखबिरों को सचेत रहने के लिए कहा, लेकिन पुलिस और स्थानीय जिले की खुफिया पुलिस को इसकी जानकारी नहीं मिली। इस मामले में एटीएस ने मंगलवार को भोपाल से दस संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। मार्च 2022 में एटीएस ने जब ऐशबाग इलाके में कार्रवाई कर जेएमबी के आतंकियों को गिरफ्तार कर राजफाश किया तो पूरे देश में हड़कंप मच गया। बाद में संदिग्ध आतंकियों से पूछताछ में सामने आया कि ऐशबाग इलाके में घनी आबादी में छिपाना आसान होता है और किराये पर मकान भी आसानी से मिल जाते हैं। इतनी संकरी गालियों में आसानी से उन पर कोई नजर भी नहीं रख पाता है। इसी का नतीजा है कि जेएमबी के आतंकी करीब एक साल से ज्यादा से इस इलाके में मौजूद थे और उसकी भनक स्थानीय थाने से लेकर इंटेलिजेंस तक नहीं मिल पाई थी। इसके अलावा अब हिज्ब-उत-तहरीर नाक इस्लामिक संगठन का विस्तार करने वाले लोगों की मौजूदगी एक बार फिर से ऐशबाग इलाके में पाई गई है। आलम यह है कि राजधानी के इसी इलाके से बीते एक साल में करीब दस संदिग्धों को गिरफ्तार किया जा चुका है। ताजा गिरफ्तारियों के बाद पुलिस मुख्यालय और स्थानीय पुलिस के बीच बैठकों का दौर शुरू हो गया है। इस इलाके में गोपनीय रूप से बाहर से आकर रहने वाले लोगों की जांच करने की बात कही जा रही है। ऐशबाग इलाके से एक बार फिर संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने सघन बस्ती में चेकिंग शुरू कर दी है। पुलिस बाजारों में भी चेकिंग कर रही है। किसी समय शांति का टापू कहे जाने वाले भोपाल पर आतंकवादियों की निगाहें टिक गई हैं। अपना नेटवर्क फैलाने के लिए उन्हें ये सबसे सुरक्षित जगह लगने लगी है। पुलिस की सबसे बड़ी विफलता यह रही कि शहर में किरायादारों के सत्यापन को लेकर कभी गंभीरता नहीं बरती गई। आतंकियों ने इसका खूब फायदा उठाया।
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