हृदय रोगी को पहली बार लगा विश्व का सबसे छोटा पेसमेकर एसीआइ में मिला नया जीवन
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के एडवांस कार्डियक इंस्टिट्यूट (एसीआइ) में विश्व के सबसे छोटे आकार का पेसमेकर प्रत्यारोपित कर मरीज को नया जीवन दिया गया। जहां मरीज को लगने वाला पेसमेकर सामान्यत: 25 से 30 सेंटीमीटर का होता है, विश्व का सबसे छोटा पेसमेकर पांच सेंटीमीटर का है।
एसीआइ में कार्डियोलाजी विभागाध्यक्ष डा. स्मित श्रीवास्तव बताया कि राजनांदगांव निवासी 63 वर्षीय मरीज के हृदय में विटामिन वाले कैप्सूल के आकार का पेसमेकर प्रत्यारोपित कर हृदय की समस्या से निजात दिलाई। प्रत्यारोपण के बाद दिल के चैंबर में तैरने वाले इस पेसमेकर का नाम माइक्रा है, जो लीडलेस यानी बिना लीड के जांघ की नसों के माध्यम से प्रत्यारोपित किया जाता है।
मरीज ने बताया कि वर्ष-2010 से फरवरी-2023 में आठ बार हृदय के आपरेशन की जटिल प्रक्रिया से गुजर चुका था। हृदय की समस्या से जूझते मरीज को आटो इम्यून डिसआर्डर होने के कारण हर्पीज की समस्या हो गई और छाती में इंफेक्शन हो गया। मवाद बहने लगा। अंततः मरीज वापस एसीआइ पहुंचा और यहां उसे हृदय की इन सभी जटिलताओं का समाधान सबसे छोटे पेसमेकर के प्रत्यारोपण के बाद मिला। चिकित्सकीय टीम में डा. स्मित श्रीवास्तव के साथ डा. सीके दास, कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डा. तान्या छौड़ा, टेक्नीशियन आइपी वर्मा, खेम सिंह, नवीन ठाकुर, जितेन्द्र, आशा, बी जान, डेविड, खोगेन्द्र आदि थे।
ऐसे संपन्न हुई प्रक्रिया
डा. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि सबसे पहले दायीं जांघ के फीमोरल वेन से नीडिल डाला गया। उसके बाद शिफ्ट वायर के ऊपर इंट्रोट्यूब डाला। इंट्रोट्यूब के ऊपर से माइक्रा डिलीवरी सिस्टम को डाला गया। माइक्रा को अंदर ही अंदर डिलीवरी सिस्टम के माध्यम से रिलीज किया गया। माइक्रा सिंगल-चेंबर पेसमेकर होता है, जो एक विटामिन के कैप्सूल के आकार का होता है और इसे सीधे हृदय में लगाया जा सकता है। इसलिए इसमें लीड्स को भी प्रत्यारोपित करने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। प्रत्यारोपण के बाद लीड लेस पेसमेकर हृदय को विद्युत तरंगे भेजता रहता है, जिससे दिल धड़कता रहेगा। इसमें इंफेक्षन की संभावना काफी कम होती है और बैटरी लाइफ 12 साल तक रहता है।
एसीआइ विभागाध्यक्ष कार्डियोलाजी डा. स्मित श्रीवास्तव का कहना है कि हृदय रोगियों को लगने वाला पेसमेकर सामान्यत: 25 से 30 सेंटीमीटर और वजन 100 से 150 ग्राम तक होता है। लेकिन छत्तीसगढ़ में पहली बार मरीज को लगाया गया विश्व का सबसे छोटा पेसमेकर पांच सेंटीमीटर और 1.7 ग्राम वजनी है। यह पेसमेकर हृदय रोगी की स्थिति को हुए जटिल प्रक्रिया के तहत लगाया जाता है।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.