गोपनीय पत्र भी हो जाती है लीक : केके पाठक
शिक्षा मंत्री ने अपर मुख्य सचिव केके पाठक का लिखा पीत पत्र
पटना। बिहार का शिक्षा विभाग व इसके मंत्री इन दिनों काफी चर्चा में है। हाल में अपर मुख्यसचिव शिक्षा विभाग के विभाग के सुधार के लिए चल रहे कार्यक्रमों से शिक्षा मंत्री और अपर मुख्य सचिव के बीच तनातनी की बात कही जा रही है। यह बात उस समय अब खुलकर सामने आ गई जब शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर ने अपर मुख्य सचिव के के पाठक को पीत पत्र भिजवाया। तीन पन्नों के इस पत्र में शिक्षा मंत्री ने केके पाठक को जमकर हड़काया है। यह पत्र शिक्षा मंत्री के आप्त सचिव के एन यादव के हस्ताक्षर से जारी हुआ है। इसमें विभाग की गोपनीय लेटर के लीक होने, ज्ञान से अधिक चर्चा करने, विभाग में नट बोल्ट, जींस टीशर्ट, पैंट गीली करने, उखाड़ देने, फाड़ देने जैसे आपत्तिजनक शब्द इस्तेमाल करने की बात कही गई है। पत्र में सबसे पहले यह लिखा है कि पिछले कई दिनों से मंत्री, शिक्षा विभाग की ओर से यह महसूस किया जा रहा है कि विभाग मीडिया में नकारात्मक खबरों से अधिक चर्चा में रहा है। विभाग से संबंधित कोई भी पत्र या संकल्प आदि विभागीय पदाधिकारियों व मंत्री कोषांग में पहुंचने से पूर्व ही सोशल मीडिया में दिखने लगती है। पत्र में कहा कि ऐसे काम से शिक्षा विभाग की बहुत बदनामी हो रही है, इस पर तुरंत रोक लगाइए। शिक्षा मंत्री के पत्र में कहा गया है कि वरीय अधिकारी द्वारा बंद कमरे में ली जा रही मीटींग आदि से संबंधित खबर भी मीडिया में तेजी से संचारित हो जाते है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि किसी खास व्यक्ति द्वारा निहित स्वार्थों की पूर्ति अथवा सरकार की छवि कुप्रभावित करने के उद्देश्य से विभागीय आंतरिक खबरों को मीडिया में प्लांट किया जा रहा है। के के पाठक को भेजे गये पत्र की सबसे खास बात यह है कि मंत्री की ओर से कहा गया है कि विभाग में जो कुछ नया हो रहा है उसका श्रेय मंत्री को दिया जाना चाहिए। मंत्री के पत्र में कहा गया है कि लोक प्रशासन ‘अनामता के सिद्धान्त’ का पालन करता है। तथा राजनीतिक व्यक्तियों को इसके कार्यों का श्रेय जाता है। मंत्री ही उन कार्यों की जिम्मेदारी लेता है जो काम उसके अंतर्गत काम कर रहे लोक सेवक करते हैं। स्पष्ट है कि लोक सेवक को तटस्थता, निष्पक्षता और अनामता के सिद्धान्त का पालन करना चाहिए। कोई भी लोक सेवक स्वयं से संबंधित खबर को न्यूज में कभी नही फैलाता है।