पक्षिओं का दीदार करना है तो आएं रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व, यहां अक्टूबर में पहुंचते हैं हजारों प्रवासी परिंदे
सागर। सर्दी के शुरु होते ही वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में प्रवासी पक्षियों की आमद शुरू हो जाती है। दो अभयारण्य क्षेत्रों से मिलकर बने इस टाइगर रिजर्व के नौरादेही अभयारण्य वाले हिस्सें में 175 प्रजाति के करीब चार हजार के करीब पक्षी हैं। यहां अक्टूबर से ही पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू जाता है। अक्टूबर के अंत तक ब्रह्मनी डक, कूट ग्लोसी और काम्ब डक चहकने लगते हैं।
प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू
ये पक्षी तिब्बत एवं लद्दाख से आते हैं, क्योंकि हिमालय क्षेत्र में सर्दियों में अक्टूबर से बर्फबारी शुरू हो जाती है। सुरक्षित ठिकानों और भोजन की तलाश में ये पक्षी तीन हजार किलोमीटर से अधिक दूरी तय कर यहां आते हैं। अभयारण्य में छेवला तालाब, बमनेर-ब्यारमा नदी के किनारे लगे वृक्षों को इन्होंने अपना ठिकाना बन जाता है। नवंबर के अंत तक सर्दी बढ़ते ही कई प्रजातियों के प्रवासी पक्षियों के झुंड पहुंचेंगे। जिनमें फ्लेमिंगो, ग्रेगिनी, कामन टील, कैटल इनग्रेट, केन कामन पेट्रिड स्टार्क ग्रे-हार्नविल, पलेंटिल पाइप, ग्लोसी और लेसर विसिल पक्षी प्रमुख हैं।
लगभग चार महीने रुकने के बाद फरवरी के अंत में प्रवासी पक्षी अपने मूल स्थान को लौटने लगते हैं। गत वर्षों में नौरादेही अभयारण्य ने यहां पक्षी सर्वेक्षण कराया है, इसमें स्थानीय पक्षियों की 175 प्रजातियां पाई गई हैं। वहीं आसपास के स्थानों से प्रवास पर आने-जाने वाले पक्षियों की 18 प्रजातियों का भी पता लगा है। वहीं सर्वे में ऐसे पक्षियों की 42 प्रजातियां मिली थीं, जबकि लंबी दूरी से आने वाले लेजर केस्ट्रल और ऊंचाई वाले स्थानों से आने वाले लाग टेल्ड मिनविट जैसे पक्षी यहां आए।
बनेंगे कई नए ठिकाने
इस बार नौरादेही अभयारण्य क्षेत्र के मानेगांव, घुगरी और वोमा के तालाब भी विदेशी पक्षियों के नए बसेरे बनेंगे। ये तालाब पानी से लबालब भरे हैं, साथ ही इनके आसपास घना जंगल भी है। ये परिस्थितियां पक्षियों के आवास के लिए पूरी तरह अनुकूल हैं। ठंडे देशों के पक्षियों को एकांत में रहना पसंद है।
इनका है इंतजार
नवंबर के अंत तक सर्दी बढ़ते ही कई प्रजातियों के प्रवासी पक्षियों के झुंड पहुंचेंगे। जिनमें फ्लेमिंगो, ग्रेगिनी, कामन टील, कैटल इनग्रेट, केन कामन पेट्रिड स्टार्क ग्रे-हार्नविल, पलेंटिल पाइप, ग्लोसी और लेसर विसिल पक्षी प्रमुख हैं। लगभग चार महीने रुकने के बाद फरवरी के अंत में प्रवासी पक्षी अपने मूल स्थान को लौटने लगते हैं।
पक्षियों पर रखी जाएगी नजर
अभयारण्य क्षेत्र में विदेशी पक्षियों के शिकार का खतरा नहीं है क्योंकि वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए तैनात मैदानी अमला मेहमान पक्षियों पर भी नजर रखेगा। अब इन पक्षियों की गतिविधियों को वाच करेंगे। क्षेत्र में पर्याप्त पानी होने के कारण इस बार अधिक संख्या में विदेशी पक्षियों के आने की संभावना है।
एएस अंसारी, डीएफओ, नौरादेही अभयारण्य।
राज्य वन अनुसंधान संस्थान, जबलपुर से प्राप्त जानकारी अनुसार अभयारण्य में पक्षियों की संख्या
वर्ष | पक्षियों की संख्या | प्रजातियों की संख्या |
2018 | 1819 | 140 |
2020 | 463 | 133 |
2021 | 3620 | 175 |
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