सिटिंग जाब के कारण बढ़ रहे सिजेरियन डिलीवरी के मामले
इंदौर। आजकल की महिलाएं ज्यादातर दफ्तरों में काम करती हैं या बिजनेस भी करती हैं तो उसमें भी काफी समय उन्हें बैठकर काम करना पड़ता है। इसका असर यह होता है कि जब वे बच्चे को जन्म देने वाली होती हैं तब उनकी डिलीवरी में काफी परेशानियां आती हैं। जो महिलाएं ज्यादा सिटिंग जाब में होती है उनमें से अधिकांश को सिजेरियन करने की नौबत आती है। हालांकि दावा किया जा रहा है कि मध्य प्रदेश में 90 प्रतिशत महिलाओं का प्रसव सामान्य ही हो रहा है। यह बातें रविवार को फाग्सी वेस्ट जोन वाइस प्रेसिडेंट कांफ्रेंस में विशेषज्ञों ने कही।
वह डाक्टरों से ही कह देते हैं कि हमें सिजेरियन करवाना है। कोई भी डाक्टर यह कभी नहीं चाहता है कि किसी महिला की डिलीवरी सिजेरियन से हो, उनका हमेशा यही प्रयास रहता है कि सामान्य हो। इस तीन दिवसीय कांफ्रेस में न्यूनतम आक्रामक सर्जरी, स्क्रीनिंग तकनीक, शेपिंग द इंफर्टिलिटी प्रैक्टिस, मेडिको लीगल सेफ्टी आदि विषयों पर देश-विदेश से आए विशेषज्ञों ने चर्चा की।
कांफ्रेंस में डा. ज्योति सिमलोट ने बताया कि बदलती जीवनशैली और खानपान के कारण सिजेरियन के मामले बढ़ रहे हैं। आजकल महिलाएं सिटिंग जाब ज्यादा कर रही हैं। इसके साथ ही सिजेरियन का एक कारण मोटापा भी है। घरेलू काम जैसे झाड़े, पौछा अब बैठकर नहीं किया जाता है। खाना भी टेबल पर बैठकर ही खाने लगे हैं। इसके अलावा सामान्य डिलीवरी के कुछ व्यायाम होते हैं, वह भी महिलाएं नहीं कर रही हैं। यदि गर्भवती महिलाएं विशेषज्ञों की सलाह से जीवनशैली और खानपान का ध्यान रखें तो सामान्य डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है।
लाइव बताया जटिल केस हल करना
डा. आशा बक्षी ने बताया कि कांफ्रेस में नई इलाज तकनीक पर विशेषज्ञों ने चर्चा की। साथ ही जटिल केस का निराकरण कैसे किया जाए यह लाइव बताया। गर्भस्थ शिशु की सोनोग्राफी से उसकी कौन सी बीमारियां पता लग सकती हैं और कौन सीन सी ठीक हो सकती है, इसपर भी चर्चा हुई।
इसके साथ ही पब्लिक अवेयरनेस कार्यक्रम और स्तन कैंसर जागरूकता के लिए रैली भी निकाली गई। इंग्लैंड से आईं डा. रानी ठक्कर ने डिलीवरी के समय होने वाली इंजुरी को ठीक करने के बारे में जानकारी दी। इस दौरान डा. ऋषिकेश पाल, डा. सुमित्रा यादव, डा. अनुपमा दवे आदि मौजूद थे।
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