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बोन मैरो ट्रांसप्लांट आरंभ होने से पहले मरीजों की वेटिंग, ब्लड कैंसर से पीड़ित बच्चों की पीड़ा कम होगी

जबलपुर।  जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कालेज में समय पर यूनिट आरंभ नहीं होने से कई बच्चों की स्टेम सेल थैरेपी की सही उम्र निकल रही है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा से सिकल सेल की तरह ही अनुवांशिक विकार थैलेसीमिया एवं एप्लास्टिक एनीमिया पीड़ितों को भी राहत पहुंचेगी।

विभाग की लेटलतीफी से रोगियों की संख्या भी बढ़ती जा रही

 

विभाग की लेटलतीफी से अनुवांशिक रक्त विकार पीड़ितों की समस्या और नए रोगियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। मेडिकल कालेज में ही जांच के दौरान प्रतिदिन रक्त विकार से पीड़ित ऐसे गंभीर बच्चे मिल रहे हैं, जिन्हें बोन मैरो ट्रांसप्लांट से बेहतर जिंदगी दी जा सकती है। बावजूद इसके पीड़ितों को आधुनिक उपचार शीघ्र उपलब्ध कराने में विभाग की नाकामी ने पीड़ित और उसके स्वजन को परेशान कर रखा है।

 

अकेले मेडिकल कालेज में  जबलपुर जिले की स्थिति…

एक वर्ष से अटके है उपकरण

 

मेडिकल कालेज के राज्य कैंसर संस्थान में बोन मैरो ट्रांसप्लांट और पीडियाट्रिक कैंसर यूनिट वर्ष 2022 में आरंभ होना था। लेकिन अभी तक मात्र ट्रांसप्लांट के लिए आवश्यक कक्ष ही तैयार हाे सकें। यूनिट आरंभ करने से संबंधित आवश्यक उपकरण अभी तक उपलब्ध नहीं है। एक वर्ष से अधिक समय व्यतीत होने के बाद ट्रांसप्लांट से संबंधित आवश्यक महत्वपूर्ण उपकरणों की क्रय प्रक्रिया चिकित्सा विभाग पूर्ण नहीं कर सका है।

 

निजी में महंगा, इंदौ के बाद  जबलपुर दूसरा

 

निजी अस्पतालाें में बोन मैरो ट्रांसप्लांट महंगा है। इस पर 20 से 30 लाख रुपये तक व्यय होते है। प्रदेश में सरकारी अस्पतालों में एकमात्र  इंदौर में बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट काम कर रही है। उसके बाद नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कालेज में दूसरी सरकारी बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट बनाई जा रही है, जिसकी प्रक्रिया आगे बढ़ी है। मेडिकल कालेज में नि:शुल्क ट्रांसप्लांट से गरीब व आदिवासी क्षेत्र के पीड़ितों का जीवन बदलेगा।

 

आइसीएमआर का सहारा, 20 जिलों को मिलेगा फायदा

 

मेडिकल कालेज में बोन मैरो यूनिट संबंधी कुछ जांच उपकरण आइसीएमआर-एनआईआरटीएच में है। स्टेम सेल मैच के लिए जरूरी एचएलए जांच  जबलपुर आइसीएमआर में संभव है। इसके अतिरिक्त कुछ बड़े उपकरण ही यूनिट को उपलब्ध कराया जाना है, जिसमें फ्लो साइटोमेट्रो, क्रायो प्रिजर्वेटिव एवं ए थेरेसिस मशीन प्रमुख है। इनका प्रत्येक का मूल्य औसतन पचास लाख रुपये है। इन्हें क्रय करने में विभाग लगातार विलंब कर रहा है।

 

सिकल सेल पीड़ितों को समय रहते आधुनिक उपचार मिलेगा

 

यदि संबंधित उपकरण प्राप्त हो जाएं तो  जबलपुर के साथ ही आसपास के 20 जिलों के सिकल सेल पीड़ितों को समय रहते आधुनिक उपचार मिलेगा। इसमें सिकल सेल प्रभावित आदिवासी जिले भी सम्मिलित है। जिले और अंचल में अनुवांशिक रक्त विकार के पीड़ितों में आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के रोगी अधिक है। मेडिकल कालेज में सरलता और नि:शुल्क ट्रांसप्लांट की सुविधा से पीड़ित भी उपचार के लिए प्रेरित होंगे।

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