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जानें उस नॉर्थ बंगाल के बारे में जिसे बंगाल राज्य से काटकर नॉर्थ ईस्ट में शामिल कराना चाहती है बीजेपी

बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांता मजूमदार ने केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव दिया है जिसमें उत्तर बंगाल को नॉर्थ-ईस्ट में शामिल करने की बात कही गई है. सुकांता मजूमदार ने अपने एक बयान में कहा है कि उन्होंने बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की और उत्तर बंगाल को पूर्वोत्तर भारत में शामिल करने का प्रस्ताव पेश किया.

उन्होंने कहा कि अब इस पर पीएम मोदी को फैसला लेना है, लेकिन अगर उत्तर बंगाल को पूर्वोत्तर भारत में शामिल किया जाता है, तो इस क्षेत्र को केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ मिलेगा. सुकांता मजूमदार ने कहा कि इस तरह के कदम से क्षेत्र का बेहतर विकास सुनिश्चित होगा और उन्हें यकीन है कि राज्य सरकार को इस पर कोई आपत्ति नहीं होगी.

बंगाल के खिलाफ बीजेपी की साजिश- TMC

सुकांता मजूमदार के इस बयान पर TMC आगबबूला है. सांसद सुखेंदु शेखर रे ने केंद्रीय मंत्री के इस कदम को अलगाववादी बताया है. उन्होंने सुकांता मजूमदार पर संविधान के उल्लंघन का भी आरोप लगाया है. सांसद सुखेंदु शेखर ने बीजेपी को दो टूक जवाब देते हुए कहा है कि उत्तर बंगाल पश्चिम बंगाल का अभिन्न अंग है. यहां तक ​​कि प्रधानमंत्री के पास भी ऐसी असंवैधानिक और अवैध मांग को स्वीकार करने का अधिकार नहीं है. सुखेंदू शेखर ने इसे बंगाल को विभाजित करने की नापाक साजिश करार दिया है.

2021 में जॉन बरला ने दिया था प्रस्ताव

साल 2021 में केंद्रीय मंत्री जॉन बरला ने उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाने की मांग की थी और इसे लेकर उन्होंने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भी दे दिया था. जॉन बारला का बयान आने के बाद टीएमसी ने इसका विरोध किया था लेकिन बीजेपी ने भी उस समय आधिकारिक रूप से इस प्रस्ताव का विरोध किया था. बीजेपी ने कहा था कि उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाने का भारतीय जनता पार्टी समर्थन नहीं करती है.

ममता सरकार ने RSS पर मढ़ा था आरोप

करीब 9 करोड़ की आबादी वाले राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जाहिर तौर पर बीजेपी के इस प्रस्ताव का विरोध करती रही हैं. ममता सरकार ने विधानसभा में उत्तर बंगाल को अलग करने के खिलाफ एक प्रपोजल लाया और उसे पास भी कराया. इस प्रस्ताव में बंगाल सरकार ने बीजेपी और आरएसएस को भी घेरा. ममता सरकार ने आरोप लगाया कि बीजेपी जानबूझकर बंगाल का बंटवारा कर क्षेत्र में अशांति पैदा करने करना चाहती है. प्रस्ताव में कहा गया कि इस पूरी साजिश के पीछे RSS का हाथ है.

नॉर्थ बंगाल की सियासी ताकत समझिए

पश्चिम बंगाल के 9 जिलों को मिलाकर नॉर्थ बंगाल बनता है. इसमें दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, कूचबिहार, मालदा, नॉर्थ दिनाजपुर, साउथ दिनाजपुर, अलीपुरद्वार और कलिंमपोंग आते हैं. नॉर्थ बंगाल में विधानसभा की 56 सीटें और लोकसभा की कुल 8 सीटें आती हैं.

इस इलाके में बीजेपी का अच्छा प्रभाव माना जाता है. 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां की 8 में से 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इस क्षेत्र में एक सीट का नुकसान हुआ है और पार्टी ने नॉर्थ बंगाल की 8 में से 6 सीटों पर जीत दर्ज की है. यानी एक तरफ जहां पूरे बंगाल में शानदार प्रदर्शन करते हुए टीएमसी ने लोकसभा सीटें जीतीं, वहीं खराब प्रदर्शन के बावजूद बीजेपी ने उत्तर बंगाल में अपनी परफॉर्मेंस ज्यादा नहीं गिरने दी.

ममता सरकार पर बीजेपी का आरोप

नॉर्थ बंगाल को लेकर बीजेपी ममता सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाती रही है. बीजेपी के मुताबिक ममता सरकार में उत्तर बंगाल का विकास जैसा होना चाहिए वैसा नहीं हुआ है. लिहाजा बीजेपी की मांग है कि इस क्षेत्र को बंगाल से काटकर नॉर्थ ईस्ट में शामिल कर दिया जाए जिससे इस क्षेत्र का तेजी से विकास हो, दरअसल केंद्र सरकार नॉर्थ ईस्ट के विकास में अच्छी खासी राशि खर्च करती है. ऐसे में बीजेपी के साथ-साथ इस क्षेत्र के लोगों का भी मानना है कि अगर ये नॉर्थ ईस्ट से जुड़ता है तो क्षेत्र के विकास में तेजी आएगी.

नॉर्थ बंगाल से बीजेपी को सियासी लाभ?

साउथ बंगाल की तुलना में यही इलाका बीजेपी का मजबूत वोट बैंक भी है. उत्तर बंगाल की सियासी जमीन की बात करें तो यहां राजवंशी वोटर निर्णायक माने जाते हैं. क्षेत्र में 30 फीसदी राजवंशी वोटर हैं. जानकारों के मुताबिक नॉर्थ बंगाल की 4 लोकसभा और 23 विधानसभा सीटों पर राजवंशी समाज की निर्णायक भूमिका है. यही वजह है कि बीजेपी ने अनंत महाराज को बंगाल से राज्यसभा भेजा था, बताया जाता है कि राजवंशी समुदाय में अनंत महाराज का अच्छा खासा प्रभाव है.

माना जा रहा है कि अगर केंद्र सरकार इस प्रस्ताव पर विचार करती है और इसे अमलीजामा पहनाया जाता है तो इससे ममता बनर्जी की सियासी ताकत कम होगी. नॉर्थ बंगाल के अलग होकर नॉर्थ ईस्ट से जुड़ने पर बीजेपी का न केवल इस क्षेत्र में प्रभाव बढ़ेगा बल्कि नॉर्थ ईस्ट में भी पकड़ मजबूत होगी.

नॉर्थ बंगाल को अलग करने की मांग क्यों?

1. नॉर्थ बंगाल के क्षेत्र कूचबिहार और दार्जिलिंग को अलग राज्य बनाने की मांग पहले भी होती रही है. जहां राजवंशी समुदाय कूचबिहार को अलग स्टेट बनाने की मांग करता रहा है तो वहीं दार्जिलिंग को लेकर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने भी आंदोलन चलाया था. बीजेपी इन्हीं के समर्थन से इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाने में कामयाब रही है.

2. नॉर्थ बंगाल को पश्चिम बंगाल से अलग करने की मांग बीजेपी विधायक लंबे समय से करते रहे हैं. बीजेपी का दावा है कि इस क्षेत्र में ममता सरकार ने न के बराबर विकास किया है. अगर नॉर्थ ईस्ट के साथ ये क्षेत्र मिलता है तो केंद्र सरकार की योजनाओं का फायदा इस क्षेत्र को होगा.

3. इस क्षेत्र में बीजेपी का अच्छा प्रभाव है. नॉर्थ बंगाल पहाड़ी और चाय बागानों का इलाका है. बताया जाता है कि सांस्कृतिक तौर पर भी ये क्षेत्र साउथ बंगाल से काफी अलग है. यहां का कल्चर नॉर्थ-ईस्ट के क्षेत्रों से ज्यादा मिलता जुलता है, यही वजह है कि इसे नॉर्थ ईस्ट का गेटवे कहा जाता है.

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