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चुनावी झटकों के बाद भी हिंदुत्व पर अडिग CM योगी, विरोधियों को मात देने का क्या है प्लान?

लोकसभा चुनाव के बाद से उत्तर प्रदेश बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. 2024 के चुनावी नतीजे और 62 सीटों से घटकर 33 पर पहुंचने जाने के चलते बीजेपी के भीतर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच रिश्ते पटरी पर नहीं आ रहे हैं. ऐसे में सीएम योगी अपनी हिंदुत्ववादी छवि और कानून व्यवस्था के मोर्चे पर लग गए हैं. इसके लिए वो एक बाद एक ब्रह्मास्त्र भी चल रहे हैं. सीएम योगी हिंदुत्व की सिर्फ बात ही नहीं करते बल्कि हिंदुत्व को जीते हैं. इसीलिए लोकसभा चुनाव के बाद से ही योगी बीजेपी के कोर एजेंडा हिंदुत्व के इर्द-गिर्द ही सियासी बिसात बिछाने में जुटे हैं, जिसके जरिए पार्टी के भीतर और बाहर दोनों जगह खुद को मजबूत करने की स्ट्रैटेजी दांव माना जा रहा है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद से योगी आदित्यनाथ की सबसे बड़ी ताकत सख्त कानून व्यवस्था और उनकी हिंदुत्व की छवि है. 2024 के चुनावी नतीजे आने के बाद सीएम योगी इन्हीं दोनों मोर्चे पर काम कर रहे हैं. कावड़ यात्रा के रूट पर चाहे दुकानदारों के नेम प्लेट लगाने का आदेश रहा हो या फिर लव जिहाद से लिए उम्र कैद की सजा रखने का प्रावधान किया हो, इन दोनों ही फैसले से सीएम योगी की हिंदुत्ववादी छवि को मजबूत मिलेगी. योगी आदित्यनाथ की यह मजबूती उनके सत्ता की पकड़ को और भी मजबूत कर सकता है. इसीलिए किसी भी विरोध के परवाह किए बगैर अपने फैसले पर अड़े हैं.

हिंदू समुदाय मोदी के बाद योगी का प्रभाव

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूबे की सत्ता पर काबिज होने के बाद अपने कुछ फैसलों से बीजेपी में अपनी मजबूत जगह बनाई है. पीएम नरेंद्र मोदी के बाद सबसे ज्यादा प्रभाव अगर उत्तर भारत के हिंदू समुदाय पर किसी का है तो वो सीएम योगी आदित्यनाथ ही हैं. उन्होंने यह उपलब्धि सीएम बनने के बाद कुछ सालों में अपने हिंदुत्व के एजेंडे और कानून व्यवस्था को अमलीजामा को पहनाकर हासिल किया है.

संघ परिवार और बीजेपी का मूल एजेंडा हिंदुत्व रहा है और उसमें बड़ी सफलता पहले लालकृष्ण आडवाणी को मिली. बाद में नरेंद्र मोदी को और अब इस मामले में योगी बीजेपी में इन दोनों शीर्ष नेताओं के बाद अपनी जगह बनाने में सफल हुए हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी हिंदुत्ववादी छवि से कभी समझौता नहीं किया है.

लव जिहाद पर बनने जा रहा कानून

सीएम योगी ने न सिर्फ अयोध्या-मथुरा-काशी पर ही फोकस किया बल्कि भव्य राम मंदिर के लिए खजाना खोला तो लव जिहाद से निपटने के लिए सख्त कानून बनाया, जिसे हिंदुत्व के एजेंडे से जोड़कर देखा जा रहा है. यूपी में अब लव जिहाद के मामले रोकने के लिए एक सख्त कानून बनने के लिए विधानसभा में विधेयक पेश किया, जिसमें लव जिहाद का अपराध सिद्ध होने पर उम्रकैद की सजा का प्रावधान है. इस कानून में कई अपराधों की सजा बढ़ाकर दोगुनी कर दी गई है. लव जिहाद के तहत कई नए अपराध भी इसमें जोड़े गए हैं. सख्त कानून बनाकर सीएम योगी ने धर्मांतरण को रोकने का दांव चला है.

कांवड़ यात्रा के रूट पर मुजफ्फरनगर के प्रशासन ने दुकानदारों के नेम प्लेट लगाने का आदेश दिया तो उसे लेकर सवाल उठने लगे. बीजेपी के नेताओं से लेकर सहयोगी दलों तक ने विरोध दर्ज कराया, लेकिन योगी सरकार ने सूबे के सभी कांवड़ रूटों पर दुकानदारों के नेम प्लेट लगाने का आदेश दे दिया. इस तरह योगी सरकार ने किसी भी विरोध को तवज्जो नहीं दी जबकि आरएलडी के प्रमुख जयंत चौधरी ने आदेश को वापस लेने की बात कही थी. योगी सरकार ने अपने हिंदुत्व के एजेंडे पर कायम रखने का संदेश दिए हैं.

हिंदुत्व के मुद्दे पर विपक्ष को घेरने में पीछे नहीं

लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में सीएम योगी ने हिंदुत्व की राह पर कायम रहने के संकेत दे दिए थे. सीएम योगी ने कहा था कि समाजवादियों ने राम, कृष्ण और शिव की परंपरा को लहूलुहान किया. उन्होंने कहा था कि आपकी आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. विपक्षी दल अयोध्या, मथुरा, काशी, कांवड़ यात्रा, श्री कृष्ण जन्माष्टमी, होली, दीपावली, त्योहार, दंगे और माफिया राज की बात नहीं करेंगे. इतना ही नहीं सीएम योगी ने ओबीसी मोर्चा की बैठक में कहा कि अतीत में जिस प्रकार विदेशी आक्रांताओं ने हिंदू समाज को बांटने का षड्यंत्र रचा था, उसी प्रकार विपक्षी दल भी छद्म धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिंदू समाज को आपस में लड़ाने के लिए षड्यंत्र रच रहे हैं.

कानून व्यवस्था पर को लेकर धुआंधार बैटिंग

सीएम योगी आदित्यनाथ की सबसे बड़ी सियासी ताकत सूबे की कानून व्यवस्था और हिंदुत्व का एजेंडा है. इन दोनों ही सियासी मोर्चों पर सीएम योगी आदित्यनाथ बैटिंग करते हुए नजर आ रहे हैं. योगी आदित्यनाथ के लव जिहाद कानून की भले ही कुछ लोग आलोचना कर रहे हों, लेकिन इसे हिंदुत्व के एजेंडे को मजबूत करने वाला माना जा रहा है. यही वजह है कि सीएम योगी इस पर पूरी मुस्तैदी के साथ कायम है. माना जाता है कि योगी के लिए हिंदुत्व की छवि एक सियासी ढाल की तरह है और कानून व्यवस्था उन्हें सियासी मजबूती दे रहा है. इन दोनों सियासी हथियार से योगी पार्टी के अंदर और बाहर दोनों ही जगह पर मोर्चा लेने के लिए तैयारी में है.

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