लंबी पारी खेलेगी 2 लड़कों की जोड़ी… क्या राहुल-अखिलेश की केमिस्ट्री ने बढ़ा दी है BJP की टेंशन?
लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव और राहुल गांधी की बनी सियासी जोड़ी उत्तर प्रदेश में हिट रही है, जिसके चलते ही बीजेपी बहुमत का आंकड़ा हासिल नहीं कर सकी और मोदी सरकार को सहयोगी दलों के समर्थन से सरकार बनानी पड़ी. चुनाव नतीजे आने के बाद से बीजेपी के बड़े नेता लगातार कांग्रेस और सपा गठबंधन के बिखरने की भविष्यवाणी कर रहे हैं, लेकिन यूपी के दो लड़को की जोड़ी टूटने के बजाय संसद से सड़क तक मजबूत होती दिख रही है. लोकसभा में जिस तरह राहुल गांधी और अखिलेश यादव के बीच जो केमिस्ट्री दिख रही है, उससे साफ जाहिर है कि यह जोड़ी लंबी चलने वाली है और बीजेपी की टेंशन बढ़ाने का काम करेगी.
लोकसभा में बजट पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि इस बार बजट बनाने वाले 20 अधिकारियों में सिर्फ एक अल्पसंख्यक, एक ओबीसी हैं और कोई भी दलित व आदिवासी अधिकारी नहीं हैं. इसके साथ ही राहुल गांधी ने जाति जनगणना का मुद्दा उठाया. राहुल के सवाल उठाने के दूसरे दिन मंगलवार को संसद में जाति को लेकर बीजेपी और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई. बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि जाति जनगणना की बात वे कर रहे जिनकी खुद अपनी जाति का पता नहीं.
राहुल ने उठाया जातिगत जनगणना का मुद्दा
अनुराग ठाकुर ने भले ही किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा राहुल गांधी की तरफ था. इसके चलते लोकसभा में जमकर हंगामा हुआ. इस बीच राहुल गांधी उठे और कहा कि जो भी इस देश में दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों की बात उठाता है, उसे गालियां खानी ही पड़ती हैं. जिस तरह महाभारत में अर्जुन को मछली की आंख दिख रही थी, वैसे ही मुझे मेरा लक्ष्य दिख रहा है. हम जातिगत जनगणना करके दिखाएंगे. आपको जितनी गाली देनी है, आप दीजिए, मैं ये सब गालियां खुशी से खा लूंगा, लेकिन हम जातिगत जनगणना कराएंगे.
संसद में दिखा अखिलेश का आक्रमक तेवर
बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर का जवाब राहुल गांधी बहुत ही सादगी के साथ दिया, लेकिन अखिलेश यादव ने जिस आक्रमक तरीके से दखल दिया, उसकी काफी चर्चा हो रही है. अखिलेश यादव ने अनुराग ठाकुर पर बेहद गुस्से में चिल्लाते हुए कहा कि आप किसी की जाति कैसे पूछ सकते हो. अखिलेश ने कहा कि ‘माननीय मंत्री रहे हैं, बड़े दल के नेता हैं, बड़ी बात कर रहे थे. शकुनी, दुर्योधन तक यहां ले आए, लेकिन इनसे मैं ये पूछना चाहता हूं कि आपने जाति कैसे पूछ ली. आप जाति कैसे पूछ सकते हैं?
अखिलेश यादव जिस तरह से राहुल गांधी के समर्थन में उतरे और अनुराग ठाकुर पर आक्रमक तरीके से हमले खड़े किए हैं, उसके सियासी मायने भी तलाशे निकाले जा रहे हैं. अखिलेश और राहुल गांधी के बीच सियासी केमिस्ट्री चुनाव के दौरान और अब चुनाव के बाद भी दिख रही है. राहुल और अखिलेश लोकसभा सदन में एक साथ बैठते हैं और हर मुद्दे पर एक साथ सरकार के घेरते नजर आते हैं. यूपी के दो लड़कों की जोड़ी लोकसभा चुनाव के दौरान और अब उसके बाद से एक दूसरे के लिए सियासी ढाल बन रहे हैं.
राहुल और अखिलेश के बीच शानदार केमिस्ट्री
अखिलेश यादव ने 18वीं लोकसभा के सत्र के शुरू होने के पहले दिन अपने अयोध्या से सांसद अवधेश प्रसाद को अहमियत दी तो विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी अवधेश प्रसाद को पूरे सत्र के दौरान मान देकर अपनी सियासी दोस्ती को आगे बढ़ाते नजर आए. इतना ही नहीं राहुल गांधी के जन्मदिन पर अखिलेश यादव ने बधाई दिया, इस पर राहुल ने उन्हें प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आपकी शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद अखिलेश जी. यूपी के दो लड़के हिंदुस्तान की राजनीति को मोहब्बत की दुकान बनाएंगे.
2024 के लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस के बीच सिर्फ गठबंधन नहीं हुआ था बल्कि दोनों ही पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं के बीच एक बेहतर तालमेल दिखा था. अखिलेश यादव के समर्थन में राहुल गांधी ने कन्नौज में वोट मांगने उतरे तो अखिलेश ने भी रायबरेली में राहुल के लिए जनसभा की. 2017 में भले ही सपा-कांग्रेस का गठबंधन सफल न रहा हो, लेकिन 2024 में दो लड़कों की सियासी केमिस्ट्री में बीजेपी को करारी मात देने में कामयाब रहे.
राहुल और अखिलेश ने फेरा BJP के सारे मंसूबों पर पानी
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 33 सीट ही बीजेपी जीत सकी जबकि सपा 37 और कांग्रेस 6 सांसद बनाने में सफल रही. यह 2019 के लोकसभा चुनावों के विपरीत है, जहां बीजेपी 62 सीटों से घटकर 33 सीटों पर आना एक बड़ा झटका है. राहुल गांधी का संविधान और आरक्षण वाला नैरेटिव तो अखिलेश का पीडीए फॉर्मूले वाला दांव ने बीजेपी के सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया. राहुल-अखिलेश के बीच सियासी कैमिस्ट्री सिर्फ चुनाव तक सीमित नहीं रही बल्कि अब संसद में भी दिख रही. वो एकजुट बनाकर मोदी सरकार को सिर्फ घेरते ही नहीं बल्कि एक दूसरे के लिए सियासी ढाल भी बन रहे हैं.
राहुल गांधी और अखिलेश के बीच में तालमेल को पीएम मोदी से लेकर बीजेपी के तमाम बड़े नेता महसूस कर रहे हैं. पीएम मोदी ने पिछले संसद सत्र के दौरान जिस तरह से कांग्रेस को ही निशाने पर रखा था, उससे ही कयास लगाए कि इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच सियासी दरार डालने की रणनीति के तहत दांव चल रहे हैं. पीएम मोदी ने कहा था कि कांग्रेस भी जिस पार्टी के साथ गठबंधन करती है, उसी के वोट खा जाती है. नरेंद्र मोदी ने राम गोपाल यादव से कहा था कि वह अपने भतीजे (अखिलेश) को समझाएं और याद दिलाएं कि राजनीति में कदम रखते ही भतीजे के पीछे सीबीआई का फंदा लगाने वाले कौन थे. ऐसी ही बातें बीजेपी बैठक के दौरान भूपेंद्र चौधरी ने भी कहा था कि सपा के वोटबैंक पर कांग्रेस की नजर है.
BJP के निशाने पर सपा-कांग्रेस गठबंधन
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इंडिया गठबंधन की एकजुटता को तोड़ने की रणनीति के तहत ही पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस जिस के साथ रहती है, उसे ही कमजोर करती है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के सियासी आधार पर ही सपा खड़ी है, वो कभी कांग्रेस का हुआ करता था. 90 के दशक के बाद कांग्रेस सियासी तौर पर कमजोर होने के चलते सपा मजबूत. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे बड़ा झटका यूपी में लगा है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को सियासी संजीवनी मिली है तो सपा को ताकत.यूपी में बीजेपी से ज्यादा सीटें सपा को मिली है. सपा और कांग्रेस की सियासी कैमिस्ट्री आगे भी बनी रहेगी, जिसके संकेत अखिलेश यादव और राहुल गांधी दे रहे हैं, क्योंकि इसमें ही दोनों को अपना-अपना फायदा दिख रहा.
उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव कई सियासी प्रयोग कर चुके हैं, लेकिन सियासी सफलता 2024 के चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने से मिला है. राहुल गांधी ने 2024 में जिस तरह से संविधान और आरक्षण बचाने वाले नैरेटिव के साथ-साथ जातिगत जनगणना को मुद्दा बनाया है, उससे दलित, मुस्लिम और ओबीसी समाज के लोगों पर अपनी पकड़ मजबूत बनाई है. ऐसे में गठबंधन कर चुनाव लड़ने का फायदा सपा और कांग्रेस दोनों को मिला. ऐसे में अखिलेश की स्टैटेजी और कांग्रेस की मंशा अभी एक साथ चलने की है.
राहुल और अखिलेश की जोड़ी BJP के लिए टेंशन
कांग्रेस का दामन पकड़कर अखिलेश यादव 2027 में यूपी की सत्ता को अपने नाम करना चाहते हैं. इसके अलावा अखिलेश का प्लान अपनी पार्टी का राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने है. अखिलेश यादव के दोनों ही मंसूबे कांग्रेस के साथ रहकर ही पूरे हो सकते हैं. यूपी में भले ही सपा सबसे बड़ी पार्टी हो और मुस्लिमों का वोट उसके पक्ष में लामबंद है, लेकिन महाराष्ट्र, हरियाणा से लेकर झारखंड तक में मुसलमानों का झुकाव कांग्रेस की तरफ है. यूपी में भी मुस्लिम कांग्रेस की तरफ लौटा है. ऐसे में कांग्रेस के साथ रहते हुए ही अखिलेश यादव यूपी में बीजेपी से मुकाबला कर सकते हैं और अपनी पार्टी को राष्ट्रीय फलक पर ले जा सकते हैं. सपा और कांग्रेस ऐसे ही अगर 2027 के विधानसभा चुनाव में उतरती हैं तो बीजेपी के लिए सियासी टेंशन बढ़ना लाजमी है.
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