हद है! नवजातों के इलाज में बाधा बन रही फाइल, भोपाल में अटकी
ग्वालियर। जिंदगी और मौत से जूझते नवजातों के इलाज में भोपाल में अटकी फाइल बाधा बन रही है। दरअसल यह फाइल कमलाराजा अस्पताल के एसएनसीयू मरम्मत की है। जयारोग्य अस्पताल प्रबंधन ने लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाए गए प्राक्कलन पचास लाख रुपए की स्वीकृति का प्रस्ताव भोपाल भेजा है। जिसकी स्वीकृति अब तक नहीं मिल सकी है। एसएनसीयू में मरम्मत का कार्य न होने से नवजातों को रेफर करना पड़ रहा है।
इस रेफरल के चलते बीते रोज 11 दिन की बच्ची की मौत हो गई। मामला एसएनसीयू में एक माह पहले फाल्स सीलिंग गिरने का है। फाल्स सीलिंग गिरने के बाद इसकी मरम्मत का जिम्मा लोक निर्माण विभाग को सौंपा। लोक निर्माण विभाग ने मरम्मत व बिजली फिटिंग कार्य की लागत पचास लाख रुपए आंकी और जेएएच प्रबंधन ने प्रस्ताव लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को भेज दिया। मरम्मत कार्य होने तक एसएनसीयू की एक यूनिट बंद हैं। जिससे बाहर से आने वाले नवजातों को यहां भर्ती न करते हुए जिला अस्पताल मुरार भेजा जा रहा है। शासन द्वारा मरम्मत की राशि स्वीकृत न किए जाने से स्वजन नवजातों को इलाज के लिए इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं।
एक वार्मर में रखने पड़ रहे दो नवजात
जय आरोग्य अंतर्गत कमलाराजा अस्पताल के पीडियाट्रिक विभाग के एसएनसीयू की एक यूनिट बंद होने के कारण एक वार्मर में दो नवजातों को रखना पड़ रहा है। ऐसे में इनके संक्रमित होने का डर बना रहता है। एसएनसीयू में हालात यह है कि इन दिनों तीस वार्मर में 70 से ज्यादा बच्चों को इलाज दिया जा रहा है। इसके पीछे का कारण चार जुलाई को एसएनसीयू में फाल्स सीलिंग गिरना है। अस्पताल का का कहना है कि एसएनसीयू में मरम्मत का कार्य जल्द शुरू हो सके इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
मरम्मत का काम धन के अभाव में रुका है। लोक निर्माण विभाग द्वारा हमें जो प्राक्कलन बनाकर दिया गया था उसे स्वीकृति के लिए शासन को भेज दिया है। राशि स्वीकृत होने का इंतजार है। स्थानीय स्तर से भी काम को पूरा कराने के प्रयास कर रहे हैं।
-डा. सुधीर सक्सेना, अधीक्षक, जेएएच।
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