हरियाली तीज के दिन इस समय करें पूजा, जीवन में नहीं आएंगे कष्ट!
हिन्दू धर्म के लोगों के लिए हरियाली तीज के दिन का बहुत महत्व होता है. जिसे शादीशुदा महिलाएं बड़े ही उत्साह से मनाती है. इसे हरियाली तीज और हरतालिका तीज के नाम से भी जाना जाता है. इस साल ये व्रत 7 अगस्त दिन बुधवार को रखा जाएगा. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है. यह व्रत सुहागिन महिलाओं के अलावा कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं.
हरियाली तीज के व्रत में कठिन नियमों का पालन करना होता है. इस बार हरियाली तीज की तारीख को लेकर लोगों में संशय की स्थिति बन रही है क्योंकि तृतीया तिथि 6 और 7 अगस्त दोनों दिन है. हाांकि हरियाली तीज का व्रत 7 अगस्त को मनाया जाएगा.
पंचांग के अनुसार, हरियाली तीज की तिथि 6 अगस्त को शाम 07:52 से शुरू होगी और 7 अगस्त को रात 10:05 तक मान्य होगी. 6 अगस्त को तृतीया तिथि रात के समय में लग रही है, इस वजह से उस दिन तीज का व्रत नहीं रखा जाएगा, क्योंकि इसके लिए उदयातिथि मान्य होती है. उदयातिथि के अनुसार, 6 अगस्त को न होकर 7 अगस्त को मनाई जाएगी. उदयातिथि की गणना सूर्य के उदय से जुड़ी होती है.
हरियाली तीज पर 3 शुभ योग
साल 2024 में हरियाली तीज के अवसर पर 3 शुभ संयोग बन रहे हैं. हरियाली तीज के दिन परिघ योग, शिव योग और रवि योग बन रहा है. उस दिन रवि योग रात 8 बजकर 30 मिनट से लेकर अगले दिन 8 अगस्त को सुबह 5 बजकर 47 मिनट तक है. वहीं परिघ योग सुबह से लेकर सुबह 11 बजकर 42 मिनट तक है और उसके बाद शिव योग लगेगा, शिव योग अगले दिन पारण तक रहेगा.
अगर आप हरियाली तीज के दिन इन शुभ संयोगों में पूजा करेंगे तो आपकी हर कामना अवश्य ही पूरी होगी. इसके साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से घर में खुशहाली बनी रहेगी और विवाहित महिलाओं को सुख और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके अलावा जीवन में आने वाली परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है. हरियाली तीज के दिन राहुकाल में पूजा नहीं करनी चाहिए. इसे बहुत ही अशुभ माना जाता है. हरियाली तीज पर राहुकाल दोपहर में 2:06 बजे से 3:46 बजे तक रहेगा.
शादी के बाद की पहली तीज है खास
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हरियाली तीज की पूजा दोपहर बाद ही की जाती है. इस दिन महिलाएं झूला झूलती हैं, जो कि जरूरी रस्म होती है. इसके अलावा घेवर खाती हैं. असल में इस पर्व का नाम मधुश्रवा हरियाली तीज है. यह नाम इसीलिए पड़ा कि इसमें मधु टपकता है. मिष्ठान्न खाने को मिलते हैं. खासकर नवविवाहिता की पहली तीज पर खास आयोजन होता है. ससुराल से उसके लिए सिंधारा आता है. इसमें घेवर, फेनी, कपड़े, मिष्ठान्न, फल आदि आते हैं.
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