‘देश में IAS से ज्यादा होनी चाहिए टीचर्स की सैलरी,’ शिक्षक दिवस पर बोले मनीष सिसोदिया
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को टीचर्स डे के अवसर पर दिल्ली नगर निगम के शिक्षक सम्मान समारोह में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि देश में शिक्षकों का वेतन किसी भी सरकारी कर्मचारी, यहां तक कि किसी IAS अधिकारी से भी अधिक होना चाहिए.
आम आदमी पार्टी के नेता ने कहा कि भारत जैसे देश में जहां हम हजारों-हजार साल से गुरु को भगवान का दर्जा देते आये हैं. वहां एक शिक्षक की सैलरी किसी भी सरकारी अधिकारी से तो अधिक होनी चाहिए? वहीं, इस अवसर पर मनीष सिसोदिया ने कहा कि आज दिल्ली के बच्चे भारत में सबसे बेहतरीन शिक्षा पा रहे हैं उसका श्रेय यहां के शानदार शिक्षकों को ही जाता है.
‘अनुभवी अध्यापक की सैलरी कैबिनेट सेक्रेटरी से अधिक होनी चाहिए’
AAP नेता और दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि देश में शिक्षकों का वेतन किसी भी सरकारी कर्मचारी से अधिक मिलना चाहिए. यहां तक कि 30-35 साल के अनुभवी अध्यापक की सैलरी कैबिनेट सेक्रेटरी से अधिक होनी चाहिए. जोकि 30-35 साल के अनुभवी IAS अधिकारी होते हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षकों को सम्मानित करना बड़ा गौरव का काम होता है.
उन्होंने कहा कि 2047 में अगर विकसित भारत का सपना सच करना है तो उसकी नींव इस पहल से करनी होगी. किसी नेता के सपने देखने या भाषण देने से विकसित भारत का सपना सच नहीं होगा. शिक्षकों को भारत के समाज में वह सम्मान देना होगा जिसकी हम लगातार बात करते हैं. समस्त कर्मचारियों में शिक्षकों की सैलरी का सबसे ऊपर होना, इस दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा.
कई देशों में टीचर्स की आय काफी अधिक
AAP नेता ने इस दौरान दुनिया के मुकाबले भारत में शिक्षकों की सैलरी काफी कम दिए जाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि विश्व में कई सारे ऐसे देश हैं जहां शिक्षकों की सैलरी वहां के अधिकारियों के मुकाबले अधिक है. जर्मनी में जहां औसतन शिक्षकों का सालाना वेतन 72 लाख है जबकि वहां के अधिकारियों की औसतन सैलरी 71 लाख रुपये है.
मनीष सिसोदिया ने आगे कहा कि इसी तरह कई अन्य देश जैसे बेल्जियम, स्विट्जरलैंड, अमेरिका, जापान समेत बहुत से देशों में वहां के टीचर्स की आय काफी अधिक है. इसलिए अब वक्त आ गया है कि भारत के गुरुओं को सरकारी अधिकारी से अधिक वेतन देकर सम्मान दिया जाए. क्योंकि आज के स्कूलों में इन शिक्षकों के हाथों ही तो 2047 का युवा भारत तैयार हो रहा हैं.
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