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सेल्फगोल या स्ट्रैटजी…जम्मू-कश्मीर में चुनाव के बीच किंगमेकर बनने की बात क्यों कर रहीं महबूबा मुफ्ती?

घाटी में चुनावी संग्राम के बीच महबूबा मुफ्ती के एक सियासी दावे ने हलचल मचा दी है. एक रैली में महबूबा ने कहा कि कश्मीर का किंगमेकर हम ही बनेंगे. बिना पीडीपी सेक्युलर पार्टियां यहां पर सरकार नहीं बना पाएगी. महबूबा कश्मीर की पूर्व सीएम रह चुकी हैं और उनकी जम्मू कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है.

महबूबा के इस दावे से 2 सवाल उठ रहे हैं. पहला, चुनाव के बीच महबूबा ने किंगमेकर का बयान क्यों दिया है और दूसरा सवाल क्या सच में इस बार पीडीपी के बिना घाटी में सरकार नहीं बन पाएगी?

महबूबा मुफ्ती ने क्या कहा है?

महबूबा मुफ्ती ने पहले चरण के चुनाव के बाद दावा किया कि पीडीपी के समर्थन के बिना कोई भी सरकार कश्मीर में नहीं बन सकती है. महबूबा ने कहा कि दक्षिण कश्मीर में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी बनने जा रही है और हमें इग्नोर नहीं किया जा सकता है.

कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन पर निशाना साधते हुए महबूबा ने कहा कि जब-जब दोनों पार्टियां साथ आई है, तब-तब कश्मीर में खून की नदियां बही है. 1987 में ये साथ आए तो लोग बंदूक उठा लिए. 2008 में साथ आए तो अफजल गुरु को फांसी पड़ गया.

66 विधानसभा सीटों पर मतदान बाकी

90 विधानसभा सीटों वाली जम्मू कश्मीर के पहले चरण में 24 सीटों के लिए मतदान कराया गया है. घाटी में अभी 66 सीटों पर मतदान शेष है. अगले दो चरण में इन सीटों पर मतदान कराया जाएगा. जिन सीटों पर अभी चुनाव होने हैं, उनमें श्रीनगर और जम्मू रीजन की सीटें शामिल हैं.

चुनाव आयोग के मुताबिक 25 सितंबर को विधानसभा की 26 और 1 अक्तूबर को विधानसभा की 40 सीटों पर मतदान कराए जाएंगे. 8 अक्तूबर को सभी 90 सीटों के नतीजे आएंगे. घाटी में सरकार बनाने के लिए कम से कम 46 सीटों की जरूरत है.

महबूबा ने किंगमेकर का बयान क्यों दिया?

सियासी गलियारों में यह सवाल तेजी से उठ रहा है कि चुनाव के बीच महबूबा मुफ्ती ने किंगमेकर वाला बयान क्यों दिया है, जबकि आम तौर पर बड़ी राजनीतिक पार्टियां खुद की सरकार बनाने का दावा करती रहती है.

दरअसल, 2018 के बाद से ही सियासी तौर पर पीडीपी अलग-थलग है. कहा जाता है कि कश्मीर में जो हालात बने, उसके लिए महबूबा ज्यादा जिम्मेदार है. वहीं बीजेपी को भी वर्तमान में महबूबा की जरूरत नहीं है.

घाटी में जो राजनीतिक सिनोरियो है, उसमें मुकाबला बीजेपी वर्सेज कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच ही दिख रहा है. ऐसे में कहा जा रहा है कि खुद की मौजूदगी दिखाने के लिए महबूबा ने किंगमेकर वाला बयान दिया है.

महबूबा के किंगमेकर वाले दावे में दम है?

घाटी में पहले चरण के 24 सीटों पर करीब 59 प्रतिशत मतदान हुए हैं. मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी ने पीडीपी के भीतर भी जान ला दिया है. पार्टी को पहले चरण के 24 में से कम से कम 6 सीटें जीतने की उम्मीद है. इनमें महबूबा की बेटी इल्तिजा की बिजबेहरा, वहीद पारा की पुलवामा, सरताज मदनी की देवसर और अब्दुल रहमान की शांगस सीट शामिल हैं.

महबूबा ने कोर वोटर्स को साधने के लिए चुनाव से पहले खुद को साइड लाइन कर लिया था. पीडीपी की तरफ से या तो बड़े नेता मैदान में थे या उनकी बेटी इल्तिजा मोर्चा संभाले नजर आई. इल्तिजा की वाकपटुता घाटी में सुर्खियों में है.

कहा जा रहा है कि पीडीपी 10-15 सीट जीतकर खुद को किंगमेकर बनने की कोशिश में लगी है, जिससे भविष्य में उनका सियासी रसूख कायम रहे.

कश्मीर का राजनीतिक समीकरण समझिए

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं, जिसमें से 47 सीट कश्मीर रीजन की और 43 सीट जम्मू रीजन की है. घाटी में सरकार बनाने के लिए कम से कम 46 विधायकों की जरूरत होती है. पिछले तीन चुनावों (एक विधानसभा और दो लोकसभा) में जम्मू रीजन में भारतीय जनता पार्टी को बढ़त मिली थी.

बीजेपी इस बार भी जम्मू रीजन पर ज्यादा फोकस कर रही है. वहीं घाटी में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अलावा इंजीनियर राशिद की आवामी इत्तेहाद और अल्ताफ बुखारी की अपनी पार्टी भी मजबूत है.

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