नेमप्लेट विवाद पर घिरे विक्रमादित्य! कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल ने बुलाकर समझाया
हिमाचल प्रदेश में रेहड़ी-पटरी, ढाबा-रेस्टोरेंट में नेमप्लेट लगाने को लेकर विवाद अभी भी जारी है. प्रदेश के लोक निर्माण विभाग और शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह नेमप्लेट लगवाने के पक्ष में हैं, जिसके चलते कांग्रेस पार्टी उन से नाखुश नजर आ रही है. पार्टी की ओर से विक्रमादित्य से साफ कहा गया है कि पार्टी की नीतियों और विचारधाराओं के विपरीत कोई काम करना या किसी प्रकार का फैसला लेना गलत है.
कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी यह बात कही है. साथ ही, उन्होंने कहा कि पार्टी किसी भी तरीके से नफरत को बढ़ावा नहीं देना चाहती है. हालांकि, प्रदेश सरकार ने यह बात साफ की है कि आधिकारिक तौर पर अभी ऐसा कोई फैसला नहीं सुनाया गया है.
“एकता में ही है विश्वास”
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि उन्होंने विक्रमादित्य को पार्टी के आदर्श और भावनाएं समझाई. भोजनालयों और फास्ट-फूड सेंटर में नेमप्लेट लगाने के मुद्दे पर कांग्रेस की नीतियां शुरुआत से ही साफ रही हैं. ऐसे में, कोई भी मंत्री या पदाधिकारी पार्टी की नीतियों और विचारधाराओं के विरुद्ध नहीं जा सकता.
राहुल गांधी नफरत के खिलाफ प्यार फैलाने की कोशिश करते हैं और हमें भी नफरत पैदा नहीं करनी है. हम एकता में विश्वास करते हैं. विवादों में घिरे मंत्री विक्रमादित्य ने अपने फैसले का समर्थन करते हुए वेणुगोपाल को बताया कि मीडिया ने उन्हें गलत तरीके से पेश किया गया है.
क्यों हो रहा है विवाद?
हिमाचल प्रदेश के राज्य मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने 25 सितंबर को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की तरह ही भोजनालयों और फास्ट-फूड सेंटर में नेमप्लेट लगाने का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि मालिकों को अपनी पहचान बताना जरूरी है ताकि ग्राहकों को किसी भी रूप में समस्या ना हो, लेकिन, उनका यह फैसला कांग्रेस पार्टी की नीति के खिलाफ है.
शुरुआत से कांग्रेस नेमप्लेट लगाने की बात का विरोध करते आई है, पार्टी का कहना है कि इससे जाति के नाम पर भेदभाव को बढ़ावा मिलेगा और नफरत फैलेगी. ऐसे में, विक्रमादित्य नेमप्लेट लगाने का समर्थन करने के बाद से ही काफी चर्चित हैं और कांग्रेस भी उनकी इस बात से बहुत असंतुष्ट और निराश दिखाई दे रही है.
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.