Maharashtra: संजय पांडे बने मुंबई के नए पुलिस आयुक्त, हेमंत नागराले का तबादला
मुंबई। महाराष्ट्र में संजय पांडे को मुंबई का नया पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया है। निवर्तमान मुंबई सीपी हेमंत नागराले का तबादला कर दिया गया है। सोमवार को यह जानकारी महाराष्ट्र सरकार ने दी। पांडे 1986 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं। पांडे पूर्व कार्यवाहक डीजीपी भी रह चुके हैं। मार्च, 2021 में पांडे ने तबादले से नाराज होकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा था। इसके बाद पांडे तबादले से नाराज हो कर छुट्टी पर भी चले गए थे। पांडे ने आइआइटी कानपुर से आइटी कंप्यूटर में इंजीनियरिंग की है। महारष्ट्र में इन्होंने एसीपी पुणे के रूप में कार्य की शुरुआत की थी। इसके बाद पांडे मुंबई में सीसीपी रैंक के अधिकारी बने।
गौरतलब है कि पिछले साल परमबीर सिंह के तबादले के साथ हुए कई और तबादलों से महाराष्ट्र की आइपीएस लाबी में गहरा असंतोष व्याप्त हो गया ता। इस असंतोष के फलस्वरूप एक वरिष्ठ आइपीएस संजय पांडे छुट्टी पर चले गए ते। उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर अपना असंतोष व्यक्त किया था। तबादलों के क्रम में महानिदेशक होमगार्ड व सिविल डिफेंस रहे वरिष्ठ आइपीएस संजय पांडे को महाराष्ट्र स्टेट सिक्यूरिटी कार्पोरेशन लिमिटेड का उपाध्यक्ष व प्रबंध निदेशक बना दिया गया था। क्योंकि परमबीर सिंह को उनके स्थान पर होमगार्ड का महानिदेशक बनाकर भेजा गया। अपनी इस नई पोस्टिंग से असंतुष्ट संजय पांडे ने मुख्यमंत्री व गृहमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि आपने तबादला करते हुए मेरी वरिष्ठता को नजरंदाज किया है।
तबादले के इस क्रम में डीजी-भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का पद मुझसे कनिष्ठ अधिकारी को दे दिया गया है। चूंकि पुलिस महानिदेशक के बाद दूसरा वरिष्ठतम पद मुंबई के पुलिस आयुक्त का होता है, इस पद के लिए आपने मेरे नाम पर विचार नहीं किया, तो कम से कम महानिदेशक-भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के पद के लिए तो विचार करना था। किसी अधिकारी को पुलिस महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार दिए जाने को भी नियम विरुद्ध बताते हुए पांडे ने कहा कहा कि यह भी प्रकाश सिंह मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार गलत है। पांडे ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री व गृहमंत्री से अपील की कि उनके साथ हुए अन्याय को सुधारा जाए, और उन्हें उनकी वरिष्ठता के अनुसार पद दिया जाए। पांडे के मुताबिक, उनके द्वारा यह पत्र लिखे जाने के बाद राज्य के कई आइपीएस अधिकारियों के फोन उनके पास आए, जिनमें पूरे राज्य में वरिष्ठताक्रम को नजरंदाज किए जाने की बातें सामने आईं थीं।
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