ब्रेकिंग
ओडिशा: पुरी में 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना का शक्ति प्रदर्शन, 40 विमान, 25 युद्धपोत लेंगे भाग मणिपुर: 10 कुकी-जो युवकों का अंतिम संस्कार पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने तक नहीं किया जाएगा: ITLF छत्तीसगढ़: अब BJP हमें बताएगी दीन क्या है? वक्फ बोर्ड के फरमान पर भड़के ओवैसी कैलाश गहलोत का इस्तीफा BJP का षड्यंत्र, ED और IT की रेड डालकर किया जा रहा था प्रताड़ित, संजय सिंह का... महाराष्ट्र में न तो बहन और न ही बेटियां सेफ हैं… गढ़चिरोली में प्रियंका गांधी का पीएम मोदी पर हमला महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में गड़बड़ी की आशंका! हथियारों के साथ पकड़े गए 9 कश्मीरी युवक मेयर चुनाव में हार से तिलमिला गए हैं… अरविंद केजरीवाल का बीजेपी पर हमला 2 करोड़ लोगों के साथ हुई साइबर ठगी, चंगुल में फंसने से बचना है तो अपनाएं ये 7 टिप्स महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: वंचित बहुजन अघाड़ी के नेता पर जानलेवा हमला, गाड़ी में हुई तोड़फोड़ जीजा राम को जनकपुर के सीएम चढ़ाएंगे तिलक, पहनाएंगे सोने की चेन और देंगे बारात लाने का न्योता

अनूठी परंपरा: वंश वृद्धि के लिए दरवाजा बंद रखकर पूजा करता है रतलाम का गुर्जर समाज, राजा के सैनिकों से जुड़ी है पौराणिक कथा

 रतलाम। गुर्जर समाज में वंश वृद्धि को लेकर दीपावली पर्व दरवाजा बंद रखकर मनाने की परंपरा दशकों से चली आ रही है। पहले के समय में यह प्रथा तीन-तीन दिनों तक रहती थी, लेकिन वर्तमान भागम-भाग वाले जीवन में उक्त प्रथा एक दिन पर ही सिमट कर रह गई है। इस वर्ष एक नवंबर को परंपरा का निर्वाह किया जाएगा। इसे लेकर समाजजनों द्वारा तैयारियां की जा रही है।

अमावस्या 31 अक्टूबर दोपहर से लग रही है, इसलिए गुर्जर समाज दरवाजा बंद करके दीपावली की विशेष पूजा एक नवंबर को सुबह से करेगा। गुर्जर समाजजन दीपावली पर्व पर अपने घरों के दरवाजों को बंद रखकर दीपावली की एक विशेष पूजा करते हैं और अपने वंश को बढ़ाने के लिए देवतागण से अपने ईष्ट तथा पूर्वजों से प्रार्थना करते हैं। उक्त प्रथा गुर्जर समाज को समस्त समाजों के पूजा के तरीको से पृथक करती है।

बेसब्री से करते हैं इंतजार, जानिए पौराणिक कथा

गुर्जर समाज जनों में दरवाजा बंद करके पूजा करने को लेकर काफी उत्साह रहता है और समाजजन दीपावली वाले दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं।

दरवाजा बंद करके पूजा करने के पीछे का कारण गुर्जर समाज जन एक मान्यता को मानते हैं। इसके अंतर्गत गुर्जर समाज के आराध्य देव भगवान देवनारायणजी का वध करने के लिए दीपावली वाले दिन राजा के सैनिकों द्वारा छद्दम रूप में आना है और भगवान के चमत्कारों से उसमें असफल होना है। चमत्कार से प्रसन्न होकर मां काली द्वारा माता साडू को वंश वृद्धि का आशीर्वाद देना है।

12 से 15 घंटे तक रहते हैं घरों के अंदर

  • श्री गुर्जर समाज युवा इकाई अध्यक्ष मुरलीधर गुर्जर ने बताया कि गुर्जर समाजजन रूप चौदस के दिन रात्रि से लेकर के दीपावली दोपहर 12 बजे तक यानी लगभग 12 से 15 घंटे तक घरों के अंदर ही रहते हैं।
  • पूजा के दौरान परिवार या समाज के लोगों के अलावा अन्य किसी भी व्यक्ति से कोई संपर्क नहीं रखते हैं। इसके अलावा मोबाइल भी बंद रहता है और यह सब कार्य गुर्जर समाज की वंश वृद्धि के लिए होता है।
  • पहले के समय में तो यह प्रथा तीन-तीन दिनों तक रहती थी, परंतु वर्तमान भागदौड़ के जीवन में उक्त प्रथा एक दिन पर ही सिमट गई है। समाज के वरिष्ठ जन नई पीढ़ी को इस बारे में बताते हैं।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.