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हाई कोर्ट ने कहा- गुंजाइश हो तो साथ रहकर देखें, बच्चे के लिए मां के साथ पिता का प्रेम भी जरूरी

 ग्वालियर। हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने एक टूटते परिवार को जोड़ने की कोशिश की। बच्चे पर ध्यान केंद्रित कर समझाने का प्रयास किया कि पति-पत्नी एक साथ रहने लगें। जस्टिस आनंद पाठक ने बेटे की कस्टडी लेने के लिए दायर याचिका में तलाक का केस लड़ रहे पति-पत्नी से पूछा कि क्या कोई गुंजाइश है, जिससे आप लोग साथ रह सकें। बच्चे को मां और पिता दोनों के प्रेम की आवश्यकता होती है।

इस पर पुरुष ने कहा कि वह अभी अपनी पत्नी को साथ ले जाने के लिए तैयार है। पत्नी ने तपाक से जवाब देते हुए कोर्ट को बताया कि अगर साथ रखना ही था तो तलाक का केस क्यों दर्ज करवाया? उसकी हाईकोर्ट में अपील क्यों की? जिस पर युवक ने पत्नी की ओर से आइपीसी की धारा 307 का मुकदमा दर्ज करवाए जाने की बात को आधार बताया।

इन आरोपों के बीच में हाई कोर्ट ने 16 साल के बच्चे से पूछा कि वह किसके साथ रहना चाहता है तो बच्चे ने मां के साथ रहने की इच्छा जाहिर की। कोर्ट ने कई सवाल-जवाब करने के बाद बच्चे को फिलहाल मां के ही सुपर्द कर दिया है। इसके बाद दोनों के तलाक और कस्टडी की याचिका को साथ चलाए जाने का निर्णय लेते हुए पिता को सप्ताह में कुछ घंटे बच्चे के साथ बिताने की अनुमति भी दे दी है। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि बच्चे को माता पिता दोनों की आवश्यकता होती है, कोशिश कर के देखते हैं ये बर्फ अगर पिघल पाए तो।

हाई कोर्ट ने बच्चे से संवाद करते हुए पूछा कि उसे भविष्य मे क्या बनना है। ऐसे में 16 साल के नाबालिग बच्चे ने कोर्ट से कहा कि उसे डाक्टर बनना है वह भी हृदय रोग विशेषज्ञ। कोर्ट ने पूछा कि बताओ कि ग्वालियर में सबसे चर्चित कार्डियोलाजिस्ट का नाम बताओ। जब बच्चा जवाब नहीं दे सका तो न्यायाधीश ने मुस्कुराते हुए कहा कि डाक्टर बनना है तो अगली सुनवाई पर डाक्टरों का नाम पता कर के आना और फिर हमें बताना।

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