भोपाल में सरकारी मकानों के 3162 आवेदन पेंडिंग, जबकि 2500 मकान खाली हैं, इनमें 1241 तो 3 साल से खाली पड़े हैं
भोपाल: आवंटन के लिए हर तीन महीने में संपदा संचालनालय की एक कमेटी की बैठक होती है। इसमें आवेदनों पर चर्चा कर मकान आवंटित होते हैं। यह बैठक लंबे समय से नहीं हुई।सरकारी मकान के आवंटन में अजीबो-गरीब स्थिति बन गई है। इस समय सिर्फ राजधानी में ही 2500 मकान खाली पड़े हैं, जबकि पेंडिंग आवेदनों की संख्या 3 हजार 162 हो गई है। खाली मकानों में 1241 ऐसे हैं, जो दो-तीन साल से भी अधिक समय से खाली है, जबकि 1251 मकान नए बने हैं। यह स्थिति भी तब है, जब सरकार को सालाना 33 करोड़ किराए के रूप में जो राजस्व मिलता, वह नहीं मिल पा रहा है। बल्कि उलटे हाउस रेंट देना पड़ रहा है।1251 मकान नए बने हैं, लेकिन आवंटन के लिए होने वाली बैठक ही नहीं हो रहीराजधानी में खाली मकानों की स्थितिएफ-टाइप – 626 मकान रिक्त, इसमें से दो क्षतिग्रस्तजी-टाइप – 1129 आवास रिक्त, 17 क्षतिग्रस्त हाे गएएच-टाइप – 615 मकान रिक्त हैं, 1 खराब स्तर काआई-टाइप – 134 मकान खाली है, 9 की स्थिति खराब(नोट – रिक्त मकानों में न्यू मार्केट होटल पलाश के सामने नए बने 700 सरकारी मकान और लक्ष्मीगंज मंडी बोगदापुल में बने 551 मकान भी शामिल हैं।)31 अक्टूबर 2022 तक पेंडिंग आवेदन18 एफ-टाइप930 जी-टाइप1971 एच-टाइप243 आई-टाइपतो इतना किराया मिलता… एफ-टाइप मकान का किराया 900 रुपए, जी-टाइप का 700 रुपए और एच-टाइप का 600 रुपए किराया हर माह मिलता। इन्हें मिलने वाला मकान किराया भत्ता (हाउस रेंट) नहीं देना पड़ता।हर तीन महीने में होनी चाहिए संपदा संचालनालय की बैठकआवंटन के लिए हर तीन महीने में संपदा संचालनालय की एक कमेटी की बैठक होती है। इसमें आवेदनों पर चर्चा कर मकान आवंटित होते हैं। यह बैठक लंबे समय से नहीं हुई। वर्तमान में सभी आवास सीएमओ से आवंटित किए गए हैं। भोपाल में करीब ऐसे 10 हजार रिटायर्ड कर्मचारी रहते हैं जिनके द्वारा छोड़े गए मकान रिक्त पड़े हैं। संपदा संचालनालय के आवंटन अधिकारी राजेश यादव के मुताबिक एफ टाइप में पेंडेंसी नहीं है, बाकी श्रेणी में जानकारी लेकर स्पष्ट कर पाएंगे।
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