तेंदूआ विचरण क्षेत्र वाले रास्ते में नहीं है सुरक्षा, पास में ही लगा है जंगली क्षेत्र
अशोकनगर: अशोकनगर जिले की पर्यटन नगरी चंदेरी के दुर्ग की ओर जाने वाले रास्ते पर पर्यटकों के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। जबकि कुछ साल पहले इसे तेंदुआ विचरण क्षेत्र घोषित किया जा चुका है। वहां पर केवल रेलिंग लगी हुई है इसके अलावा सुरक्षा की दृष्टि से ना तो जाली लगाई गई और ना ही दीवार बनाई है।दो किलोमीटर के दायरे में फैले इस दुर्ग के एक और घना जंगल लगा हुआ है। ज्यादातर पर्यटक को एवं यहां घूमने वाले लोगों का इसी मार्ग से आना-जाना होता है। इस मार्ग पर रात के समय अंधेरा पसरा रहता है इस पर बिजली के भी कोई इंतजाम नहीं है।आधे किलोमीटर का रास्ता एक और पहाड़ी से घिरा है जबकि दूसरी ओर घना जंगल लगा है। इसी रास्ते में कई बार तेंदुआ विचरण करते हुए भी देखा गया है। ज्यादातर वह रात के समय दिखाई देता है, इस समय भी अंधेरा पसरा हुआ है और अंधेरा पसरा होने की वजह से तेंदुए की आने का खतरा अधिक रहता है।कुछ साल पहले यहां पर तेंदुआ विचरण का बोर्ड भी लगा दिया गया था परंतु असामाजिक तत्वों के द्वारा उस बोर्ड को वहां से तोड़ ले गए। अब यहां पर आने वाले पर्यटकों को इस बात की जानकारी ही नहीं लग पाती कि यह तेंदुआ वितरण क्षेत्र है।37 से अधिक घूमने की जगह, किला अहमवैसे तो यहां पर पर्यटन क्षेत्र में 37 से अधिक ऐसी जगह है जहां पर लोग घूम सकते हैं । लेकिन यहां की सबसे खूबसूरत और खास जगह है यहां का चंदेलों के द्वारा बनवाया गया राजा मेदनी राय का दुर्ग है। इस दुर्ग से पूरे चंदेरी का नजारा आकर्षक दिखाई देता है। यहां पर प्रतिदिन सैकड़ों पर्यटक आते हैं और किले पर घूम कर लुत्फ उठाते हैं। इसी किले को जाने वाले रास्ते पर अंधेरा पसरा है और कोई इंतजाम नहीं है। कुछ महीने पहले भी यहां पर रात के अंधेरे में तेंदुआ देखा जा चुका है।स्थानीय रहवासी व गाइड मुजफ्फर अंसारी उर्फ कल्ले पेंटर ने बताया कि दुर्गा के पास में वीआईपी होटल बनाई गई है लेकिन वहां तक जो रास्ता है उसमें रात के समय अंधेरा पसरा रहता है तब वहां पर लोगों को जाने में रात के समय खतरा बना रहता है। क्षेत्र में गर्मियों के समय तेंदुआ भी देखा गया है बारिश के बाद पानी खत्म होने की वजह से ऊपर इलाके में एक जगह पानी भरा रहता है वहां पर तेंदुआ पानी पीने आता है।
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