फीफा की चकाचौंध के बीच निर्माण पूरा करने के लिए प्रवासी मजदूरों को करना पड़ रहा दिन में 14 घंटे काम
दोहा । कतर में फीफा वर्ल्ड कप का आगाज हो चुका है, लेकिन फुटबॉल फैंस के रहने के लिए कई केबिन अभी भी अधूरे पड़े हैं। निर्माण पूरा करने के लिए प्रवासी मजदूरों को दिन में 14 घंटे काम करना पड़ रहा है। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब एक तिहाई फ्री जोन कॉम्प्लेक्स अभी भी निर्माणाधीन है। कई केबिन अभी भी पूरी तरह तैयार नहीं हुए हैं। बड़ी संख्या में भारतीय मजदूर साइट पर काम कर रहे हैं जिन्हें एक दिन का सिर्फ 25 पाउंड मिलता है।
वहां काम कर रहे श्रमिकों ने बताया कि जल्दी काम खत्म करने के लिए उनके बॉस 25 पाउंड बोनस का ऑफर दे रहे हैं। कतर की 30 डिग्री सेल्सियस गर्मी में काम कर रहे मजदूरों में से एक ने कहा वे हम से कह रहे हैं जल्दी-जल्दी काम पूरा करो। वे चार मजदूरों को बोनस देने वाले हैं। वे कह रहे हैं कि इस काम को पांच दिनों में पूरा करना है और कोई भी काम छोड़कर कहीं और नहीं जा सकता।
एक मजदूर ने बताया कि वह सुबह 5 बजे से शाम 7 बजे तक काम करता है जिस दौरान उसे सिर्फ एक घंटे का ब्रेक मिलता है। पूरी तरह तैयार केबिन में रात गुजारने के लिए फैंस को 180 पाउंड प्रति दिन के हिसाब से भुगतान करना पड़ रहा है। लेकिन वे इनमें मिलने वाली सुविधाओं से संतुष्ट नहीं हैं। फैंस का कहना है कि ‘अगर आप 180 पाउंड का भुगतान करते हैं तो बेहतर गुणवत्ता की उम्मीद करते हैं।’
विदेशी मजदूरों के साथ अमानवीय व्यवहार की वजह से अक्सर कतर की आलोचना होती रहती है। इससे पहले खबर आई थी कि प्रशासन ने राजधानी दोहा के उस इलाके में विदेशी श्रमिकों के अपार्टमेंट खाली करवा दिए हैं, जहां वर्ल्ड कप के दौरान फुटबॉल फैंस रुकने वाले हैं। विदेशों से आने वाले महिला और पुरुषों के लिए कड़े ड्रेसकोड नियम से लेकर स्टेडियम में बियर बैन तक, फीफा वर्ल्ड कप 2022 की मेजबानी कर रहा कतर लगातार विवादों में बना हुआ है। कतर की 30 लाख आबादी में से करीब 85 फीसदी विदेशी कामगार हैं। उनमें से कई ड्राइवर और दिहाड़ी मजदूर या कंपनियों के साथ कॉन्ट्रैक्ट पर काम करते हैं। कतर में ज्यादातर मजदूर भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे एशियाई देशों से गए हैं।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.