हाईकोर्ट बोला-जब बाड़ा ही फसल खाना शुरू कर दे तो कुछ नहीं बच सकता
चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट।स्टेट बैंक ऑफ इंडिया(SBI) की जींद(हरियाणा) स्थित पिल्लु खेड़ा ब्रांच में कैशियर द्वारा कथित रुप से मृत महिला के खाते से 46.30 लाख रुपए निकलवा धोखाधड़ी के मामले में हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट आरोपी कैशियर की नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था। हाईकोर्ट ने कहा कि “जब बाड़ा ही फसल को खाना शुरू कर दे तो कुछ नहीं बचाया जा सकता।” इस टिप्पणी के साथ ही आरोपी की जमानत अर्जी रद्द कर दी गई। आरोप के मुताबिक मृत महिला के निष्क्रिय हुए बैंक अकाउंट से कैशियर सुशील कुमार ने महिला के फर्जी दस्तखत के दम पर यह रकम निकलवाई थी। वह वर्ष 2010 से SBI का कर्मी था।हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने केस की सुनवाई के दौरान कहा कि आरोपी याची के खिलाफ सटीक और गंभीर आरोप हैं। उसने अपनी ID से मृतका(सावित्री देवी) के खाते से भारी रकम निकलवाई। हाईकोर्ट ने कहा कि सिर्फ इस आधार पर आरोपी को जमानत का लाभ नहीं मिल सकता कि वह बीते 31 मई से जेल में है।बैंकिंग सिस्टम पर लोगों को विश्वासहाईकोर्ट ने कहा कि आम लोगों को पूर्ण रुप से अंत तक बैंकिंग सिस्टम पर विश्वास रहता है और वह इसीलिए बैंक में अपनी मेहनत की कमाई रकम जमा करवाते हैं। वह इसे सुरक्षित स्थान समझते हैं। हालांकि जब बैंक कर्मी ही कस्टमर्स के साथ धोखाधड़ी शुरू कर दे तो वह पुरानी कहावत याद आती है कि जब बाड़ा ही फसल को खाना शुरू कर दे तो कुछ नहीं बचाया जा सकता।प्रतीकात्मक तस्वीर।ईमानदारी वाला व्यवहार करना चाहिए थाहाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी को लोगों के पैसे का कस्टोडियन(रखवाला) होने के नाते याची को परम ईमानदारी वाला आचरण करना चाहिए था। हालांकि उसने विश्वासघात किया। कोर्ट ने कहा कि यदि याची जैसे लोगों को जमानत पर छोड़ दिया जाए तो विश्वास का रिश्ता खत्म हो जाएगा। वहीं उसे जमानत देने से गलत उदाहरण लोगों के पास जाएगा और फर्जीवाड़ा करने वालो को ऑक्सीजन(हिम्मत) मिलेगी।10 सालों तक खाता ऑपरेट नहीं हुआआरोप के मुताबिक कैशियर सुशील ने यह रकम कैश कर निकलवा ली। उसके साथ इस अपराध में अन्य आरोपी भी थे। 10 जून, 2019 से 15 सितंबर, 2020 के बीच यह रकम निकलवाने के आरोप सुशील पर हैं। आरोपी के खिलाफ जींद (हरियाणा) पुलिस ने धोखाधड़ी और जालसाजी की धाराओं में केस दर्ज किया था। पुलिस केस के मुताबिक सावित्री देवी नामक महिला का SBI की जींद स्थित पिल्लु खेड़ा ब्रांच में खाता था। 11 मई, 2008 को उसकी मौत हो गई थी। 10 सालों तक बैंक खाता ऑपरेट नहीं हुआ। ऐसे में इसे निष्क्रिय की श्रेणी में डाल दिया गया।प्रतीकात्मक तस्वीर।सीनियर अफसरों की साजिश बताई थीसुशील ने हाईकोर्ट में कहा था कि उसे केस में झूठा फंसाया गया है। उसके खिलाफ बैंक के सीनियर अफसरों ने आपराधिक साजिश रची ताकि वह खुद को बचा सकें। आरोपी के वकील ने कोर्ट में कहा कि मृतका के नाम पर एक चैक बुक जारी करने की प्रार्थना बैंक मैनेजर की ID(आइडेंटिटी डॉक्यूमेंट) से 10 जून, 2019 को की गई थी। उसी दिन खाते से 100 रुपए निकले थे। याची(आरोपी कैशियर) ने सिर्फ अपनी सरकारी ड्यूटी करते हुए कैश जारी किया था।कहा गया कि ब्रांच मैनेजर की निगरानी में उचित वैरिफिकेशन के बाद यह रकम जारी हुई थी। वहीं याची ने सावित्री देवी के फर्जी दस्तखत भी नहीं किए थे। वहीं प्रोसिक्यूशन ने कहा कि सावित्री देवी की मौत के बाद याची और अन्यों ने फर्जी दस्तखत कर खाते से 46.30 लाख रुपए निकलवाए थे। वहीं आरोपी की गिरफ्तारी पर उसके पास से 50 हजार रुपए बरामद भी हुए थे।
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