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ट्रंप की दोबारा राष्ट्रपति बनने की चाह, बोले- 2020 का चुनाव वह हारे नहीं थे बल्कि जीत उनसे चुरा ली गई 

न्यूयार्क । अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की दोबारा राष्ट्रपति बनने की इच्छा बलबती होती दिख रही है। ट्रंप ने कहा कि  2020 का चुनाव वह हारे नहीं थे बल्कि जीत उनसे चुरा ली गई दोबारा पद पाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। उनकी रैलियों में भारी भीड़ जुट रही है और उन्होंने अच्छा-खासा धन भी जुटाया है। हाल ही में टेक्सस में हुई एक रैली में डोनल्ड ट्रंप ने हिलेरी क्लिंटन के बारे में बात की। और वही राग फिर अलापा कि कैसे 2020 का चुनाव वह हारे नहीं थे बल्कि जीत उनसे चुरा ली गई। उन्होंने कहा, ‘2020 के चुनाव में धांधली हुई और इसके बारे में सब जानते हैं।’ हालांकि इन दावों को सिरे से खारिज किया जा चुका है और अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट भी चार राज्यों के चुनावी नतीजों को पलटने के मुकदमे में रद्दी की टोकरी में डाल चुका है।
ट्रंप का यह अंदाज जाना-पहचाना है। राजनीतिक समाचार देने वाली एक वेबसाइट में प्रचार अभियानों के मामलों के संपादक ब्रैंडन कोनराडिस कहते हैं 2016 के चुनाव में भी वह ऐसा ही करते थे, तब भी रैलियों में उन्होंने निराधार दावे किए और चुनाव जीता भी। डॉयचे वेले से बातचीत में ब्रैंडन कहते हैं, ‘ट्रंप वही कर रहे हैं जो वह हमेशा करते हैं। यानी अपने कट्टर समर्थकों के सामने वे बातें कहना जो वे सुनना चाहते हैं। यह अब भी कामयाब नुस्खा है।’ डोनल्ड ट्रंप ने अपने तरकश से कुछ नए तीर भी निकाले हैं। जैसे कि पिछले हफ्ते कॉनरो में एक रैली में उन्होंने 6 जनवरी 2021 को अमेरिकी कैपिटोल पर चढ़ाई करने वालों के समर्थक में जोरदार भाषण दिया। ट्रंप ने कहा, ‘अगर मैं दोबारा चुनाव लड़ा और जीता, तो हम 6 जनवरी वाले लोगों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार करेंगे। और अगर इसका अर्थ उन्हें माफी देना है तो हम उन्हें माफी भी देंगे क्योंकि उनके साथ अन्याय हो रहा है।’
6 जनवरी 021 को अमेरिका में जो हुआ उसे अमेरिका के समकालीन लोकतांत्रिक इतिहास के काले दिनों में गिना जाता है। उस दिन सैकड़ों लोगों की भीड़ कैपिटल हिल बिल्डिंग में घुस गई और तोड़फोड़ मचाई। वे लोग कांग्रेस के उस सत्र को रोकना चाहते थे जिसमें जो बाइडेन की राष्ट्रपति चुनाव की जीत को औपचारिक मंजूरी दी जा रही थी। उस घटना में पांच लोगों की मौत हुई थी। तब से 700 लोगों पर आरोप तय किए जा चुके हैं।
जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में राजनीतिक प्रबंधन पढ़ाने वाले एसोसिएट प्रोफेसर माइकल कॉर्नफील्ड कहते हैं, ‘जब ट्रंप ऐसी भड़काऊ बातें कहते हैं तो उनका सबसे बड़ा मकसद होता है लोगों का ध्यान खींचना।’ कॉनरो में लोगों को माफी देने वाल ट्रंप का बयान उनकी अपनी रिपब्लिकन पार्टी के लोगों को भी रास नहीं आ रहा है। कई लोगों ने सामने आकर इस विचार का विरोध किया है। ट्रंप के सहयोगी रहे लिंजी ग्राहम ने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि वे लोग जेल जाएंगे क्योंकि वे इसी के हकदार हैं। न्यू हैंपशर के गवर्नर क्रिस सुनूनू भी उन आरोपियों को माफी देने के खिलाफ हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन आरोपियों को माफी मिलनी चाहिए तो उन्होंने समाचार चैनल सीएनएन से कहा, ‘बेशक नहीं। हे भगवान, बिल्कुल नहीं।’
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के लिए यह विरोध मायने नहीं रखता क्योंकि इन बातों को वे ऐसे लोगों के लिए कहते ही नहीं हैं। कॉनराडिस कहते हैं, ‘इस आलोचना की परवाह ट्रंप को नहीं है। वह अपने खास समर्थकों से बात कर रहे हैं। वह उन लोगों से बात कर रहे हैं जिन्होंने कैपिटोल पर चढ़ाई की थी। जो उनके कट्टर समर्थक हैं और जो भी हो जाए, वे ट्रंप के लिए ही वोट करेंगे।’
75 वर्षीय ट्रंप ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह तीन साल बात यानी 2024 में राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ेंगे या नहीं। लेकिन, यदि वह चुनाव मैदान में उतरने का फैसला करते हैं तो अपने कट्टर समर्थकों को उन्हें साथ लेकर चलना होगा। फिलहाल तो उनके बयान ‘अगर मैं चुनाव लड़ा और जीता’ से शुरू होते हैं, जिसमें कई संकेत छिपे हैं।

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