हो रहा संस्कृति सीता का हरण, राम के हनुमान तुम क्यों मौन हो
भोदसा(सारण)बिहार।
ज्ञानंजलि संस्कार एकेडेमी के प्रांगण में,भवांजलि कला एवं साहित्य अकादमी के कलाकारों ने श्री हनुमान जयंती के शुभ अवसर पर आज के रामदूतो,संस्कृति दूतों का आवाहन करते हुए भाव संगीत का शानदार प्रस्तुतिकरण किया।
हो रहा संस्कृति सीता का हरण
राम के हनुमान क्यों तू मौन हो।
निस्चरों से हीन करने को मही
राम के आवाह्न तुम क्यों मौन हो।
इस अवसर पर संस्था के निदेशक श्री विजय कुमार पांडेय ने वर्तमान संदर्भ में मंगल मूर्ति मारुति नंदन के जीवन चरित्र की सार्थकता पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि हमारी देव संस्कृति रूपी सीता, संकट में है क्योकि वह सोने की लंका में, विज्ञान की लंका में,सुविधाओं की लंका में,योद्धाओं की लंका में प्रसन्न नही राह सकती।सीता मर्यादापुरुषोत्तम की सहधर्मिणी हैं,वे सिद्धांतो में जीती हैं,केवल वैभव और विलासिता में नही।आज हमारी संस्कृति रूपी सीता को संकट में डालने वही हैं जो कल ऋषिपुत्र थे और आज अपनी गरिमा को विस्मृत कर भोगी विलासी,और अहंकारी रावण बन गए हैं।उनकी सोने की लंका में संस्कृति रूपी सीता करुणा निधान की प्रतीक्षा कर रही हैं। अगर कोई रामदूत उनकी व्यथा को राम तक पहुचाने की सामर्थ्य रखता है फिर वो मौन क्यों हैं।
धर्म संस्कृति राष्ट्र पर संकट घिरे,
आस्था,विश्वास के आंशु झरे,
राष्ट्र की सामर्थ्य क्यों सोई हुई,
किसलिए, व्यामोह में खोई हुई,
शहीदों का रक्त क्यों ढंडॉ हुआ
वासंती वलिदान क्यों तुम मौन हो।
वर्तमान में अनास्था संकट के काल मे जब धर्म एवं संस्कृति छल ,दम्भ और पाखंड से पीड़ित है और चिंतन, चरित्र ,व्यवहार का व्यवसायीकरण होने लगा है,युग सैनिकों,रामदूतो की करुणा कहा सोई है?आवश्यक है रामदूत हनुमान के जीवन चरित्र को साकार करने वाले शक्तिदूतों कि जो अपने जीवन मे इन विभूतियों को मूर्त रूप दे सकें।
अतुलितबलधामं, हेमशैलाभदेहं,
दनुजवनकृशानुं, ज्ञानीनांअग्रगण्यम
सकलगुणनिधानं, वानराणामधीशं
रघुपतिप्रिय भक्तं, वातात्मजं नमामि।
भवांजली कला एवं साहित्य अकादमी की मंच संचालिका कुमारी सोनम की प्रस्तुति वीर रस को जगाने वाली थी।हनुमान के रूप में कुमार अभय तथा भक्त के रूप में मणिभूषण तथा रोहित महली की भमिका सराहनीय रही।