बिहार के पत्रकारों की हालत ये है कि वो सबकी दशा लिख सकते हैं, लेकिन अपनी व्यथा नहीं लिख सकते: प्रशांत किशोर
मोतिहारी। जन सुराज पदयात्रा के दौरान वैशाली के भगवानपुर प्रखंड में मीडिया संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि पदयात्रा से पहले जब मैं जिलें में घूम रहा था तब जो पत्रकार और युट्यूबर्स थे उनमें से ज़्यादतर 15 सौ से 2 हजार रुपये में काम करते हैं। ये बहुत आश्चर्यजनक बात है कि कोई कैसे आज के समय में 2 हजार रुपये में अपना जीवन यापन कर सकता है? तो पत्रकार यही कहते हैं कि पत्रकारिता से जीवन नहीं चलता है, जीवन खेती किसानी से चलता है। ये एक इज्जत प्रतिष्ठा का काम है इसलिए पत्रकारिता कर रहे हैं, तो बिहार के पत्रकारों की हालत उस डॉक्टर के जैसी है जो पूरी दुनिया का इलाज कर सकता है। लेकिन अपना इलाज नहीं कर सकता है उसी तरह आप सारी दुनिया के बारे में लिख सकते है लेकिन अपनी व्यथा के बारे में नहीं लिख सकते है लेकिन बिहार के पत्रकारों को वो मूलभूत सुविधा भी उपलब्ध नहीं है जो दूसरे राज्य के पत्रकारों को उपलब्ध है।