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पूर्व सांसद की रिहाई के लिए बदला गया जेल मैन्युअल : सुशील मोदी

सजा पूरी करने पर रिहाई का तर्क गले उतरने वाला नहीं

शराब पीने पर लाखों गरीब जेलों में, अपराधियों की रिहाई क्यों?

सरकार ने छीना सरकारी कर्मचारियों का रक्षा कवच

पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जब सरकार पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के लिए उनकी सजा पूरी होने का तर्क दे रही है, तब जेल मैन्युअल में छेड़छाड़ कर इसे शिथिल करने की जरूरत ही क्यों पड़ी?

श्री मोदी ने यह भी सवाल उठाया कि क्या जेल कानून को बदले बिना भी सरकारी अधिकारी की ड्यूटी के दौरान हत्या के सजायाफ्ता बंदी को रिहा किया जा सकता था?
उन्होंने कहा कि एक सजायफ्ता पूर्व सांसद और उसके बहाने 26 अन्य दुर्दांत अपराधियों को रिहा करने से जनहित का कौन-सा उद्देश्य पूरा हुआ, यह सरकार क्यों नहीं बताती?

श्री मोदी ने कहा कि हत्या जैसे जघन्य अपराध के मामले में सजायाफ्ता बंदियों की सामूहिक रिहाई के लिए ही जेल कानून को बदला गया, जिससे देश में बिहार की बदनामी हो रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य में थोड़ी-सी शराब पीने वाले लाखों लोग जेल में डाले गए, जबकि सजायाफ्ता अपराधी आजाद किये जा रहे हैं।

श्री मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अपराधी-माफिया पुलिस के डर से भागते फिर रहे हैं, जबकि यहाँ ऐसे तत्व पुलिस पर हमले कर रहे हैं और उनके आकाओं को जेल से रिहा किया जा रहा है। कानून के राज और जंगलराज का फर्क साफ दिख रहा है।

उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों की हत्या के आरोपी को कोई राहत नहीं देने का कानून पहले बदला गया और फिर एक पूर्व सांसद को इसी संशोधित कानून के तहत रिहा कर दिया गया।

श्री मोदी ने कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए कानून से छेड़छाड़ कर नीतीश सरकार ने लोकसेवकों का सुरक्षा कवच छीन लिया। इससे कर्मचारियों का मनोबल टूटेगा।
उन्होंने कहा कि सरकारी कामकाज में बाधा डालने पर गिरफ्तारी और भ्रष्टचार के मामले में वरिष्ठ पदाधिकारी से अनुमति लेने का नियम कार्यपालिका को सुरक्षा देने के लिए है, लेकिन जब ड्यूटी पर तैनात एक डीएम की हत्या के दोषी को भी रिहा कर दिया जाएगा, तब क्या संदेश जाएगा?

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