इंसानियत के स्तम्भ खड़े दिखे बिहार के सड़क पर..
नई सोच एक्सप्रेस मे प्रकाशित जहां एक ओर मानवीय संवेदनाओं में कमी दिखाई देती हैं वहीं, कुछ लोग मानव कल्याण के लिए तत्पर दिखते हैं। हमारे मित्र विनय तिवारी कल लखीसराय से गुजर रहें थे। सड़क जाम था, उसी सड़क पर एक एम्बुलेंस फंसा हुआ था। उन्होंने भीषण गर्मी में एक व्यक्ति को सड़क पर एम्बुलेंस के लिए राह बनाते देखा। उनके अनुसार–”कल लखीसराय से निकल रहा था तो इनको देखा कि जाम में एंबुलेंस के लिए रास्ता बनवा रहे हैं।
नई सोच एक्सप्रेस मे प्रकाशित भाषा से तो बिहार के नहीं लगे वेशभूषा से नेता जैसे लगते थे पर यह देखकर अच्छा लगा कि जहां प्रशासन प्रतीक्षा को ही उपाय मान रहा था वहां पर कोई आगे बढ़कर नेतृत्व प्रदान कर रहा था तथा एक जीवन की कीमत को भलीभांति समझ कर एंबुलेंस के लिए रास्ता बनवा रहा था”। जहां एक ओर मानवीय संवेदनाओं में कमी देखने को मिल रही हैं। वहीं इस तरह का व्यवहार भीषण गर्मी में किसी व्यक्ति के द्वारा दिखाना और उसके लिए। जिससे, आपका प्रत्यक्ष और परोक्ष कोई सम्बन्ध नहीं है, मानवता और समाज के लिए अनुकरणीय ही है। बहरहाल, मैं ऐसे आदर्शशील व्यक्ति के लिए ईश्वर से भला का ही मांग करूंगा। और, विनय जी को सुंदर समाजिक ख़बर के लिए शुभकामनाएं भी दे रहा हूं।