16 जुलाई को है हरियाली अमावस्या राशि के अनुसार लगाएं ये पौधे
हिंदू धर्म में सावन मास की हरियाली अमावस्या का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के मुताबिक हरियाली अमावस्या 17 जुलाई 2023 को मनाई जाएगी। इसी दिन सोमवती अमावस्या और सावन सोमवार भी है, इसलिए हरियाली अमावस्या का महत्व काफी बढ़ जाएगा। हरियाली अमावस्या के दिन पितरों और देवों को प्रसन्न करने के लिए अनेक उपाय किए जाते हैं। इन दिन आप अपनी राशि के अनुसार पेड़ लगाकर भी पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं।
इन पेड़ों का विशेष महत्व
हरियाली अमावस्या पर पीपल का पेड़ लगाना काफी शुभ माना जाता है क्योंकि इसमें त्रिदेवों का वास होता है। इसके अलावा आंवले या केले के पौधे में श्रीहरि का वास होता है, इसलिए इन पेड़ों को किसी भी राशि के जातक लगा सकते हैं।
हरियाली अमावस्या 2023 मुहूर्त
हरियाली अमावस्या तिथि की शुरुआत 16 जुलाई, रविवार को रात 10:08 बजे से होगी। वहीं अमावस्या तिथि की समाप्ति 18 जुलाई, मंगलवार को 12:01 AM पर होगी। इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 05:34 बजे से सुबह 07:17 बजे तक रहेगा।
राशि के अनुसार लगाएं ये पौधे
मेष राशि: आंवले का पौधा
वृषभ राशि: जामुन का पौधा
मिथुन राशि: चंपा का पौधा
कर्क राशि: पीपल का पौधा
सिंह राशि: बरगद या अशोक का पौधा
कन्या राशि: शिवजी का प्रिय बेल का पौधा, जूही का पौधा
तुला राशि: अर्जुन या नागकेसर का पौधा
वृश्चिक राशि: नीम का पौधा
धनु राशि : कनेर का पौधा
मकर राशि: शमी का पौधा
कुंभ राशि: कदंब या आम का पौधा
मीन राशि: बेर का पौधा
नवग्रहों को प्रसन्न करने के लिए लगाएं ये पौधे
गुरु ग्रह के लिए: पीपल का पौधा
शुक्र ग्रह के लिए: गूलर का पौधा
शनि ग्रह के लिए: शमी का पौधा
सूर्य ग्रह के लिए: सफेद मदार या आक का पौधा
चंद्र ग्रह के लिए: पलाश का पौधा
बुध ग्रह के लिए: अपामार्ग का पौधा
मंगल ग्रह के लिए: खैर या शिशिर का पौधा
राहु ग्रह के लिए: चंदन और दूर्वा का पौधा
केतु ग्रह के लिए: कुश लगाएं।
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’
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