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दो वर्ष से नहीं मिला गणवेश, रंग-बिरंगे कपड़ों में स्कूल आ रहे हैं बच्चे

भोपाल। राजधानी के शासकीय उमावि बरखेड़ा पठानी, सरोजिनी नायडू कन्या स्कूल, शासकीय कन्या उमावि जहांगीराबाद, शासकीय प्राथमिक शाला सेवनिया गोंड में नर्सरी, केजी और पहली कक्षा के अधिकांश बच्चे रंग-बिरंगे कपड़ों में स्कूल पहुंच रहे हैं। तमाम स्कूलों में ऐसा ही हाल है। आधा सत्र बीत गया, लेकिन सरकारी स्कूलों के पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों को मिलने वाला निश्शुल्क गणवेश अब तक नहीं मिला। इससे विद्यार्थी रंग-बिरंगे कपड़ों में स्कूल आ रहे हैं।

हर साल वितरित किया जाता है दो जोड़ी गणवेश

स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से हर साल करीब 65 लाख से अधिक विद्यार्थियों को दो जोड़ी गणवेश निश्शुल्क प्रदान किया जाता है। दो साल से विद्यार्थियों को गणवेश नहीं मिला। वहीं इस सत्र में भी गणवेश वितरण होने की संभावना नही है। ऐसे में तीन सत्रों में नए प्रवेशित बच्चे रंग-बिरंगे ड्रेस में स्कूल पहुंच रहे हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस सत्र के गणवेश को तैयार करने का आर्डर राज्य आजीविका मिशन को जुलाई में ही दिया गया था, लेकिन अब तक गणवेश तैयार नहीं हो पाया। अगले माह तक तैयार कराकर वितरित कर दिया जाएगा।

हर साल 390 करोड़ रुपये खर्च होते हैं

राज्य शिक्षा केंद्र की ओर से हर साल प्रदेश के 65 लाख से अधिक विद्यार्थियों के लिए दो जोड़ी गणवेश तैयार वितरित किए जाते हैं। इसके लिए करीब 390 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। राज्य शिक्षा केंद्र की ओर से महिला स्वसहायता समूहों से गणवेश तैयार कराया जाता है, लेकिन अब तक गणवेश तैयार नहीं हुए हैं।

जिले के 85 हजार विद्यार्थियों को गणवेश वितरित किए जाते हैं

भोपाल जिले के पहली से आठवीं तक के 85 हजार विद्यार्थियों को गणवेश वितरित किए जाते हैं। राजधानी के सभी सरकारी स्कूलों में प्री-प्रायमरी और पहली कक्षा के विद्यार्थी रंग-बिरंगे कपड़ों में स्कूल आ रहे हैं। वहीं कुछ कक्षाओं में पुराने गणवेश का साइज छोटा होने के कारण भी विद्यार्थी रंग-बिरंगे कपड़ों में नजर आ रहे हैं।

दो साल से गणवेश नहीं मिला है। पांचवीं कक्षा का छोटा गणवेश पहनकर स्कूल आना पड़ रहा है।

– शैलेष पुरी गोस्वामी, छात्रा

दो साल से गणवेश नहीं मिला है। पैंट फट गई है, इसलिए दूसरी पैंट पहनकर आता हूं। कभी-कभी डांट पड़ती है तो बस शर्ट पहन लेता हूं।

– अरुण ठाकुर, छात्र

दो साल पहले गणवेश मिला था। अब वह छोटा हो गया है। इस कारण नहीं पहनता हूं। इस साल भी अभी तक गणवेश नहीं मिला।

– अमन हरियाले, छात्र

पहली कक्षा से पढ़ रही हूं। दो साल से गणवेश नहीं मिला। इस कारण रंग-बिरंगी ड्रेस में आना पड़ता है।

– रानी कुशवाहा, छात्रा

गणवेश जल्द ही तैयार कर लिए जाएंगे। इस सत्र का गणवेश नवंबर के अंत या दिसंबर के पहले सप्ताह में मिलने की संभावना है।

– धनराजू एस, संचालक, राज्य शिक्षा केंद्र

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